Ranchi : झारखंड ट्राइबल डेवलपमेंट सोसाइटी (JTDS) के तहत जिला परियोजना प्रबंधक इकाई रांची में लगभग 700 ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार दे रहे हैं. विभाग इन युवाओं को 40,000 रुपये की आर्थिक मदद देता है. इससे वे अपने गांवों में कोई छोटा बिजनेस जैसे टेंट हाउस, होटल, ऑर्गैनिक फूड खासकर मड़ुआ के लड्डू, आटा, हल्दी आदि का उत्पादन और पशुपालन में आगे बढ़ रहे हैं. इस प्रोग्राम के तहत फिलहाल 148 गांवों को जोड़ा गया है. इसमें 70 यूथ ग्रुप काम कर रहे हैं. हर ग्रुप में 10 से 15 लोग शामिल है, जिसमें ड्रॉपआउट, कॉलेज या स्कूल जाने वाले स्टूडेंट्स, बेरोजगार युवा शामिल हैं.
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झारखंड के मडुआ के लड्डू की दिल्ली में भी है डिमांड
जेटीडीएस की ओर से गांवों में महिला समूह द्वारा बनाये गये लड्डू की डिमांड झारखंड के अलावा अब दिल्ली में भी हो रही है. अगले सप्ताह तक रागी के बने लगभग 25 किलो लड्डू का स्टॉक दिल्ली भेजा जाएगा. पिछले एक वर्ष में इस योजना से जुड़ीं युवती और महिलाओं के समूह ने लगभग 5 क्विंटल लड्डू बनाये हैं. इन सभी को सरकार द्वारा आयोजित मेला और कार्यक्रमों में बेचा जाता है.
मेन स्ट्रीम मार्केट से जोड़ने की चल रही तैयारी
जिला परियोजना प्रबंधक इकाई की अधिकारी जूलीता तीथियो ने बताया कि गांव और ग्रामिणों के संपूर्ण विकास के लिए वहां के युवाओं और महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. इनके द्वारा बनाए गए रागी के लड्डू काफी पौष्टिक है. इसकी गुणवत्ता को देखते हुए हमने FSSAI और फूड सेफ्टी में इन्हें रजिस्ट्रेशन के लिए भेजा है. अगले 6 महीने में ये लड्डू में स्ट्रीम मार्केट में आसानी से उपलब्ध होंगे.
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खुद के खर्च के साथ ही परिवार में भी कर रहीं आर्थिक सहयोग
पुचू पंचायत के बदरी गांव की उजाला देवी 14 युवा लड़कियों के ग्रुप का संचालन करती हैं. इस ग्रुप में 12 वर्ष से लेकर 18 वर्ष की लड़कियां शामिल हैं. स्कूल के दौरान ये सुबह में स्कूल जाती थीं और शाम में काम करती थीं. जेटीडीएस द्वारा दिए गए पैसों से इन्होंने मिलकर गांव में होटल खोला. लॉकडाउन के कारण फिलहाल होटल बंद है, पर इस दौरान उन्होंने रागी के लड्डू का काम शुरू किया. रांची में कई स्टॉल के जरिए अपने प्रोडक्ट बेचकर ये लोग अपने खर्च के साथ ही परिवार में भी सहयोग दे रही है.
केवल बांस और कपड़े से शुरू किया था टेंट हाउस
बुंडू की एदलहातू पंचायत के विष्णु और उनके 17 लोगों का टीम 2015 से पहले बेरोजगार थे. इन युवाओं की टीम के पास कोई काम नहीं था. जेटीडीएस के सहायता राशि मिलने से इन्होंने अपने गांव में टेस्ट हाउस का बिजनेस शुरू किया. पहले केवल टेंट के लिए बांस और कपड़े खरीद कर काम शुरू किया. बिजनेस अच्छा चलने के बाद अब इन्होंने अपने पैसों से टेंट हाउस के सभी सामानों को खरीद लिया है.