Ranchi: बैंकों के निजीकरण के विरोध में दो दिवसीय हड़ताल को रांची के बैंककर्मियों ने भी समर्थन दिया है.सोमवार और मंगलवार को राज्य के करीब 45 हजार बैंक कर्मी हड़ताल कर रहे है. बैंक यूनियन के सदस्यों का अनुमान है कि इस दो दिनी हड़ताल के दौरान झारखंड में 11,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है. इस हड़ताल को केवल शहर के बैंक कर्मियों का ही नहीं बल्कि ट्रेड यूनियन, किसान मोर्चा, ग्रामीण बैंक, एआईटीयूसी, सीआईटीयू, एसीटीयू सहित अन्य कई संस्थाओं ने समर्थन दिया है. ऐसे में आम जनता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
हड़ताल के कारण बैकों से पैसा निकासी, जमा,चेक क्लीयरेंस और ऋण मंजूरी जैसी सेवाएं ठप हैं.हड़ताल कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि लोगों की परेशानी कम करने के लिए एटीएम को खुला रखा गया है.पैसा निकालने के अलावा बाकि सभी जुरुरी कामों पर इसका असर पड़ेगा.
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बैंककर्मियों का तर्क, 1947 से लेकर अभी तक 680 प्राइवेट बैंक फेल
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबी) के ज्यॉन्ट कन्वेनर एमएल सिंह ने हड़ताल का समर्थन करते हुए सरकार के निजीकरण का विरोध किया. उन्होंने कहा कि सरकार का यह प्रस्ताव गलत है, क्योंकि इन बैंकों से 174356 करोड़ रुपये को ऑपरेशनल लाभ है.1947-1969 तक 655 निजी क्षेत्र के बैंक फेल हुए हैं.1969 से लेकर अभी तक 25 प्राइवेट बैंक फेल हुए हैं. ऐसे में वर्तमान सरकार का बैंकों का निजीकरण सबसे गलत फैसला है. ऐसा करने से लाभ केवल कॉरपोरेट सेक्टर को मिलेगा. आम जनता की पूंजी बर्बाद होगी.
प्राइवेट सेक्टर लोगों की हित नहीं, खुद पर देती हैं ध्यान
झारखंड सरकार के स्टेट फेडरेशन के जेनरल सेक्रेटरी सुदेश कुमार ने कहा कि सरकर के इस पॉलिसी का विरोध बिल्कुल सही है. बैंकों का निजीकरण करने से देश के हर तबके को परेशानी है.प्राइवेट सेक्टर कभी लोगों की हित के बारे में नहीं सोचता. वह केवल अपना लाभ देखता हैं. साथ ही उनपर सरकार का लगाम भी नहीं होगा तो वो और मनमानी करेंगी. देश का पूरा संपत्ति केवल 4% लोगों तक सीमित रह गया है. बाकि 96% लोगों का शोषण हो रहा है.
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