Kiriburu (Shailesh Singh) : झारखंड सीमा से सटे ओडिशा के चम्पुआ और बिसरा स्थित सरकारी बालू घाटों से एक हीं चलान से दर्जनों हाईवा बालू की ढुलाई कर राजस्व की चोरी बालू माफिया कर मालामाल हो रहे हैं. इस धंधे में खनन विभाग के अधिकारी भी लिप्त बताये जा रहे हैं. ओडिशा से बालू की तस्करी जैतगढ़ एवं जराईकेला के रास्ते लाकर झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों में महंगे दामों पर बेची जा रही है. विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि ओडिशा के बालू घाटों से ऑनलाइन चलान नहीं काटने का फायदा माफियाओं को मिल रहा है.
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सरकार को लग रहा राजस्व का
ये लोग विभाग से बिना तिथि व वाहन का नम्बर डाले कुछ चलान अवैध तरीके से प्राप्त कर लेते हैं. इसी चलान पर कई दिनों तक बालू की ढुलाई करते रहते हैं. अगर रास्ते में पकडे़ जाने का संदेह होता है तो चालक चलान पर वाहन संख्या व तिथि तुरंत भर लेते हैं. ताकि जांच में उनका वाहन पकड़ाने से बच जाये. इसके अलावे चलान पर क्वांटिटी परमिटेड के स्थान पर लिखे 12 सी, अर्थात 400 सीएफटी बालू की जगह वह 600 सीएफटी ओवर लोड बालू की निरंतर तस्करी कर सरकारी राजस्व को चूना लगा रहे हैं. एक हीं चलान में भरे गये शब्द के अक्षर भी आपस में मेल नहीं खाते हैं, अर्थात देखने से साफ पता चलता है कि कोई दो व्यक्ति का भरा हुआ चलान है. कई हाइवा बालू तो बिना किसी कागजात के ले जाते हैं.
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खनन विभाग की भूमिका संदिग्ध
उक्त दोनों तरफ अंतरराज्यीय सीमा पर खनन विभाग अथवा पुलिस की कोई भी चेकनाका नहीं होने की वजह से बालू की अवैध तस्करी निरंतर जारी है. लोगों का कहना है कि अगर चेकनाका होता तो यह अवैध कारोबार पर काफी हद तक रोक लगती. क्योंकि चलान में माफिया तिथि व वाहन नम्बर लिखकर हमेशा ले जाते है. खनन विभाग की भूमिका भी संदिग्ध होने की वजह से लोगों का इस विभाग से भरोसा उठ रहा है.
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