Kiriburu (Shailesh Singh) : सारंडा के दर्जनों गांवों के ग्रामीण, पुलिस-प्रशासन के अधिकारी व जवान, शिक्षक-शिक्षिकायें, स्कूली छात्र-छात्रायें, वन विभाग के अधिकारी, चिकित्सा टीम आदि किरीबुरु-करमपदा मुख्य ग्रामीण सड़क मार्ग पर कलैता गांव के समीप स्थित रेलवे क्रॉसिंग पर प्रतिदिन घंटों खड़ी रहने वाली मालगाड़ी से परेशान रहते हैं. यह समस्या दशकों से बनी हुई है. रेलवे इसका स्थायी समाधान नहीं कर पा रहा है. उल्लेखनीय है कि रेलवे ने यह रेल लाइन सिर्फ सेल की किरीबुरु एवं मेघाहातुबुरु लौह अयस्क खदान से लौह अयस्क की ढुलाई हेतु बिछाया है. दोनों खदानों से प्रतिदिन लगभग 8-10 रैक लौह अयस्क अन्यत्र भेजी जाती है.
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कोई भी रैक जब करमपदा से मेघाहातुबुरु लोडिंग साइडिंग में जब प्लेसमेंट किया जाता है तब उस रैक को सबसे पहले इसी रेलवे क्रॉसिंग पर लगभग डेढ़-दो घंटे तक खड़ा कर दिया जाता है. यह रैक किसी भी अलग-अलग समय में खड़ी हो जाती है. इससे इस मार्ग पर घंटों आवागमन ठप रहता है. इससे सारंडा के गांवों में जाने अथवा वहां से शहरों में आने वाले तमाम लोग परेशान रहते हैं. सबसे ज्यादा परेशानी तो तब होती है जब गंभीर मरीज को अस्पताल पहुंचाना होता है. इस क्रॉसिंग के अलावे दूसरा कोई रास्ता नहीं है, जिसके सहारे लोग पार हो सकें. कलैता से जुम्बईबुरु होकर दूसरा रास्ता है, लेकिन वह 8-10 किलोमीटर दूर है.
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करमपदा निवासी लक्ष्मी कुमारी व अन्य महिलाओं ने बताया कि रेलवे या तो यहां अंडरपास बनायें या फिर इस क्रॉसिंग पर मालगाड़ी को किसी भी परिस्थिति में खड़ा नहीं करे. अगर इस समस्या का समाधान नहीं करती है तो हमलोग परेशान होकर माल ढुलाई को ठप करने पर मजबूर होंगे. उन्होंने बताया कि प्रतिदिन तीन-चार बार ऐसी स्थिति का सामना हम ग्रामीणों को करना पड़ता है. एक बार मालगाड़ी खड़ी होने से दो-तीन घंटा फंसे रहना पड़ता है.
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देर शाम में अगर मालगाड़ी खड़ी हो जाये तो हमें घने जंगल होकर घर जाने में देर रात हो जाती है. इससे हमलोग असुरक्षित महसूस करते हैं. इससे बच्चों का स्कूल बस, एम्बुलेंस या अन्य वाहनों के आने-जाने समेत बाहरी पर्यटक, ग्रामीणों को हाट-बाजार जाने आदि में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. रेलवे व सेल प्रबंधन अपनी लाभ हेतु सारंडा के हम ग्रामीण को परेशानी में न डाल इस समस्या से मुक्ति दिलाये.