Kiriburu (Shailesh Singh) : नक्सल प्रभावित सारंडा के घने जंगल में बसा गंगदा पंचायत का काशिया-पेचा गांव मूलभूत सुविधाओं से आज भी वंचित है. गांव के पास में ही सेल की गुवा खदान, रुंगटा एवं ओएमएम की बंद पड़ी खदानें है. फिर भी दोनों गांवों में बेरोजगारी व विकास की कोई किरण नहीं पहुंची है.
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गांव में सड़क तक नहीं
उल्लेखनीय है कि सारंडा स्थित काशिया और पेचा दो अलग-अलग गांव है. प्रायः लोग दोनों गांव को एक हीं नाम काशिया-पेचा से जानते हैं. गांव क्षेत्र का जंगल पहले नक्सलियों का कॉरिडोर था. भाकपा माओवादी नक्सली इसी क्षेत्र से सारंडा व कोल्हान के जंगलों में सुरक्षित आना-जाना करते थे. सरकार व पुलिस-प्रशासन ने भी नक्सल प्रभावित ऐसे गांवों को विशेष प्राथमिकता के तहत सड़क कनेक्टिविटी व अन्य बुनियादी सुविधाओं से जोड़ने की बात कही है. इसके बावजूद गांव में सड़क तक नहीं है. यहां के ग्रामीण निरंतर मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर आंदोलन करते रहते हैं.
आंगनबाड़ी केन्द्र जर्जर अवस्था में
काशिया-पेचा गांव निवासी मंगता सुरीन ने बताया कि काशिया गांव घाटकुड़ी स्थित पीडब्ल्यूडी सड़क से लगभग एक किलोमीटर दूर है. इस गांव तक पहुंचने के लिए अभी पीसीसी सड़क बनाया जा रहा है. काशिया गांव में लगभग 50 परिवार रहते हैं. लेकिन यहां ना स्कूल है ना आंगनबाड़ी केन्द्र . काशिया गांव से लगभग पांच किलोमीटर दूर पेचा गांव है. यहां जाने के लिए कोई सड़क नहीं है. गांव में लगभग 90 परिवार रहते है. यहां पांचवीं वर्ग तक का एक सरकारी स्कूल है इसमें लगभग 70 बच्चे पढ़ते हैं. आंगनबाड़ी केन्द्र जर्जर अवस्था में है. वर्षा में शिक्षकों को स्कूल आने में परेशानी होती है. यहां पेयजल आपूर्ति के लिए जलमीनार तो बनाया गया है, लेकिन आज तक चालू नहीं हो पाया. ग्रामीणों को सालों भर पानी रूंगटा कंपनी द्वारा लगाए जलमीनार से मिलती है.
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बेरोजगारों को रोजगार दिलाने की मांग
काशिया-पेचा व पेचा गांव के ग्रामीणों की मुख्य मांग है कि जिला प्रशासन व सरकार काशिया से पेचा एवं पेचा से बाईहातु तक कुल 11 किलोमीटर सड़क का निर्माण यथाशीघ्र कराये. ताकि ग्रामीण अपना वनोत्पाद व कृषि उत्पाद बेच कर जीविकोपार्जन कर सके. सेल की गुवा खदान में गांव के बेरोजगारों को रोजगार दिलाये.
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