Kiriburu (Shailesh Singh) : बड़ाजामदा-छोटानागरा मुख्य सड़क मार्ग पर झाड़बेड़ा गांव के पास सारंडा घाटी में लगभग 50 फीट तक धंसे सड़क की स्थिति की जांच राष्ट्रीय राजमार्ग के पदाधिकारी करेंगे. उल्लेखनीय है कि 20 अगस्त को हुई भारी वर्षा में यह सड़क धंसकर पूरी तरह से टूट गया था. घटना के बाद पुलिस-प्रशासन ने इस सड़क मार्ग पर भारी वाहनों का परिचालन रोक दिया था. साथ ही भारी वाहनों का रूट डायवर्ट कर बराईबुरु-गुवा-सलाई मार्ग कर दिया गया है. वहीं, मामले की जानकारी उपायुक्त को मिलने के बाद उपायुक्त ने घटना की सूचना राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़े चाईबासा के एसडीओ व जेई को दी है. इसके बाद उक्त अधिकारी सक्रिय हुये हैं व विभिन्न ठेकेदारों को फोन कर घटनास्थल वाले क्षेत्र की घेराबंदी करा क्षतिग्रस्त सड़क संबंधी बोर्ड लगाने का आदेश दिया गया है.
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तीन वर्ष पूर्व भी बरसात के मौसम में धंसा था सड़क
उल्लेखनीय है कि इस राज्य मार्ग को एक वर्ष पूर्व ही राष्ट्रीय राज मार्ग घोषित किया गया है. उसके बाद से ही झारखंड सरकार की पथ निर्माण विभाग ने इस सड़क की मरम्मत व देखरेख करना छोड़ दिया है. जहां यह सड़क धंसा है, वहां पहले भी सड़क धंसते रहा है. तीन वर्ष पूर्व भी बरसात के मौसम में यहां सड़क धंसा था, तब यह राज्य मार्ग था. उस समय मनोहरपुर पीडब्ल्यूडी विभाग ने आनन-फानन गार्डवाल बनाने का कार्य मनोहरपुर के ठेकेदार शिव कुमार गुप्ता को दिया था.
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दर्जनों स्थान पर मजबूत गार्डवाल बनाने की जरूरत
वहीं, शिव कुमार गुप्ता ने लगातार न्यूज को बताया कि तब उन्होंने ढाई लाख रुपये में गार्डवाल बनाया था. उक्त स्थान पर सड़क किनारे गहरे खाई से गार्डवाल उठाने से सड़क नहीं धंसता. लेकिन मात्र ढाई लाख की राशि से सिर्फ ऊपरी हिस्से से ही अस्थायी गार्डवाल बनाया गया. स्थायी गार्डवाल बनाने में लगभग 20-25 लाख रुपये खर्च होते, लेकिन विभाग ने इसका टेंडर नहीं किया. इस कारण अच्छा कार्य नहीं हुआ. उक्त मार्ग पर दर्जनों स्थान पर मजबूत गार्डवाल नीचे खाई से बनाने की जरूरत है अन्यथा कई स्थानों पर सड़क धंस व टूट सकती है.
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सड़क प्रारंभ से ही ठेकेदारों व विभागीय अधिकारियों की लूट का रहा है केन्द्र
विदित हो कि बराईबुरु से सैडल, छोटानागरा होते मनोहरपुर की सड़क प्रारंभ से ठेकेदारों व विभागीय अधिकारियों की लूट का केन्द्र रहा है. इस सड़क की गुणवत्ता, गार्डवाल, सड़क किनारे की झाड़ियों की कटाई, क्षतिग्रस्त सड़क की मरम्मत आदि तमाम कार्यों में भारी भ्रष्टाचार व अनियमितता बरती जाती रही थी. लेकिन कभी उच्च स्तरीय जांच नहीं की गई. क्योंकि नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से ठेकेदार अधिकारियों को नक्सल गतिविधियां होने की गलत जानकारी देकर कार्य स्थल पर आने नहीं देते थे. अब राष्ट्रीय राज मार्ग होने से शायद इस सड़क की स्थिति सुधरे.
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