KIRIBURU (SHAILESH SINGH) : नक्सल प्रभावित सारंडा जंगल अंतर्गत छोटानागरा पंचायत का बहदा गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से दूर है. भारी वर्षा के बाद यह गांव मुख्य शहरों से पुरी तरह से कटकर टापू में तब्दील हो जाता है. इसका ताजा प्रमाण 19 जून को हुई भारी वर्षा के बाद देखने को मिला है. वर्षा के बाद बहदा गांव के पास से गुजरी कोयना नदी का जल स्तर अचानक से बढ़ गया, जिससे गांव से छोटानागरा जाने वाली एक मात्र कच्ची सड़क के बीच स्थित ओम्बाबाई नाला के ऊपर से पानी गुजरने लगा. इससे आवागमन भी पूरी तरह से बाधित हो गया. वहीं, बहदा गांव से छोटानागरा व मनोहरपुर विभिन्न कार्यों हेतु गये ग्रामीण गांव से थोड़ी दूर स्थित इस नाले पर फंस कर रह गए व नाले का पानी कम होने का इंतजार करने लगे. घंटों इंतजार के बाद जब पानी कम हुआ तो ग्रामीण अंधेरा होने के बाद अपने-अपने घर गये.
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कोयना नदी का जल स्तर बढ़ने से भरा रहता है ओम्बाबाई नाला
बरसात के मौसम में बहदा के ग्रामीणों का हाल और बुरा हो जाता है. क्योंकि पहाड़ों से उतरने वाली पानी कोयना नदी के जल स्तर को निरंतर ऊंचा रखती है. इससे उक्त नाला भी हमेशा भरा रहता है, जिससे ग्रामीणों का आवागमन बरसात के मौसम में पुरी तरह से ठप हो जाता है. ग्रामीण सरकारी राशन दूसरे गांव से लाने भी नहीं जा पाते हैं. इसके अलावा गांव के मरीजों को अस्पताल भी नहीं पहुंचाया जा सकता है, जिससे वह अंधविश्वास का रास्ता अपनाते हैं. साथ ही गांव में स्थित स्कूल में शिक्षक भी पढ़ाने नहीं जा पाते हैं. इस कारण बच्चों की शिक्षा, बाहर काम करने वाले लोगों का रोजगार व हाट-बाजार करने से भी लोग वंचित रह जाते हैं.
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हल्की वर्षा के बाद सड़क दलदल में तब्दील
दूसरी तरफ तितलीघाट (पीडब्लूडी सड़क मोड़) से बहदा गांव तक लगभग साढे़ चार किमी लंबी कच्ची सड़क का निर्माण नहीं होने से यह सड़क हल्की वर्षा के बाद दलदल में तब्दील हो जाती है. इस सड़क के निर्माण हेतु फॉरेस्ट एनओसी के लिये तत्कालीन डीएफओ रजनीश कुमार के आदेशानुसार गुवा के तत्कालीन रेंजर केपी सिन्हा ने पूर्व में जांच रिपोर्ट तैयार की कि कितनी जमीन रिजर्व वन क्षेत्र व कितनी रैयत भूमि में आयेगी. जिसमें पाया गया कि सड़क की लंबाई लगभग साढे़ चार किमी, चौड़ाई 17 फीट, एक पुलिया की लंबाई लगभग 25 फीट होगी. साथ ही पूरे सड़क में मात्र 300 मीटर (0.2 हेक्टेयर वन भूमि) सड़क का क्षेत्र रिजर्व वन भूमि के अधीन आयेगा.
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वन विभाग से एनओसी मिलने के बाद भी नहीं हुआ पुलिया का निर्माण
विदित हो कि सड़क के निर्माण हेतु इस रिपोर्ट के साथ एनओसी वन विभाग ने ग्रामीण विकास विभाग को दिया था. लेकिन आज तक सड़क व ओम्बाबाई नाला पर चार स्पैन के पुलिया का निर्माण सरकार नहीं करा पाई है. गांव के मुंडा रोया सिद्धू व कामेश्वर माझी ने बताया कि उन्होंने गांव की सड़क और उक्त पुलिया के निर्माण हेतु राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक, उपायुक्त आदि सभी का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कहीं से न्याय नहीं मिला. उन्होंने कहा कि बरसात भर बहदा के ग्रामीण गांव में कैद रहने को मजबूर हैं. अगर पुलिया व सड़क बन जाती तो सभी समस्याओं का समाधान हो जाता.
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