Ranchi : टेरर फंडिंग मामले के आरोपी महेश अग्रवाल की गिरफ्तारी के बाद लगातार डॉट इन इस मामले की धीरे-धीरे खुलासा कर रहा है. खबर के दूसरे अंक में हम आपको यह बता रहे हैं कि कोयला के कारोबार से शुरू हुई कहानी नक्सलियों के साथ सांठगाठ तक कैसे पहुंची. नक्सली-व्यवसाइयों के इस खतरनाक गठबंधन में किसकी क्या भूमिका रही. अपनी खबर के इस अंक में हम उस आरोपी से जुड़े तथ्य को प्रकाशित कर रहे हैं जिसे टेरर फंडिंग का मास्टरमाइंड कहा जाता है.
झारखंड और पश्चिम बंगाल का सफेदपोश व्यवसाई सोनू अग्रवाल. जिसके बारे में कहा जाता है कि चतरा के टंडवा में हुए टेरर फंडिंग का पूरा चक्रव्यूह उसने कोलकाता ,दुर्गापुर और दिल्ली जैसे शहरों से रहते हुए रचा. जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि 10 रुपये के नोट से करोड़ों की लेवी उठवाने और उसे तय जगह पर पहुंचाने का हाईप्रोफाइल सिस्टम भी सोनू अग्रवाल ने ही डेवलप किया था.
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टीपीसी के लिए लेवी मांगे जाने पर पैसे जुटाने की आपराधिक साजिश रची थी
सोनू अग्रवाल को एनआईए ने टेरर फंडिंग मामले का 21वां आरोपी बनाया है. सोनू अग्रवाल मगध आम्रपाली प्रोजेक्ट में कोयले का उठाव कर रही ट्रांसपोर्टिंग कंपनी मेसर्स श्री बालाजी ट्रांसपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड का मालिक है. NIA ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि सोनू अग्रवाल अपने व्यवसाय के सुचारू संचालन के लिए ग्राम समिति के सदस्यों और टीपीसी को लेवी का भुगतान करने के लिए स्थानीय व्यापारियों और अन्य व्यापारियों से नकद राशि की व्यवस्था करता था. उसने सह-आरोपी सुधांशु रंजन उर्फ छोटू सिंह के साथ आतंकवादी गिरोह टीपीसी के लिए आक्रमण गंझू द्वारा लेवी मांगे जाने पर पैसे जुटाने की आपराधिक साजिश रची थी. व्यापारियों को 10 का नोट और वसूल की जाने वाली राशि सोनू अग्रवाल ही तय करता था.
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सोनू अग्रवाल के पास से सिंगापुर और हांगकांग डॉलर बरामद हुआ था
इतना ही नहीं सोनू अग्रवाल के आवासीय परिसर से 7,91,000 रूपये नकद और 10,000 सिंगापुर डॉलर जब्त किए गए. सोनू अग्रवाल के कार्यालय परिसर से 3,72,750 रुपये और 8760 हांगकांग डॉलर को जब्त किया गया था और उपरोक्त नकदी की पुष्टि नामित प्राधिकारी द्वारा आदेश संख्या 11011/08/2018/एनआईए, भारत सरकार दिनांक 07 दिसंबर 2018 के द्वारा आतंकवाद की आय के रूप में की गई थी. एनआईए ने अब तक की अपनी जांच में यह माना है कि सोनू अग्रवाल उर्फ़ अमित अग्रवाल ने आतंकवादी गिरोह टीपीसी के सदस्यों के साथ मिलीभगत की और वहां काम कर रही अन्य कंपनी के व्यवसाइयों के साथ आपराधिक साजिश में टीपीसी को बढ़ावा दिया.
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