Kiriburu (Shailesh Singh) : आरएमडी टूटने के बाद छह जुलाई को बोकारो के इस्पात भवन में झारखंड ग्रुप ऑफ माइंस की पहली व अलग-अलग बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में सेल की किरीबुरु व मेघाहातुबुरु खदान के विभिन्न मजदूर संगठनों के प्रतिनिधियों ने वहां मौजूद कार्यपालक निदेशक, पीएंडए संजय कुमार, कार्यपालक निदेशक, मेघाहातुबुरु खदान के सीजीएम आरपी सेलबम, माइंस जयदीप दास गुप्ता व महाप्रबंधक पीएंडए हरिमोहन झा के सामने समस्याओं की झड़ी लगा दी. दोनों खदानों के मजदूर प्रतिनिधियों ने कहा कि सेल प्रबंधन स्टील प्लांट और खदान में कार्य करने वाले श्रमिकों को अलग-अलग नजर से क्यों देखती है? जहां- जहां स्टील प्लांट है, वहां तमाम प्रकार की सुविधाएं हैं. लेकिन खदान क्षेत्र में चिकित्सा, शिक्षा, पेयजल, मनोरंजन, बेहतर टाउनशिप व आवास आदि किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं है.
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सरकार की गाइडलाइन के खिलाफ 10 प्रतिशत के बजाय आठ प्रतिशत दिया जा रहा है दासा
मजदूर प्रतिनिधियों ने बताया कि बोकारो से लगभग 300 किमी दूर खदानों में कर्मचारी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. सरकार की गाइडलाइन के खिलाफ 10 प्रतिशत के बजाय आठ प्रतिशत दासा दिया जा रहा है. इस पर प्रबंधन की तरफ से बताया गया कि वेज रिवीजन के बाद से ऐसा किया गया है. वहीं, यूनियन नेताओं ने कहा कि सरकार की गाइडलाइन है कि 10 प्रतिशत से कम दासा दे ही नहीं सकते हैं. ऐसे में कर्मचारियों को आठ प्रतिशत किस आधार पर दिया जा रहा है? आर्थिक रूप से नुकसान क्यों कराया जा रहा है?
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कर्मचारियों की भर्ती में दी जाये स्थानीय को प्राथमिकता
दोनों खदानों में ढाई-ढाई हजार नियमित कर्मचारियों के स्थान पर वर्तमान में 450-450 ही बचे हैं. स्थायी कर्मचारियों का काम ठेका मजदूरों से लिया जा रहा है. किरीबुरु व मेघाहातुबुरु खदान में पहले चरण में कम से कम 200-200 नियमित कर्मचारियों की भर्ती की जाये और भर्ती में स्थानीय को प्राथमिकता दी जाये. चतुर्थ श्रेणी की बहाली में ऑल इंडिया स्तर पर भर्ती नहीं लिया जाए. ठेका मजदूरों को भी मेडिकल, आवास की सुविधा दी जाए.
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खदान के लोडिंग कार्य में स्थायी कर्मचारी के बजाय ठेका मजदूरों को लगाने का किया गया विरोध
यूनियन नेताओं ने बताया कि अस्पताल के डॉक्टरों का रवैया ठीक नहीं है. अस्पताल में दवाइयां नहीं मिल रही है. डॉक्टरों के बीच गुटबाजी है. सेल अस्पताल किरीबुरु-मेघाहातुबुरु में स्त्री रोग समेत तमाम रोगों के विशेषज्ञ डॉक्टरों की भर्ती की जाए. सेलकर्मियों के आवासों का सिविल वर्क आधा-अधूरा होता है. क्रमबद्ध तरीके से काम नहीं होता. इस दौरान खदान के लोडिंग कार्य में स्थायी कर्मचारी के बजाय ठेका मजदूरों को लगाने का भारी विरोध किया गया.
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माइंस से एनजेसीएस में हिस्सेदारी की मांग की गई
यूनियन नेताओं ने प्रबंधन को चेतावनी दी गई कि इसे किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा. ठेका मजदूरों से काम नहीं करवाने देंगे. उत्पादन लक्ष्य सेलकर्मी ही हासिल करेंगे. पिछला उत्पादन लक्ष्य 4.6 एमटी का था, इसका 88 प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया जा चुका है. उन्होंने एनजेसीएस को लेकर सवाल उठाते हुये कहा कि एनजेसीएस में रिटायर्ड सदस्यों को शामिल क्यों किया गया है. वर्तमान में जो कर्मचारी हैं, उन्हें ही एनजेसीएस का सदस्य बनाया जाए. कर्मचारियों की पीड़ा को समझने वाला ही एनजेसीएस में शामिल हो. साथ ही माइंस से एनजेसीएस में हिस्सेदारी की मांग भी की गई.
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चतुर्थ श्रेणी की 281 पदों पर बहाली की प्रक्रिया की जाएगी प्रारंभ
प्रबंधन ने मजदूर नेताओं को विश्वास दिलाया की जल्द ही किरीबुरु, मेघाहातुबुरु, गुवा और चिड़िया खदान में चतुर्थ श्रेणी की 281 पदों पर बहाली की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी. साथ ही सेल अस्पताल किरीबुरु में 15 दिनों के अंदर महिला रोग विशेषज्ञ की व्यवस्था की जाएगी. वहीं, 19 जुलाई को होने वाली एनजेसीएस की बैठक में एरियर, डासा, इन्सेंटीव-रिवार्ड, रात्रि पाली भत्ता आदि कॉर्पोरेट स्तर की समस्याओं को समाधान करने की कोशिश की जाएगी. मेघाहातुबुरु स्थित मीना बाजार में जल्द शौचालय का निर्माण व बोकारो स्टील प्लांट के सेलकर्मियों की तरह खदानों के सेलकर्मियों को भी सारी सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी. पेयजल व किरीबुरु टाउनशिप की जर्जर सड़कों की स्थिति को सुधारा जायेगा.
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ये थे उपस्थित
ईडी माइंस जयदीप दासगुप्ता, ईडी पीएंडए संजय कुमार, किरीबुरु के सीजीएम कमलेश राय, डीजीएम पीएंडए अमित कुमार विश्वास, झारखंड ग्रुप ऑफ माइंस के पीएंडए एसएन पंडा, किरीबुरु अस्पताल के सीएमओ डॉ. मुन्ना कुमार व एटक यूनियन को छोड़ बाकी सभी यूनियन के प्रतिनिधि मौजूद थे.
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