Kharsawan: जिला मुख्यालय सरायकेला से करीब 32 दूर खरसावां के अंतिम छोर पर स्थित रायजेमा गांव में रविवार को लोगों ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ का सीधा प्रसारण देखा. कार्यक्रम के सीधा प्रसारण के लिये विशेष व्यवस्था की गई थी. रायजेमा गांव के लोगों की तस्वीर को भी पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम के दौरान ही टेलीविजन स्क्रीन पर साझा किया गया. कार्यक्रम के वीडियो के साथ-साथ इस वीडियो को भी पीएम के ट्वीटर हैंडल से भी मन की बात कार्यक्रम में ट्वीट किया गया. इससे रायजेमा गांव के लोग काफी उत्साहित दिखे.
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ऑर्गेनिक हल्दी की गांठ और हल्दी पाउडर लेकर पहुंचे थे रायजेमा के ग्रामीण
रायजेमा गांव लोग अपने गांव में उपजाये ऑर्गेनिक हल्दी की गांठ और हल्दी पाउडर लेकर पहुंचे थे. बताया गया कि के ‘मन की बात’ में इस ऑर्गेनिक हल्दी पर भी प्रधानमंत्री ग्रामीणों से बात करने वाले थे, मगर किसी वजह से यह नहीं हो सकी. हालांकि प्रधानमंत्री का अपने ट्वीटर हैंडल से यहां की तस्वीर ट्वीट किए जाने से ग्रामीण काफी खुश नजर आए.
भाजपा के कई वरिष्ठ नेता भी थे उपस्थित
खरसावां का रायजेमा गांव घने पाहाड़ियों की तलहटी पर बसा हुआ है और देश भर में ओर्गेनिक हल्दी के लिये जाना जाता है. कार्यक्रम के दौरान टोला कांडेरकुटी, चैतनपुर, रेयाड़दा, गोबरगोंता आदि गांवों के कई लोग रायजेमा गांव में एक पेड़ के नीचे जुटे थे. इस दौरान भाजपा नेता सह पूर्व गृह सचिव जेबी तुबिद, भाजपा प्रदेश महामंत्री प्रदीप वर्मा, प्रदेश मंत्री सुबोध सिंह गुड्डू, जिलाध्यक्ष विजय महतो, उदय सिंहदेव आदि भी मौजूद रहे.
रायजेमा की हल्दी में है सात फीसदी से अधिक करक्यूमिन
सामान्य तौर पर हल्दी में करीब दो से ढ़ाई फीसदी करक्यूमिन होता है, परंतु रायजेमा की ऑर्गेनिक हल्दी में सात फीसदी से अधिक करक्यूमिन पाया गया. यही इस हल्दी की विशेषता है. यहां के आदिवासी समुदाय के लोग बिना किसी उर्वरक के ही पारंपरिक तरीके से हल्दी उपजा रहे हैं. भारत सरकार के जनजाति मंत्रालय के उपक्रम ट्राईफेड के जरिए यहां की हल्दी को देश भर के बाजार में पहुंचाया जा रहा है.
खरसावां-कुचाई के पहाड़ी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर होती है हल्दी के खेती
खरसावां के रायजेमा से लेकर कुचाई के गोमियाडीह तक पाहाड़ियों की तलहटी पर बसे गांवों में बड़े पैमाने पर परंपरागत तरीके से हल्दी की खेती होती है. पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग हल्दी की खेती से जुड़े हुए हैं. क्षेत्र के किसान हल्दी की गांठ से लेकर अपने स्तर से पाउडर बनाकर हाट बाजार में बेचते थे. अब किसानों को हल्दी के पाउडर बेचने के लिये एक अच्छा प्लेटफॉर्म भी मिल रहा है. करीब चार किलो हल्दी की गांठ में एक किलो हल्दी का पाउडर तैयार होता है. गांव के किसान ही हल्दी की प्रोसेसिंग भी कर रहे हैं.