Ranchi : JTDS- झारखंड ट्राइबल डेवलपमेंट सोसाइटी ने रांची जिले में Income Generation Program के तहत लाइवस्टॉक रियरिंग के जरिए 700 परिवारों को जीविका का साधन दिया है. सरकार की झारखंड ट्राइबल एमपावरमेंट और लाइवलीहुड योजना को जिले में जिला परियोजना प्रबंधक इकाई द्वारा चलाया जा रहा है. फिलहाल इस योजना से 12 गांवों को लाभ दिया जा रहा है. इस योजना के तहत उन क्षेत्रों को चिह्नित किया गया, जहां सबसे ज्यादा ट्राइबल्स (आदिवासी) हैं. इसके बाद योजना को बुंडू और तमाड़ में शुरू किया गया. इन क्षेत्रों में आदिवासियों की संख्या काफी अधिक है. यहां के लोग केवल खेती पर निर्भर थे. मुर्गी और बकरी पालन काफी छोटे पैमाने पर की जाती थी. वहीं उन्हें कोई बीमारी लगने पर केवल एक परिवार को ही नहीं बल्कि पूरे गांव में जानवर मर जाते थे. वैसे परिवारों को ग्राम सभा की मदद से चिह्नित करते हुए योजना का लाभ देना शुरू हुआ.
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300 परिवारों को मुर्गी और 400 परिवारों को बकरी पालन के लिए दिये गये शेड
झारखंड ट्राइबल एमपावरमेंट और लाइवलीहुड योजना में लोगों को इन्कम जेनरेशन प्रोग्राम से सीधा जोड़ा जाता है. लाइवस्टॉक के जरिए परिवारों को मुर्गी और बकरी पालन के लिए जानवर और उनका शेड बनाकर दिया जाता है. 700 परिवारों में से 300 परिवारों को मुर्गी पालन के लिए शेड और 400 परिवारों को बकरी पालन के लिए शेड दिया गया है. मुर्गी पालन के लिए हर लाभुक को 50 मुर्गियां दी जाती हैं. वहीं बकरी पालन में हर परिवार को 4 बकरी दी जाती है. शुरुआती दौर में उन्हें जानवरों के लिए दाना-खाना भी दिया जाता है.
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पशुओं के स्वास्थ्य की देखरेख के लिए हर गांव में नियुक्त है एक पशु सखी
जानवरों और उनकी देखरेख के लिए जिला परियोजना प्रबंधक इकाई द्वारा समय-समय पर उनका वैक्सीनेशन और हेल्थ चेकअप किया जाता है, ताकि उनकी किसी बीमारी से मृत्यु न हो. साथ ही परिवार का रोजगार में किसी तरह की बाधित न हो. इसके लिए एनजीओ की मदद से हर गांव के लिए पशु सखी की नियुक्ति की गई है. ये पशु सखी गांवों में जानवरों का वैक्सीनेशन, हेल्थ चेकअप जैसी चीजें कर उनके स्वास्थ्य की देखरेख करते हैं. साथ ही गांव वालों को भी इसकी ट्रेनिंग देते हैं.
इसके अवाला इन्हें खेती में भी अच्छी और क्वालिटी फसल की उपज में मदद की जाती है.