Kharsawan : खरसावां गोलीकांड के प्रत्यक्षदर्शी और गोलीकांड के शिकार दशरथ मांझी और खुद को बचाने में सफल मांगू सोय के परिजनों को सरकारी सहयोग के साथ सम्मान की आस आज भी है. अब झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार में दोनों परिवार को ज्यादा आस है, क्योंकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन भी अलग झारखंड राज्य के प्रमुख आंदोलनकारी रहे हैं. शहीद दिवस पर शहीद स्थल पर शनिवार को शहीदों को श्रद्धांजलि देने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी आ रहे हैं. उक्त गोलीकांड में एक गोली दशरथ मांझी के पेट की अंतड़ियों को छेद कर निकल गई थी. वहीं मांगू सोय खुद को किसी तरह बचाने में सफल हो गए थे. लेकिन वहां देखते ही देखते लाशें बिछ गई थीं. मांगू सोय का तीन वर्ष और दशरथ मांझी का चार वर्ष पूर्व निधन हो गया है. गोलीकांड में शामिल रहने के बावजूद आज तक जो सरकारी सम्मान मिलना चाहिए था दोनों ही आंदोलनकारी के परिजनों को नहीं मिल पाया है.
खरसावां गोलीकांड का इतिहास
खरसावां गोलीकांड का इतिहास, 15 अगस्त 1947 में भारत की आजादी के बाद यहां की रियासतों का भारतीय लोकतंत्र में विलय का कार्य चल रहा था. सरायकेला-खरसावां दोनों ही देसी रियासत थे, लेकिन यहां की स्थानीय जनता ओडिशा में विलय के खिलाफ थी और इस क्षेत्र को बिहार में सम्मिलित कराना चाहती थी. स्थानीय लोगों ने अपनी इस भावना की आवाज को बुलंद करने के लिए मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के नेतृत्व में एक जनवरी 1948 को इसी खरसावां हाट मैदान में एक सभा का आयोजन किया था. सभा को लेकर तय समय पर यहां हजारों लोगों का जमावड़ा लगा, लेकिन किसी कारणवश इस सभा के नेतृत्वकर्ता जयपाल सिंह मुंडा नहीं पहुंच सके. ऐसे में नेतृत्वविहीन जनता अपनी भावना से खरसावां राजा को अवगत कराने के लिए राजमहल की ओर कूच करने का मन बनाया.
ओडिशा पुलिस ने चलाई अंधाधुंध गोलियां
हजारों की भीड़ को देखते हुए ओडिशा सरकार द्वारा पुलिस तैनात की गई थी. जैसे ही भीड़ राजमहल की और कूच करने लगी तो भीड़ को पुलिस ने आगे नहीं बढ़ने की बात कही. आंदोलनकारी नहीं माने तो पुलिस अंधाधुंध गोली चलाने लगी. इसमें सैकड़ों आंदोलनकारी शहीद हो गए. हालांकि इस घटना में कितने लोग शहीद हुए इसका कोई पुख्ता दस्तावेज सरकार के पास अब तक उपलब्ध नहीं है. इस घटना के बाद भारत सरकार ने बहुल जनता की भावना का सम्मान करते हुए सरायकेला को बिहार राज्य में सम्मिलित कराया. तब से लेकर आज तक एक जनवरी को इस स्थान पर उन वीर शहीदों की याद में श्रद्धांजलि का कार्यक्रम होता है.