Kiriburu : झारखंड में बालू का अवैध खनन रोकने व राज्य के लोगों को उचित मूल्य पर बालू उपलब्ध कराने के लिए पूर्व विधायक सह झारखंड अलग राज्य के आंदोलनकारी मंगल सिंह बोबोंगा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र में कहा है कि कई वर्षों से झारखंड में बालू घाटों की नीलामी नहीं होने से व्यापक स्तर पर अवैध व प्रायोजित तरीके से बालू का अवैध कारोबार चलाया जा रहा है. वर्तमान विधानसभा सत्र में भी पक्ष और विपक्ष ने सवाल उठाया, लेकिन बालू के अवैध कारोबार बेरोक-टोक जारी है. ऐसे हालात को देख कर तो यही लगता है कि आपकी सरकार अवैध कारोबार की ही सरकार है. इसलिए इस क्षेत्र के सत्तधारी मंत्री व जनप्रतिनिधि बेखौफ होकर जिला प्रशासन के इशारे पर इस अवैध कारोबार का संचालन करवा रहे हैं. देश के किसी भी राज्य में इस प्रकार सरकारी संरक्षण में खुलेआम अवैध धंधा देखने को नहीं मिला है.
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उपभोक्ताओं को दो हजार रुपये का बालू पांच हजार में पड़ रहा है खरीदना
उन्होंने कहा कि सरकार के इस रवैये की वजह से राज्य के उपभोक्ताओं को दो हजार रुपये का बालू पांच हजार में खरीदना पड़ रहा है. इस पर प्रशासन भी लाचार है. राज्य के राजस्व की चोरी किस कदर हो रही है उसका अंदाजा जैतगढ़ नदी से लगाया जा सकता है. नदी क्षेत्र का बालू बिना नीलामी के लगभग खत्म होता जा रहा है. जैतगढ़ बालू घाट क्षेत्र में अपना ट्रैक्टर लगाने वाले मालिकों का कहना है कि ट्रैक्टर लगाने के एवज में प्रति माह प्रत्येक ट्रैक्टर से 15 हजार की राशि वसूल की जाती है. जो विभिन्न पदाधिकारियों के हिस्सेदारी के अलावा पदाधिकारियों के जरिये आप तक पहुंचाने की बात भी की जाती है.
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डीपो से 1000-1500 रुपये में खरीदकर उपभोक्ताओं के पास पहुंचायी जाती है
बोबोंगा ने कहा कि अलग से ट्रैक्टर वालों को बालू डीपो से 1000-1500 रुपये में खरीदकर उपभोक्ताओं के पास पहुंचायी जाती है. निजी व जरूरतमंद मकान बनाने वालों को काफी महंगें में बालू खरीदना पड़ रहा है. अगर सरकार बालू का अवैध कारोबार नहीं रोक सकती है तो इसका मूल्य निर्धारित हो और मूल्य निर्धारण का बोर्ड भी लगा दिया जाये. ताकि किसी को भी उससे एतरज नहीं हो. बालू घाटों की बिना निलामी के करोड़ों रुपये की योजनाएं चलाई जा रही है. इतना व्यापक पैमाने पर बिना सरकार के इशारे व सत्ताधारी सफेदपोस नेताओं के बिना मिलीभगत के यह अवैध धंघा संभव नहीं है.
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