Ranchi: झारखंड के किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड वरदान साबित हो रहा है. अक्बूटर के पहले सप्ताह तक राज्य सरकार ने सूबे के 201687 लाभुकों के ऋण के लिए 68,516 लाख रुपये की स्वीकृत दी गयी है. किसानों को कम ब्याज दर पर आसानी से ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है. इससे जहां किसानों को खेती में सहायता मिल रही है, वहीं उन्हें साहूकारों के चंगुल से भी मुक्ति मिल रही है. सीएम हेमंत सोरेन ने निर्देश दिया था कि राज्य के ज्यादा से ज्यादा किसानों को केसीसी से जोड़ा जाए और इसका लाभ उन्हें मिले. इसके बाद विभाग ने इसमें तेजी लायी और 68,516 लाख रुपये ऋण स्वीकृत हुए.
अनु ने केसीसी का लाभ उठाकर खूब कमाया मुनाफा
कांके के पिठोरिया स्थित कम्हरिया गांव के रहने वाले अनु उरांव ने केसीसी के जरिए मिले ऋण का उपयोग हुए ड्रिप एरिगेशन और खेती से जुड़े अन्य कार्यों के लिए किया. उन्होंने ढाई एकड़ में खीरा, टमाटर, पत्तागोभी की फसल लगायी थी. अनु बताते हैं पॉली हाउस में सब्जी की खेती करने का भी फायदा मिला. वे अब अगले सीजन के लिए तरबूज की खेती के लिए तैयारी कर रहे हैं. अनु बताते हैं कि सब्जियों की खेती में प्रति एकड़ 80 से 90 हजार रुपये तक की लागत आती है. सब्जियों की सालभर में तीन फसल ले पाते हैं. सारे खर्च को निकालने के बाद तकरीबन डेढ़ लाख रुपये तक की बचत हो जाती है.
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प्रकाश ने केसीसी से मिले ऋण से गेंहू और सरसों की खेती
गुमला जिले के घाघरा प्रखंड स्थित चुन्दरी नवांटोली गांव के प्रकाश भगत को खेती के लिए पहले साहूकारों से कर्ज लेना पड़ता था. केसीसी लोन मिलने के बाद उन्हें साहूकारों से मुक्ति मिल गयी. उन्होंने कहा कि उनके पास सात एकड़ कृषि भूमि है, जिसमें से आधे हिस्से पर वे धान की खेती करते हैं और आधे में गेहूं की. केसीसी से उन्होंने 46,000 रुपये का ऋण लिया था. इसका उपयोग उन्होंने गेहूं और सरसों की खेती में किया. खेती के नये तरीके अपनाने और मेहनत करने की वजह से अच्छी फसल हुई. प्रकाश बताते हैं कि सारे खर्च निकालने के बाद उन्हें 40,000 रुपये का लाभ हुआ.
आलू और गेहूं की खेती कर रहे खूंटी के नरेश महतो
खूंटी के मान्हो सिलादोन गांव के रहने वाले नरेश महतो को एक महीने पहले ही किसान क्रेडिट कार्ड के बारे में जानकारी मिली. नरेश ने आवेदन किया और उन्हें 50,000 रुपये का ऋण मिला. उनके पास कृषि के लिए लगभग पांच एकड़ भूमि है. हालांकि इसमें से कुछ भूमि पर खेती नहीं हो पाती है. नरेश ने 40 डिसमिल भूमि पर आलू की खेती की है. इसके अलावा वे एक एकड़ भूमि पर गेहूं की फसल लगाने की तैयारी कर रहे हैं. नरेश महतो ने कहा कि केसीसी काफी अच्छी योजना है. इससे किसानों को खेती कार्य के लिए खाद, बीज और जुताई आदि करने में काफी सहूलियत हो रही है.
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गांव-गांव में विभाग की टीम भरवा रही केसीसी फॉर्म- कृषि निदेशक
कषि निदेशक निशा उरांव ने कहा है कि मुख्यमंत्री के आदेश पर युद्ध स्तर पर किसानों को केसीसी मुहैया कराया जा रहा है . कृषक मित्र, एटीएम, बीटीएम व वीएलडब्लू टोलों में घूम कर किसानों से केसीसी फॉर्म भरवा रहे हैं. इसके कारण इस वर्ष अप्रत्याशित रूप से सबसे अधिक केसीसी आवेदन भरवाए गए हैं. यदि किसी त्रुटि के कारण बैंक कुछ आवेदनों को अस्वीकार करते हैं, तो कृषि विभाग के कर्मचारी इन आवेदनों में सुधार कर फिर से बैंक में जमा करा रहे हैं.