Pravin kumar
Ranchi : खनन क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों का प्रयोग होने के बाद भी दुर्घटनाओं का सिलसिला लगातार जारी है. 2015 से 2020 के बीच झारखंड के कोल और नन कोल खदानों में कुल 85 दुर्घटनायें हुईं. जबकि इसी अवधि में खदानों में 129 श्रमिक दुर्घटना के शिकार भी हुए.
गंभीर दुर्घटनाओं की संख्या 92 है और 116 मजदूरों को गंभीर चोट लगी है. 2020 में कोविड-19 की वजह से लगे लॉकडाउन से आर्थिक मंदी का दौर आया. जिससे खदानों में कम मांग और उत्पादन ठप होने के कारण पिछले साल की तुलना में दुर्घटनायें कम हुईं.
वहीं राज्य में अवैध कोयला खदानों में दुर्घटनाओं के मामले कई बार तो सामने भी नहीं आते. ऐसा ही मामला राज्य में चल रहे अन्य खनिजों के खनन में भी है. खासकर पत्थर खदानों में हुई दुर्घटना के मामलों को छिपाने की खबरें कई बार आयीं. वहीं खनन क्षेत्र में काम करने वालों की सुरक्षा के लिए कोई विशेष योजना देश में मौजूद नहीं है.
खदान के मजदूरों के लिए कोई विशिष्ट योजना नहीं
देश के खदानों और खतरनाक कारखानों में श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई विशिष्ट योजना मौजूदा समय में नहीं है. खदान और कारखानों के श्रमिकों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण के लिए, खतरनाक अधिनियम सहित खदान अधिनियम 1952 और फैक्ट्रीज एक्ट, 1948 और उनके तहत बनाये गये नियम और कानूनी प्रावधानों के अनुसार ही चलाये जा रहे हैं.
खान अधिनियम, 1952 के प्रावधानों और खदानों में कार्यरत व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए बाद में बनाये गये नियमों के बावजूद कोयला और गैर-कोयला खदानों में घातक और गंभीर दुर्घटनायें होती रहती हैं.
कोयला खदानों में हुई दुर्घटना
वर्ष | घातक दुर्घटना | दुर्घटना में हुये शिकार लोग | गंभीर दुर्घटना | गंभीर चोट के शिकार लोगों की संख्या |
2015 | 11 | 11 | 25 | 28 |
2016 | 22 | 45 | 15 | 17 |
2017 | 11 | 12 | 14 | 14 |
2018 | 9 | 14 | 14 | 22 |
2019 | 11 | 11 | 7 | 22 |
2020 | 3 | 3 | 8 | 9 |
गैर कोयला खदानों में हुई दुर्घटना
वर्ष | घातक दुर्घटना | दुर्घटना में हुये शिकार लोग | गंभीर दुर्घटना | गंभीर चोट के शिकार लोगों की संख्या |
2015 | 1 | 2 | 2 | 2 |
2016 | 3 | 6 | 3 | 4 |
2017 | 2 | 2 | 1 | 1 |
2018 | 8 | 10 | 0 | 2 |
2019 | 3 | 3 | 3 | 4 |
2020 | 1 | 1 | 1 | 1 |