Ranchi : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सार्थक प्रयास से लगातार मानव तस्करी के शिकार बालक व बालिकाओं को मुक्त कराकर उनके घरों में पुनर्वासित किया जा रहा है. इसी कड़ी में पश्चिम सिंहभूम जिले की 10 बच्चियों एवं एक महिला एवं सिमडेगा जिले के एक बालक को दिल्ली में मुक्त कराया गया है. इनमें डेढ़ वर्ष की बच्ची भी शामिल है.
मानसिक रूप से अस्वस्थ महिला ने दिल्ली में बच्ची को दिया था जन्म
दिल्ली स्थित एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र की नोडल ऑफिसर नचिकेता ने बताया कि अनु (बदला हुआ नाम) की मां को दिल्ली लाया गया था. उस समय वह गर्भवती थी. उक्त अवस्था में किसी कारणवश वह मानसिक रूप से बीमार हो गई थी. इसी अवस्था में उसने दिल्ली में बच्ची को जन्म दिया. जन्म के पश्चात वह अपने बच्चे को पहचान भी नहीं पा रही थी. दिल्ली पुलिस ने महिला को शॉर्ट स्टे होम में एवं बच्ची को बाल कल्याण समिति को सौंप दिया था. बच्ची वेलफेयर होम में रह रही थी. मां के इलाज के लगभग 1 साल बाद उसने अपनी बच्ची से मिलने की इच्छा जाहिर की. पश्चिम सिंहभूम जिला प्रशासन के सहयोग से बच्ची को उसकी मां से मिलवाया गया एवं एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र की टीम के साथ मां और उसकी बच्ची को झारखंड भेजा जा रहा है.
कई बच्चियों का शारीरिक शोषण किए जाने को लेकर दिल्ली में केस
मुक्त कराए गए बच्चियों में एक 8 साल की है. इस बच्ची के पिता की मृत्यु हो चुकी है. उसके चार भाई-बहनों में दो भाई -बहनों का अता- पता नहीं है. मानव तस्कर द्वारा भेजी गई बच्ची के साथ शारीरिक और मानसिक दोनों तरह का शोषण किया जाता है. कई बच्चियों का शारीरिक शोषण किए जाने संबंधी केस दिल्ली में दर्ज है.
बच्चियों को विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जाएगा
पश्चिम सिंहभूम जिले की जिला समाज कल्याण पदाधिकारी अनीशा कुजूर एवं जिला बाल संरक्षण के शरद कुमार गुप्ता की टीम द्वारा पहल करते हुए मुक्त कराये गये जिला के 10 बच्चियों, एक महिला एवं एक बालक को दिल्ली से स्कॉट किया गया. सभी को ट्रेन द्वारा वापस पश्चिम सिंहभूम ले जाया जा रहा है. इन बच्चियों को समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जाएगा, ताकि बच्चियां पुनः मानव तस्करी का शिकार न बनने पाएं.
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