Kiriburu (Shailesh Singh) : पश्चिम सिंहभूम जिला अन्तर्गत कोल्हान रिजर्व वन क्षेत्र का शत फीसदी जंगल अत्यन्त नक्सल प्रभावित है. यह जंगल टोंटो, जेटेया, गुवा, मनोहरपुर, गोईलकेरा, सोनुवा थाना सीमा से लगा हुआ है. इस घने जंगल में हमेशा ऑपरेशन चलाने के बावजूद भी पुलिस नक्सल मुक्त क्यों नहीं करवा पा रही है. इसका एकमात्र कारण यहां की भौगोलिक स्थिति है. कोल्हान का यह जंगल सारंडा और पोडा़हाट जंगल से लगा है. यहां की भौगोलिक स्थिति नक्सलियों का लाल कॉरिडोर है. यहां से नक्सली ओडिशा, झारखंड, बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में आना-जाना करते हैं. पश्चिम सिंहभूम की लौह अयस्क का कारोबार, जंगल का तेंदू पत्ता, लकड़ियों की तस्करी, बालू व विकास योजनाओं से मिलने वाली करोड़ों की लेवी इनके लिए उर्वरक का काम करती है. इसी वजह से नक्सली पश्चिम सिंहभूम के जंगल को छोड़ना नहीं चाहते हैं.
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कई इनामी नक्सली हैं यहां सक्रिय
इस जंगल में एक करोड़ रुपये का इनामी पोलित ब्यूरो सदस्य मिसिर बेसरा उर्फ भाष्कर उर्फ सुनिर्मल जी, पिता- दर्पन भास्कर, ग्राम- मदनडीह, थाना पीरटांड़ (गिरिडीह), एक करोड़ रुपये का इनामी केन्द्रीय कमिटी सदस्य पतिराम माझी उर्फ अनल दा, पिता- टोटो उर्फ तारु माझी, ग्राम- झरहाबाले, थाना- डुमरी (गिरिडीह) सक्रिय है. 25 लाख रुपये का इनामी तथा सैक सदस्य करमचंद हंसदा उर्फ चमन उर्फ लंबू, पिता- मरांग दा, ग्राम- बेलाटाड़ (जोरनाबेडा़), थाना- पीरटांड (गिरिडीह), 25 लाख रुपये का इनामी सह सैक सदस्य लालचंद हेम्ब्रम उर्फ अनमोल उर्फ समर जी उर्फ सुशांत, पिता- स्व0 धानु हेम्ब्रम, ग्राम- बंसीटोला, थाना- नावाडीह (गिरिडीह) सक्रिय है. 15 लाख रुपये का इनामी अमित मुंडा उर्फ सुखलाल मुंडा, पिता- सुखराम मुंडा, ग्राम- तामराना, थाना- तमाड़ (रांची), 15 लाख रुपये का इनामी मेहनत उर्फ मोछू उर्फ विभीषण, पिता- बैजन मुर्मू, ग्राम- घोड़ाबन्धा, थाना- बरवाअड्डा (धनबाद), दो लाख रुपये का इनामी सागेन अंगारिया उर्फ श्यामलाल, पिता- डांगुर अंगारिया, ग्राम- सांगाजाटा, थाना- गोईलकेरा (पश्चिम सिंहभूम) के अलावे सारंडा के छोटानागरा थाना अन्तर्गत दुमांगदिरी (थोलकोबाद) निवासी कांडे होनहागा, सोनुवा थाना अन्तर्गत कुदाबुरु गांव निवासी सालुका कायम समेत लगभग 200 की संख्या में बडे़-छोटे स्तर के हथियारबंद नक्सली सक्रिय हैं. इनमें कई महिलाएं भी हैं. ये सभी कोल्हान वन क्षेत्र में अलग-अलग ग्रुप में अलग-अलग पहाड़ी पर मौजूद हैं. इसी जंगल में एक करोड़ का इनामी सह पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस उर्फ किशन दा और उनकी पत्नी शीला दी रहती थी. वे बुढा़ पहाड़ से कोल्हान जंगल आने के दौरान चौका थाना क्षेत्र से पकड़े गये थे.
