Kaushal Anand/Pravin Kumar
Ranchi: झारखंड बचाओ मोर्चा द्वारा रविवार को पुराने विधानसभा मैदान में आदिवासी-मूलवासी महाजुटान कार्यक्रम में मोर्चा के मुख्य संयोजक और झामुमो के वरिष्ठ विधायक लोबिन हेंब्रम ने अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा किया और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि हम बाहरी लोगों को भगा नहीं रहे हैं. यहां आएं हैं, तो रहें आराम से. मगर हमारा हक न छीनें. कुछ दिनों पहले बिहार में एक वैकेंसी निकली, जिसमें साफ-साफ लिख दिया गया है कि यह सिर्फ बिहार के निवासियों के लिए है. तो झारखंड की नौकरी क्या आरा-छपरा, बलिया के लिए है. उन्होंने कहा कि झारखंड में 81 में 8 विधायक बाहरी हैं. लोबिन ने कहा कि झारखंड किसके लिए बना? झारखंडी कौन? इसकी पहचान कब और कौन करेगा? आखिर हम कहां जाएं. जमीन, भाषा, पहचान, रोजी-रोजगार क्या होगा. झारखंड की नौकरी किसके लिए? यहां की जमीन का बेटा पूछ रहा है, चिह्नित करो झारखंडी कौन.
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गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार को भी आडे़ हाथों लिया
लोबिन हेंब्रम यहीं नहीं रूके. उन्होंने विधायक सुदिव्य कुमार सोनू को भी नहीं छोड़ा. उन्होंने कहा कि ये वही हैं, जो मीटिंग में बोला करते थे कि 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति नहीं बन सकती है, क्योंकि अलग-अलग जिलों में अलग-अलग तिथि में सर्वे हुआ है. अब विश्वास मत के दौरान सदन में कहते हैं कि 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बनेगी.
खतियान आधारित स्थानीय नीति के लिए खून बहाने को भी तैयार
उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन बोलते हैं कि वे शिबू सोरेन के बेटे हैं, डरने वाले नहीं हैं. मगर वे तो डरपोक निकले. यूपीए विधायकों को भाजपा के डर से रायपुर ले गए. जब उनकी विधायकी गयी नहीं तो किस बात का डर. अगर डर था, तो फैसला झारखंड की धरती पर होता.
लोबिन ने आगे कहा कि 2019 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन ने घूम-घूम कर कहा था कि 1932 का खतियान ही झारखंडी पहचान का आधार होगा. मगर अब गद्दी पर बैठने के बाद मामले को उलझा रहे हैं. कभी कहते हैं कि 1932 के आधार पर स्थानीय नीति नहीं बन सकती है. फिर सदन में बहुमत साबित करते वक्त कहते हैं कि 1932 के आधार पर स्थानीय नीति बनेगी. कुछ समझ में नहीं आ रहा है. क्या वे झारखंड की जनता को बेवकूफ समझते हैं. अब झारखंड की माटी खून मांग रही है. खतियान आधारित स्थानीय नीति के लिए अब जरूरत पड़ी तो खून तक बहेगी, खून तक दे देंगे. इससे पीछे नहीं हटेंगे. यह तो ट्रेलर मात्र है.
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मोरहाबादी मैदान में राज्य भर के आदिवासी-मूलवासी जुटेंगे, हर चीज का हिसाब लेंगे
लोबिन ने कहा कि अब रांची के मोरहाबादी मैदान में राज्य भर के आदिवासी-मूलवासी जुटेंगे. हर चीज का हिसाब लेंगे. विधायक लोबिन ने कहा कि जब यूपीए विधायकों को इधर-उधर भगाया जा रहा था, तब मीडिया ने हमसे पूछा सभी विधायक चले गए, आप क्यों नहीं गए. मैंने कहा कि मैं नहीं जाऊंगा, क्यों जाऊं मैं अपना राज्य छोड़कर. अगर टूर करने गए हों, घूमने गए हों, सौदा-पानी करने गए हो, तो अलग बात है. लेकिन रणनीति बनाने गए हो, तो वह रणनीति झारखंड ही बन सकती है. उन्होंने कहा कि जब सीएम की विधायकी गयी नहीं, तो तो फिर बहुमत सिद्ध करने की जरूरत ही क्या थी.
