Saraikela / Kharsawan : शनिवार को खरसावां के रिडींग स्थित पाउड़ी पीठ पर वार्षिक जंताल पूजा का आयोजन किया गया. जंताल पूजा की शुरुआत पूजारी हरिहर प्रसाद सिंहदेव ने मां पाउड़ी की पूजा अर्चना से की. पूजा में अच्छी फसल के साथ-साथ क्षेत्र की सुख-शांति के लिये मन्नत मांगी गई. जंताल पूजा में आस-पास के गांवों के लोग भी पहुंचे थे. पूजा के पश्चात बारिश हुई. जंताल पूजा में बारिश होने को शुभ संकेत माना जाता है. यहां सदियों से पूरे विधि-विधान के साथ मां पाउडी की पूजा की जाती है. रिडींग गांव स्थित मां पाउड़ी का यह शक्ति पीठ क्षेत्र के लोगों के लिये आस्था का केंद्र बना हुआ है.
वार्षिक नुआखाई जंताल पूजा में मिट्टी के बने हाथी-घोड़ा चढ़ेंगे
खरसावां के कुम्हारसाही स्थित मां पाउड़ी की शक्ति पीठ पर रविवार को वार्षिक नुआखाई जंताल पूजा का आयोजन किया जायेगा. पूजा का आयोजन क्षेत्र की सुख-शांति व अच्छी फसल के लिये की जाती है. इसी दिन ही नये धान के पहले फसल से तैयार चावल भी माता के यहां समर्पित की जाती है. भक्त मिट्टी के बने हाथी-घोड़ा भी भेंट करते हैं. पूजा में बड़े पैमाने पर न सिर्फ भक्त पहुंचते हैं, बल्कि बकरा, भेड़ा की बलि दी जाती है. खरसावां के कुम्हारसाही में स्थापित मां पाउड़ी की शक्ति पीठ पर जंताल पूजा का काफी महत्व है. अब तो इस पीठ पर पूजा अर्चना के लिये श्रद्धालुओं का तांता सालों भर लगा रहता है, परंतु वार्षिक जंताल पूजा यहां की प्रमुख पूजा है. मां पाउड़ी को माता भगवती का एक रुप माना जाता है. यहां प्रत्येक सप्ताह गुरुवार को माता पाउड़ी के पीठ पर पूजा की जाती है. जंताल पूजा की यह परंपरा 17 वीं सदी से शुरु हुई है, जो आज भी कायम है. पहले यह पूजा राज परिवार द्वारा किया जाता था. परंतु देश की आजादी के बाद इसका आयोजन राज्य सरकार करती आ रही है.