Ranchi : झारखंड आदिवासी महोत्सव के आखिरी दिन बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान में देश भर की आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिली. इस भव्य समारोह में मुख्य आकर्षण रहे पद्मश्री मधु मंसूरी ने अपने नागपुरी गीतों से लोगों को झुमाया. जब उन्होंने अपने प्रसिद्ध गीत नागपुर कर कोरा और गांव छोड़ब नहीं गाया तो लोग खुशी से झूम उठे. साथ ही लखन गुड़िया ने अपने गायन और रामेश्वर मिंज ने अपने बांसुरी वादन से लोगों को मन मोहा.
सिद्धी धमाल नृत्य ने सबको आकर्षित किया
इसके अलावा उरांव लोकनृत्य, पाईका नृत्य, डमकच नृत्य, पंचपरगना झूमर नृत्य, गोंड समुदाय का किहो नृत्य, कर्नाटक के आदिवासी समुदाय का दमनी लोक नृत्य, अरुणाचल प्रदेश के निशि समुदाय के रेखम पड़ा नृत्य, असम के हाजोंग समुदाय द्वारा लेवा टाना नृत्य, असम के दिओरी समुदाय द्वारा बिहू नृत्य से पूरे देश की आदिवासी संस्कृति एक ही मंच में देखने को मिली. लेकिन सबसे ज्यादा आकर्षित किया गुजरात के आदिवासी समुदाय द्वारा सिद्धी धमाल नृत्य ने. मूल रूप से अफ्रीकी इस समुदाय ने जब अपना सिद्धी धमाल नृत्य पेश किया, तो ऐसा लगा जैसे अफ्रीका झारखंड की धरती पर आ गया.
दिव्यांगों का फैशन शो
कार्यक्रम का एक और खास आकर्षण रहा परिवर्तन संस्था के दिव्यांगों द्वारा फैशन शो. विविधता में सद्भाव विषय पर आधारित इस फैशन शो के माध्यम से दिव्यांग मॉडलों ने समकालीन फैशन के साथ पारंपरिक आदिवासी सौंदर्यशास्त्र को सहजता से प्रदर्शित किया.
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