Chennai/Thiruvanathapuram : हिंदी थोपकर केंद्र सरकार को एक और भाषा युद्ध की शुरुआत नहीं करनी चाहिए. हिंदी को अनिवार्य बनाने के प्रयास छोड़ दिये जायें और देश की अखंडता को कायम रखा जाये. केरल के CM पिनराई विजयन और तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन ने यह बात राजभाषा पर संसदीय समिति के अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को हाल में सौंपी गयी एक रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया में कहीं. संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में आईआईटी, आईआईएम, एम्स, केंद्रीय विश्वविद्यालयों और केंद्रीय विद्यालयों में अंग्रेजी की जगह हिंदी को माध्यम बनाने की सिफारिश की है.
Kerala CM wrote a letter informing PM Modi of Kerala’s stand of not accepting Parliament committee recommendation to make Hindi language the medium of exams for central services&make it a compulsory study language in educational institutions incl IITs & IIMs, as per media reports pic.twitter.com/XJT1veDgbp
— ANI (@ANI) October 12, 2022
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एक बार फिर हिंदी को लेकर दक्षिण के दो राज्यों का विरोध सामने आया है
बता दें कि एक बार फिर हिंदी को लेकर दक्षिण के दो राज्यों का विरोध सामने आ गया है. खबर है कि केरल के CM पिनराई विजयन ने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिख कर कहा है कि राजभाषा को लेकर बनी संसदीय समिति की सिफारिशों को केरल स्वीकार नहीं करेगा. पिनराई ने कहा कि भारत अनेकता में एकता की अवधारणा से परिभाषित होता है, जो सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को स्वीकार करता है. किसी एक भाषा को दूसरों से ऊपर बढ़ावा देना अखंडता को नष्ट कर देगा. उन्होंने इस मामले में प्रधानमंत्री से दखल देने और और सुधार करने वाले फैसले लेने के मांग की है.
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हिंदी थोपकर केंद्र सरकार को एक और भाषा युद्ध की शुरुआत नहीं करनी चाहिए
इस क्रम में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि हिंदी थोपकर केंद्र सरकार को एक और भाषा युद्ध की शुरुआत नहीं करनी चाहिए. पीएम नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए कहा कि हिंदी को अनिवार्य बनाने के प्रयास छोड़ दिये जाने जाहिए. स्टालिन ने कहा कि ऐसा होने से देश की बड़ी गैर-हिंदी भाषी आबादी अपने ही देश में दोयम दर्जे की रह जायेगी. स्टालिन के अनुसार हिंदी को थोपना भारत की अखंडता के खिलाफ है. कहा कि हमें सभी भाषाओं को केंद्र की आधिकारिक भाषा बनाने का प्रयास करना चाहिए.
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अंग्रेजी को हटाकर केंद्र की परीक्षाओं में हिंदी को प्राथमिकता देने का प्रस्ताव क्यों रखा गया?
उन्होंने पूछा कि अंग्रेजी को हटाकर केंद्र की परीक्षाओं में हिंदी को प्राथमिकता देने का प्रस्ताव क्यों रखा गया? यह संविधान के मूल सिद्धांत के खिलाफ है. आरोप लगाया कि ऐसा करके दूसरी भाषाओं के साथ भेदभाव करने का प्रयास किया जा रहा है. जान लें कि 1965 से ही डीएमके हिंदी को कथित रूप से थोपने के खिलाफ संघर्ष कर रही है.उनके अनुसार हिंदी की तुलना में दूसरी भाषा बोलने वाले लोग देश में ज्यादा हैं. सलाह दी कि भाजपा सरकार अतीत में हुए हिंदी विरोधी आंदोलनों से सबक ले.
पिछले दिनों स्टालिन ने कहा था कि हमें हिंदी दिवस की जगह भारतीय भाषा दिवस मनाना चाहिए. साथ ही केंद्र को संविधान के आठवें शेड्यूल में दर्ज सभी 22 भाषाओं को आधिकारिक भाषा घोषित कर देना चाहिए. कहा था कि हिंदी न तो राष्ट्रीय भाषा है और न ही इकलौती आधिकाारिक भाषा.
हिंदी किसी भाषा की प्रतिद्वंद्वी नहीं हो सकती : अमित शाह
अमित शाह ने सूरत में 14 सितंबर को हिंदी दिवस पर ऑल इंडिया ऑफिशियल लैंग्वेज कॉन्फ्रेंस में कहा था kf मैं एक बात साफ कर देना चाहता हूं. कुछ लोग गलत जानकारी फैला रहे हैं कि हिंदी और गुजराती, हिंदी और तमिल, हिंदी और मराठी प्रतिद्वंद्वी हैं. हिंदी कभी किसी भाषा की प्रतिद्वंद्वी नहीं हो सकती है. हिंदी देश की सभी भाषाओं की दोस्त है.
हिंदी देश की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है
जान लें कि जनगणना में हिंदी के तहत 65 मातृ भाषाएं सूचीबद्ध है. रिपोर्ट्स के अनुसार भारत में 52.8 करोड़ लोगों यानी कुल 43.6% आबादी की मातृभाषा हिंदी है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार सहित देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में हिंदी प्रमुख भाषा है. भोजपुरी लगभग 5 करोड़ भारतीयों की मातृभाषा है. दक्षिण भारतीय भाषाओं में सबसे ऊपर तेलुगु है. 6.7 प्रतिशत आबादी तेलुगु बोलती है.