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मुख्य रणनीतिकार मिसिर बेसरा, भजीता सीआरपीएफ जवान
एक करोड़ रुपये का इनामी मिसिर बेसरा नक्सलियों का मुख्य रणनीतिकार है. नक्सली बनने के बाद मिसिर बेसरा का गांव आना-जाना नहीं के बराबर है. संगठन में जैसे-जैसे कद बढ़ा, उसने गांव छोड़ दिया. मिसिर पढ़ने में काफी तेज था. उसने स्नातक तक पढ़ाई की है. यह वह दौर था, जब इलाके में दिशोम गुरु शिबू सोरेन झारखंड अलग राज्य आंदोलन कर आदिवासियों को एकजुट कर रहे थे. उनके तेवर से मिसिर बेहद प्रभावित हुआ था. बाद में शिबू सोरेन पारसनाथ छोड़कर संताल परगना चले गए. पारसनाथ में माओवादियों का कब्जा हो गया. तब 1985 में मिसिर भी नक्सली संगठन में शामिल हो गया. अपनी कुशाग्र बुद्धि, विभिन्न भाषाओं में मजबूत पकड़ के साथ बेहतरीन लेखन शैली के दम पर उसने भाकपा माओवादी में कुछ समय में ही अलग पहचान बना ली. सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते हुए वह पोलित ब्यूरो तक जा पहुंचा. मिसिर बेसरा का भतीजा सुशील कुमार सीआरपीएफ में भर्ती होकर नक्सलियों से लोहा ले रहा है.
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पीरटांड़, टुंडी, तोपचांची में पतिराम ने नक्सलियों को किया मजबूत
पतिराम माझी उर्फ अनल दा 1987 से 2000 तक पीरटांड़-टुंडी-तोपचांची इलाके में गोपाल दा के नाम से चर्चित था. इस दौरान इस इलाके में उसने अपना सिक्का चलाया. इस क्षेत्र में उसने नक्सलियों को मजबूत किया. सूत्रों के अनुसार बाद में उसे जमुई भेज दिया गया. जमुई में वह एक बार गिरफ्तार हुआ था. इसके बाद 2000 में गिरिडीह जेल से जमानत पर निकलने के बाद उसने रांची, गुमला की कमान संभाल ली. इसके बाद पतिराम मांझी को गिरिडीह का कमान दिया गया था. गिरिडीह में पुलिस के बढ़ते दबिश से पतिराम गिरिडीह छोड़कर कोल्हान व पोड़ाहाट इलाके के ट्राईजंक्शन को अपना ठिकाना बनाया. यहीं से उसने बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया. वह लगातार पुलिस को चुनौती दे रहा है.
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2018 में प्रशांत व मिसिर की तीन बार पुलिस से हुई मुठभेड़
14-15 अप्रैल 2018 को कोल्हान रिजर्व वन क्षेत्र के जंगल बोरोई, सांगाजाटा, पराल में नक्सलियों के खिलाफ जारी ऑपरेशन के दौरान तीन दिनों तक रुक-रूक कर प्रशांत बोस और मिसिर बेसरा की टीम के साथ भीषण मुठभेड़ हुई थी. इस मुठभेड़ में लैंड माईन विस्फोट करते हुये सारे नक्सली टोंटो थाना क्षेत्र के सारजोमबुरु और रेंगड़ा पहाड़ी पर भाग गये थे. नक्सलियों ने वृद्ध प्रशांत बोस को विशेष प्रकार की डोली से उठाकर उस पहाड़ी पर सुरक्षित पहुंचाया था. इसकी जानकारी पुलिस को मिलने के बाद पुनः 11 मई 2018 को कोल्हान जंगल स्थित संतरा जंगल की ऊंची पहाड़ियों पर नक्सलियों और कोबरा, सीआरपीएफ, झारखंड जगुआर और झारखंड पुलिस के जवानों की संयुक्त टीम के साथ भीषण मुठभेड़ हुई. यहां से प्रशांत बोस की डोली, सर्जिकल औजार समेत भारी मात्रा में सामान व हथियार बरामद किया गया था. उक्त जंगलों में तीन-चार बार हुई बड़ी मुठभेड़ के बाद भी नक्सली अपने पुराने स्थानों को नहीं छोड़ रहे हैं.