Kiriburu (Shailesh Singh) : नक्सल प्रभावित सारंडा रिजर्व वन क्षेत्र के सुदूरवर्ती इन्क्रोचमेंट एवं वन ग्रामों में पुलिस को अपना सूचना तंत्र और मजबूत करने की विशेष जरुरत है. वर्ष 2011 में पुलिस व सीआरपीएफ ने अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन ऐनाकोंडा चलाकर सारंडा जंगल से नक्सलियों का सभी स्थायी कैंप ध्वस्त कर उन्हें कोल्हान व पोड़ाहाट वन प्रमंडल के जंगलों में भगाने में सफलता पाई थी. पिछले कुछ वर्षों के दौरान पुलिस ने पोड़ाहाट जंगल में सक्रिय महाराज प्रमाणिक, जीवन कंडुलना, सुरेश मुंडा आदि बडे़ नक्सलियों को आत्मसमर्पण कराकर तथा बडे़ आपरेशन चलाकर पोड़ाहाट जंगल को भी लगभग नक्सल गतिविधियों से मुक्त कर सभी नक्सलियों को कोल्हान वन प्रमंडल के जंगलों में सीमित कर दिया है.
इसे भी पढ़ें : चक्रधरपुर : माता सोलापुरी की प्रतिमा स्थापना के लिए की गई राटा पूजा
कोल्हान रिजर्व वन क्षेत्र अन्तर्गत टोंटो एवं गोईलकेरा थाना क्षेत्र के जंगलों में भाकपा माओवादी नक्सलियों के खूनी पंजों की पदचाप एवं पुलिस-सीआरपीएफ की बूटों की थाप तथा गोलियों व बमों की गर्जना से पूरा कोल्हान जंगल रणक्षेत्र बना हुआ है. पुलिस से बचने के लिये नक्सलियों ने पूरे जंगल को लैंड माईन, बुबी ट्रैप, स्पाईक होल आदि से पाट दिया है. पुलिस भी नक्सलियों की पूर्ण घेराबंदी करते हुये उनके गढ़ में लगभग 12 पुलिस कैंप स्थापित कर उनकी गतिविधियों को नियंत्रित कर उन्हें भागने पर विवश कर चुकी है. इस क्रम में सैकड़ों लैंड माईन, बुबी ट्रैप, स्पाईक होल आदि को बरामद कर नष्ट कर दिया है. पुलिस की घेराबंदी से नक्सलियों में खलबली व बौखलाहट भी है.
इसे भी पढ़ें : हजारीबाग: पारिवारिक तनाव से परेशान युवक ने लगाई फांसी
कोल्हान वन क्षेत्र से अगर नक्सली भागेंगे तो निश्चित है कि वे पोड़ाहाट एवं सारंडा जंगल की ओर पुनः रुख करेंगे. सारंडा में उन्हें स्थायी कैम्प स्थापित करना आसान नहीं होगा, क्योंकि यहां पहले से लगभग 10-12 कैम्प हैं. नक्सली इन्क्रोचमेंट गांव व ओडिशा सीमा से लगे जंगलों में आशियाना बना सकते हैं. पुलिस इन क्षेत्र के गांवों में अब भी अपना सूचना तंत्र मजबूत नहीं कर पाई है. इसका लाभ कुछ पल के लिये नक्सली उठा सकते हैं. यह अलग बात है कि विलम्ब से सूचना मिलने पर पुलिस कार्यवाही कर उसे भगाने या अस्थिर करने का कार्य करे, लेकिन जरूरी यह है कि अभी से ही पुलिस इसके लिये सारंडा में अपनी तैयारी व सूचना तंत्र को बेहतर व मजबूत करे. अन्यथा मेहनत अधिक करनी पडे़गी. इधर नक्सलियों ने सारंडा के सुदूरवर्ती गांवों में अपनी महिला विंग अर्थात नारी मुक्ति संघ को संगठन का विस्तार हेतु सक्रिय करना प्रारम्भ कर दिया है.