Vinit Upadhyay
Ranchi : झारखंड कर्मचारी चयन आयोग यानी जेएसएससी की नई परीक्षा संचालन नियमावली अव्यवहारिक है. यह विधि सम्मत प्रतीत नहीं हो रहा है. ये कहना है विधि विभाग का. अपर विधि परामर्शी ने नियमावली के कई बिंदुओं को अव्यवहारिक बताया है. जेएसएससी (प्लस-2) संचालन (संशोधन) नियमावली के अधिसूचना के प्रारूप की विधिक्षा करते हुए अपर विधि परामर्शी ने कहा है कि अधिसूचना के नियम-2 के तहत सिर्फ राज्य के शैक्षणिक संस्थान से ही शैक्षणिक योग्यता प्राप्त अभ्यर्थी को ही पात्र बनाये जाने का प्रावधान है. जबकि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद-14 और 16 के प्रावधानों के मुताबिक नहीं है.
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विधि परामर्शी ने अपर विधि परामर्शी की टिप्पणी पर जताई सहमति
अपर विधि परामर्शी का कहना है कि इस प्रावधान से सिर्फ वैसे ही अभ्यर्थी परीक्षा में बैठने के पात्र होंगे. जिन्होंने सिर्फ राज्य में शिक्षा ग्रहण किया हो, भले ही उनके माता-पिता दूसरे राज्य के निवासी हों. जबकि इस राज्य के निवासी अगर दूसरे राज्य से शैक्षणिक योग्यता प्राप्त करते हैं तो वे पात्र नहीं हो सकते हैं. इसलिए यह प्रावधान व्यवहारिक और विधि सम्मत नहीं लग रहा है. विधि परामर्शी ने विधि पदाधिकारी टिप्पणी पर सहमति जताई है.
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संशोधन को लेकर पहले से ही जताई जा रही आपत्ति
गौरतलब है कि झारखंड सरकार ने कर्मचारी चयन आयोग की 5 परीक्षा संचालन नियमावली और 3 नियुक्ति नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को कैबिनेट में पास कर दिया है. इसके तहत जेएसएससी के द्वारा ली जाने वाली मैट्रिक, इंटर और स्नातक स्तरीय परीक्षाओं में शामिल होने के लिए अभ्यर्थियों को राज्य के मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान से शैक्षणिक अहर्ता पूरी करनी होगी. साथ ही अभ्यर्थी को स्थानीय रीति रिवाज और भाषा की भी जानकारी होनी चाहिए. बीजेपी समेत कई राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया है. उनका भी यही तर्क है कि इस संशोधन से राज्य के बाहर पढ़ने वाले मूलवासी छात्रों के साथ हकमारी होगी.
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