- इसमें ठेकेदार को लाभ पहुंचाने का बड़ा खेल तो नहीं!
Kiriburu (Shailesh Singh) : हेमन्त सोरेन सरकार में सीएम के प्रेस सलाहकार रहे अभिषेक उर्फ पिंटु का पैठ आज भी पथ निर्माण विभाग में देखने को मिल रहा है. पिंटू द्वारा अपने विशेष करीबी तीन अभियंताओं का सिंडिकेट बना कर पथ निर्माण विभाग की निविदा को मनमाने ढंग से टेंडर अलॉट किया जा रहा है. हेमन्त सोरेन के जेल जाने और पिंटू का ईडी से सामना होने के बाद भी अवैध और गलत ढंग से पथ निर्माण विभाग के स्वजातीय तीन प्रमुख अभियंताओं की मिली भगत से यह सिंडीकेट अरबों की निविदा में व्यारा न्यारा करने का काम कर रहे हैं. आदिवासी राज्य और आदिवासी सरकार में आदिवासी अभियंता को पथ निर्माण विभाग में मुख्य अभियंता नहीं बनाया जाता है. आज भी आदिवासी अभियंता की उपेक्षा हो रही है, इसका कारण यह है कि पिंटू का ही विभाग में चलती है. इस लिए पथ निर्माण विभाग के तीनो क्रीम पोस्ट पर पिंटू के करीबी अभियंता कार्यरत हैं.
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बीते दिनों में मनोहरपुर डिवीजन की गुआ-सलाई (लगभग 2 किलोमीटर) पथ का आरसीसी कार्य के निविदा प्रक्रिया में उक्त अभियंताओं का खेल उजागर हुआ है. यह सड़क वर्षों से खराब है. इस सड़क से लौह अयस्क की ढुलाई प्रतिदिन होती है. खराब सड़क की वजह से लोगों को आवागमन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है तथा दुर्घटना की हमेशा संभावना बनी रहती है. इस सड़क का निर्माण हेतु वर्षों से पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, सांसद गीता कोड़ा, विधायक सोनाराम सिंकु प्रयासरत थे. इनके सामूहिक प्रयास से सड़क निर्माण की स्वीकृति मिली. पहले विभिन्न कारणों से तीन बार इसका टेंडर प्रक्रिया रद्द किया गया. चौथी बार टेंडर हुआ जिसमें पांच संवेदक निविदा प्रक्रिया में शामिल हुये. लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार चार संवेदकों का टेंडर पेपर नहीं खोल एक विशेष संवेदक का टेंडर बीड खोल उसे पूरी दबंगता के साथ नियम विरुद्ध कार्य आवंटित कर दिया गया. यह दो किलोमीटर लंबी सड़क सरीया देकर लगभग 12 करोड़ रुपये की लागत से बनना है.
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सूत्रों अनुसार इस सड़क का शिलान्यास हेतु सांसद गीता कोडा़ द्वारा संवेदक को 11 मार्च अर्थात आज का समय दिया गया था. लेकिन संवेदक द्वारा शिलान्यास कराने से मना कर दिया गया है. इसको लेकर तरह तरह की चर्चा है. कुछ का कहना है कि संवेदक सीएस नहीं होने तथा वर्क आर्डर नहीं मिलने की बात कह शिलान्यास कराना नहीं चाह रहा है, तो कुछ का यह भी कहना है कि विशेष राजनीति के तहत संवेदक को शिलान्यास करने से मना किया जा रहा है ताकि आचार संहिता लग जाये और सांसद गीता कोडा़ को इसका श्रेय नहीं मिले.
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उक्त तीनों अभियंताओं की इतिहास को खंगालने से आश्चर्यचकित खुलासा होने की बात कही जा रही है. कार्यपालक अभियंता के समय काल से टेंडर में सीएस अनुमोदन, टेंडर मैनेज और संवेदकों के साथ मिल कर योजना कार्य में किए गए कार्य से अधिक विपत्र पारित कर भारी कमीशन वसूली आदि बातें कही जा रही है.