- बीजेपी के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार को हेमंत कार्यकाल से जोड़कर नैरेटिव सेट करने की कोशिश हो रही
- दीपक प्रकाश बतायें, रघुवर सरकार में पूजा सिंघल को दिया क्लीन चिट सही या ईडी की कार्रवाई सही है?
Ranchi: मनरेगा घोटाले में खान सचिव पूजा सिंघल पर हुई ईडी की कार्रवाई को हेमंत सरकार के कार्यकाल से जोड़कर बीजेपी नैरेटिव सेट करने की कोशिश कर रही है. पूजा सिंघल पर कार्रवाई 2008-09 में दर्ज मनरेगा घोटाला मामले में हुई है. ईडी की कार्रवाई हेमंत सरकार के ढाई साल के कार्यकाल में हुई किसी मामले में नहीं हुई है, लेकिन बीजेपी राज्य में यह माहौल तैयार करने की कोशिश कर रही है कि हेमंत सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए किसी भ्रष्टाचार का परिणाम है. यह आरोप लगाया है जेएमएम ने. जेएमएम के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य और विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह बातें कही. उन्होंने मांग की है कि मनरेगा घोटाला मामले में तात्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास, तात्कालीन जेवीएम चीफ बाबूलाल मरांडी और उस वक्त की चीफ सेक्रेटरी राजबाला वर्मा को भी सीबीआई मनरेगा घोटाला मामले में अभियुक्त बनाये. रांची की खबरों के लिए यहां क्लिक करें.
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IAS की कमी, इसलिए पूजा को सचिव बनाना हेमंत सरकार की थी मजबूरी
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि पूजा सिंघल के खिलाफ मनरेगा गड़बड़ी की शिकायत जेवीएम ने की थी. तब के जेवीएम और अब के बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को नैतिकता का पाठ पढ़ा रहे हैं. यह बेईमानी और मक्कारी की हद है. उन्होंने कहा कि पूजा सिंघल के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू हुई तब रघुवर दास और राजबाला वर्मा ने कह दिया था कि इसपर कोई मामला बनता ही नहीं है और केस को ड्रॉप कर दिया गया. इस वजह से राजबाला वर्मा अधिकारी बनी रहीं. रघुवर के बाद हेमंत सोरेन की सरकार सत्ता में आई. हेमंत सरकार में आईएएस और आईपीएस अफसरों की कमी थी, क्योंकि हमारे आईएएस और आईपीएस को दिल्ली उठाकर ले जाया जाता है. हमारे पास सेक्रेटरी लेवल के 14 अधिकारी और 32 विभाग हैं. ऐसे में सरकार की मजबूरी थी पूजा सिंघल को सचिव बनाये रखने की.
पूजा सिंघल को क्लीनचिट देने वाले ही मचा रहे हैं शोर
सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि पूजा सिंघल के खिलाफ ईडी की छापेमारी सीबीआई से रेफर केस पर हुई है. जिन मामलों पर कार्रवाई हुई है वो खूंटी और चतरा में हुई घोटालों से संबंधित थे. इन घोटालों के आरोप में क्लीन चिट देने वाली बीजेपी की सरकार थी, लेकिन बीजेपी पूजा सिंघल पर कार्रवाई के बाद चोर मचाए शोर वाली कहावत को पेश कर रही है. उन्होंने कहा कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के तात्कालीन सचिव अमरेंद्र प्रताप सिंह खूंटी मनरेगा घोटाले की जांच रिपोर्ट में पूजा सिंघल पर लगे आरोपों को प्रमाणित नहीं माना था. इसके बाद मुख्य सचिव राजबाला वर्मा और मुख्यमंत्री रघुवर दास ने उन्हें क्लीनचिट दे दी थी. इसी मामले में अब जब ईडी की कार्रवाई हुई है तो बीजेपी इस कार्रवाई बीजेपी के लोग इसे इस तरह से प्रचारित कर रहे हैं मानो हेमंत सरकार के कार्यकाल में खान विभाग के कोई बड़े घोटाले में कार्रवाई हुई है.
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बाबूलाल पहले विधायक बेचते थे, फिर खुद को बेचा और अब जांच बेच रहे
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि इस मामले में सीबीआई को राजबाला वर्मा और रघुवर दास को भी अभियुक्त बनाना चाहिए, क्योंकि इनके ही द्वारा अर्जुन मुंडा सरकार के समय दी गई जांच के आदेश को पलटने का काम किया गया था. मनरेगा की लूट में रघुवर दास का भी सपोर्ट है. बाबूलाल मरांडी भी उसमें से अपना हिस्सा ले चुके हैं. सुप्रियो ने कहा कि बाबूलाल ने पहले विधायक बेचा, फिर खुद को बेचा और अब जांच बेच रहे हैं. वो राजनेता नहीं रहे. पॉलिटिकल ट्रेडर बन चुके हैं. उन्होंने मांग की है कि जांच के दायरे में ये त्रिमूर्ति भी आने चाहिए. उन्होंने इस मामले पर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दीपक प्रकाश से भी बयान देने की मांग की है.