Kiriburu (Shailesh Singh) : पंचायत सचिवालय अर्थात पंचायत भवन के बिना हीं सारंडा स्थित चार पंचायत किरीबुरु पूर्वी, पश्चिम तथा मेघाहातुबुरु उत्तरी व दक्षिणी का कामकाज भगवान भरोसे चल रहा है. पंचायत भवन के अभाव में चारों पंचायत का अधिकतर कार्य प्रभावित है जिससे जनता परेशान है. उल्लेखनीय है कि किरीबुरु पूर्वी पंचायत का भवन बराईबुरु में वर्ष 2017 से बनना प्रारम्भ हुआ था. लेकिन तीन ठेकेदार बदलने के बाद भी आज तक यह पंचायत भवन पूर्ण नहीं हो पाया. वर्ष 2017 में इस पंचायत भवन का ठेका चाईबासा की एक ठेका कंपनी को दिया गया था. उसने यह काम पेटी में गुवा की आशीर्वाद कंपनी को दिया. इसने फाउंडेशन तक कार्य करके छोड़ दिया. वर्षों तक काम बंद रहने के बाद इस काम के लिए दुबारा निविदा निकाला गया और लगभग 25 लाख रुपये की लागत से पंचायत भवन का निर्माण का दुबारा ठेका शुभम इंटर प्राईजेज को दिया गया. इसने भवन तो बनाया लेकिन शौचालय, विद्युत वायरिंग, डीप बोरिंग आदि का कार्य नहीं किया. शुभम इंटरप्राईजेज के मालिक गणेश गुप्ता ने बताया कि हमारे वर्क आर्डर में शौचालय, वायरिंग, डीप बोरिंग एंव पानी कनेक्शन देने का कार्य नहीं था. इस कार्य का दायित्व चाईबासा की एक ठेका कंपनी को दिया गया था जो किस वजह से पूरा नहीं हुआ वह हमें नहीं मालूम. उल्लेखनीय है कि यह भवन अभी से जर्जर होने लगी है. खिड़की, दरवाजा भी टूटने लगा है.
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ठेकेदार का फंस गया है लाखों रुपया
मेघाहातुबुरु उतरी का नया पंचायत भवन का निर्माण सारंडा के करमपदा गांव स्थित आंगनबाड़ी केन्द्र के बगल खाली भूभाग पर विधिवत पूजा-अर्चना के साथ वर्ष 2020 में पूर्व जिला परिषद सदस्य शंभू हाजरा ने प्रारम्भ कराया था. यह पंचायत भवन जिला परिषद निधि से लगभग 43 लाख रूपये की लागत से मेघाहातुबुरु के ज्ञानदेव कन्स्ट्रक्संस द्वारा की जा रही थी. इस भवन का आधा निर्माण कार्य होने के बाद फौरेस्ट एनओसी नहीं मिलने की वजह से कार्य रोक दिया गया, जो आज तक प्रारम्भ नहीं हो सका. भवन निर्माण में ठेकेदार का लाखों रुपया फंस गया है जो आज तक नहीं मिला. ठेकेदार की स्थिति अत्यन्त खराब है.
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अधूरे पंचायत भवन का हो निर्माण अविलम्ब
किरीबुरु पश्चिम एंव मेघाहातुबुरु दक्षिण पंचायत भवन के निर्माण के लिए अनेकों बार स्थल बदल-बदल कर ले आऊट व भूमि पूजन हुआ लेकिन आज तक एक ईट भी नहीं जुड़ पाया. दोनों पंचायत सेल की आवास में अलग-अलग संचालित है. लेकिन आवास का कमरा इतना छोटा है कि कमरे में पंचायत कार्यालय से संबंधित समान आदि भी नहीं रखा जा सकता और न हीं बैठक आदि हो सकती है. ऐसी स्थिति में चारों पंचायतों के मुखिया, पंचायत प्रतिनिधि व पंचायत सचिव घूम-घूम कर जनता की सेवा में लगे रहते हैं. पंचायत भवन होता तो यहां से प्रज्ञा केन्द्र से संबंधित कार्य, आधार कार्ड, जाती, आवासीय, विधवा, वृद्धा, विकलांग पेंशन आदि का कार्य एक हीं जगह से संचालित होता लेकिन नहीं हो रहा है. किरीबुरु पश्चिम की मुखिया पार्वती किड़ो, किरीबुरु पूर्वी की मुखिया मंगल सिंह गिलुवा, मेघाहातुबुरु दक्षिण की मुखिया प्रफुल्लित ग्लोरिया तोपनो, मेघाहातुबुरु उत्तरी की मुखिया लीपी मुंडा ने कहा कि सभी पंचायतों का अपना पंचायत भवन अथवा पंचायत सचिवालय होना चाहिए. जहां से जनता की समस्याओं का समाधान आसानी से किया जा सके. जनता को भी पंचायत प्रतिनिधियों की खोज में भटकना नहीं पडे़. अधूरे पंचायत भवन का निर्माण भी अविलम्ब हो.
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फोटोः- । मेघाहातुबुरु उत्तरी पंचायत का करमपदा स्थित अधूरा भवन एंव भवन का शिलान्यास करते पूर्व जीप सदस्य शंभू हाजरा व अन्य की तस्वीरें।