Ranchi : झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) नियुक्ति नियमावली को चुनौती देने को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश डॉ. रविरंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में इस मामले पर सुनवाई हुई. राज्य सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता सुनील कुमार और प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने पक्ष रखा. सोमवार को राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि यहां की भाषाओं को लोग समझें और इसे संरक्षित किया जा सके इसलिए यह प्रावधान किया गया है. इसके साथ वरीय अधिवक्ता सुनील कुमार ने अदालत में सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों का भी हवाला दिया, जिसमें राज्य सरकार ने स्थानीय भाषा को विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं में शामिल किया गया है. राज्य सरकार की ओर से सोमवार को लंबी बहस हुई. जिसके बाद अदालत ने इस मामले की सुनवाई बुधवार को भी जारी रखने का निर्देश दिया है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 7 सितंबर को होगी.
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JSSC नियमावली में किये गए संशोधन को गलत बताया गया
गौरतलब है कि प्रार्थी रमेश हांसदा एवं अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. इसमें राज्य सरकार द्वारा JSSC नियमावली में किये गए संशोधन को गलत बताया गया है. साथ ही इसे निरस्त करने की मांग अदालत से की गई है. याचिका में कहा गया है कि झारखंड सरकार ने नियमावली में संशोधन किया है, जिसके तहत राज्य के संस्थान से ही दसवीं और 12वीं की परीक्षा पास करने वाले छात्र ही नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे. यह नियम सिर्फ सामान्य श्रेणी के छात्रों पर ही लागू होगी, जबकि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के मामले में यह आदेश लागू नहीं होगा. वहीं भाषा के पेपर से हिंदी और अंग्रेजी को भी हटा दिया गया है. जबकि उर्दू, बांग्ला और उड़िया भाषा को शामिल किया गया है. इन शर्तों के कारण JSSC के द्वारा नियुक्तियों के लिए जारी विज्ञापन में कई अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर पा रहे हैं. इसलिए इस नियमावली को रद्द किया जाना चाहिए.
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