सदन में विश्वास जीत लिया, मगर जनता का विश्वास खो रहे हैं हेमंत: गीताश्री
पूर्व मंत्री एवं मोर्चा नेत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि हेमंत सोरेन 2019 में घूम-घूम कर कहे थे कि 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बनेगी. मगर अब मुकर रहे हैं. कभी कुछ कहते हैं, कभी कुछ और. अब उनपर भरोसा नहीं है. जब तक स्थानीय नीति नहीं बनेगी तब तक यह लड़ाई जारी रहेगी. वे भाजपा की नीतियों का विरोध करते हैं, मगर भाजपा की योजनाओं को आगे बढ़ा रहे हैं. सत्ता में आते ही उन्हें स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को खत्म देना चाहिए था.
उन्होंने कहा कि सदन में भले ही उन्होंने विश्वास जीत लिया है, मगर जनता का विश्वास खोते जा रहे हैं. अब हमलोग झारखंड को चारागाह बनने नहीं देंगे. झारखंड का अपनी स्थानीय नीति, नियोजन नीति, खनन नीति, उद्योग नीति, विस्थापन नीति, भाषा नीति बननी चाहिए. उन्होंने कहा कि झारखंड आदिवासी राज्य है, मगर यहां पर जनजातीय आयोग का गठन नहीं हुआ है.
किसने क्या कहा-
पूर्व सांसद चित्रसेन सिंकू ने कहा – एक व्यक्ति एक समय में दो राज्य का निवासी नहीं हो सकता है, यह बाहर के लोग समझ लें.
पूर्व विधायक मंगल सिंह बोंबोंगा ने कहा – बहुत सह लिया. अब नहीं सहेंगे, अब अपने अधिकार के लिए होगी आर-पार की लड़ाई.
पीसी मुर्मू ने कहा- झारखंड में 81 में आठ विधायक बाहरी हैं, आदिवासी ही आदिवासी जमीन की दलाली कर रहे हैं.
विश्वजीत शाहदेव ने कहा – अब मांग और अपील बहुत हो गया. अब एक्शन में आने का समय आ गया है.
अजय टोप्पो ने कहा- राष्ट्रीय पार्टियां तो झारखंड का विकास नहीं कर सकतीं, आजसू तो भाजपा की पिछलग्गू है. झामुमो को सत्ता में लाया, मगर वह भी वही कर रहा है.
प्रेमशाही मुंडा ने कहा – रांची में 4 हजार आदिवासी जमीन की दखल देहानी का ऑडर हो चुका है, मगर दखल नहीं मिल रहा है. अब तक जमीन पर कब्जा होगा.
कुंदरसी मुंडा ने कहा – जल, जंगल और जमीन हमारी और उस पर बाहरियों का कब्जा अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
विजय शंकर नायक ने कहा- बहुत चुप रह लिए. अब बर्दाश्त के बाहर हो चुका है. अब फिर से उलगुलान का समय आ गया है.
निरंजना हेरेंज टोप्पो ने कहा- झारखंड की पहचान केवल 1932 के खतियान के आधार पर ही हो सकती है. अगर यह नहीं मिला तो झारखंड जलेगा.
अलबिन लकड़ा ने कहा – बाहरी लोग जमीन पर कब्जा कर रहे हैं. अब इनके खिलाफ सीधी कारवाई करने की जरूरत है.
राजू महतो ने कहा- सभी को मिलकर लोबिन हेंब्रम का सहयोग करना है. इनके नेतृत्व में नया उलगुलान करना होगा.
सुशांतो मुखर्जी ने कहा – प्रखंडों में सीओ करा रहे हैं जमीन की हेराफेरी, सीधे सीओ पर कारवाई करनी होगी.
ये मांगें हैं प्रमुख
-1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय एवं नियोजन नीति बनायी जाये.
-पेसा एक्ट, सीएनटी-एसपीटी एक्ट को पूरे राज्स भर में सख्ती से लागू किया जाये.
-झारखंड की सभी 9 भाषाओं को मान्यता देते हुए इसे प्राथमिक स्तर की शिक्षा से लागू किया जाये.
-झारखंड में जनजातीय आयोग का गठन हो. भाजपा की सारी आदिवासी-मूलवासी विरोधी योजना और परियोजना रद्द की जाये.