Kiriburu (Shailesh Singh) : जब एक महिला आगे बढ़ती है तो पूरा देश आगे बढ़ता है. यदि महिलाएं घर संभाल सकती हैं तो वह लोगों की सुरक्षा की कमान एंव देश भी संभाल सकती हैं. इस वाक्य को चरितार्थ कर रही है अत्यन्त नक्सल प्रभावित सारंडा जंगल में तैनात सीआरपीएफ 197 बटालियन की एक मात्र महिला कंपनी कमांडर सह सहायक कमांडेंट नुपुर चक्रवर्ती. ऐसे तो सीआरपीएफ की ट्रेनिंग काफी कठिन एंव चुनौतीपूर्ण होती है. लेकिन नुपुर चक्रवर्ती ने दृढ़ इच्छाशक्ति व कठिन परिश्रम की वजह से सीआरपीएफ की फिजिकल, मेंटल और इमोशनल आदि सभी प्रकार की ट्रेनिंग को पास कर सीआरपीएफ में योगदान दिया था.
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नक्सलियों ने 100 से अधिक जवानों व ग्रामीणों की हत्या की हैं
उल्लेखनीय है कि एक तरफ सारंडा जंगल अपनी प्राकृतिक खूबसूरती, सुषमा, संरचना, खनिज एंव वन संपदा के साथ-साथ सात सौ पहाड़ियों की घाटी के नाम से एशिया में प्रसिद्ध है, तो दूसरी तरफ भाकपा माओवादी नक्सलियों की खूनी पंजों, विध्वंशक कार्यवाहियों व घटनाओं की वजह से. सारंडा में अब तक नक्सलियों ने दर्जनों घटनाओं में लगभग 100 से अधिक जवानों व ग्रामीणों की हत्या की हैं. इसमें सबसे बड़ी घटना बालिबा कांड था, जिसमें 30 जवान शहीद हुये थे. सारंडा नक्सलियों का रेड कौरिडोर के साथ-साथ बडे़ नक्सली नेताओं की शरनस्थली व राजधानी रहा है. ऐसे खतरनाक सारंडा जंगल में एक मात्र सीआरपीएफ की महिला कंपनी कमांडर नुपुर चक्रवर्ती की तैनाती नक्सल गतिविधियों को खत्म करने के साथ-साथ सारंडा के ग्रामीणों की सुरक्षा की बड़ी जिम्मेदारी सौंपना सीआरपीएफ के लिये अपने आप में चुनौती भरा था.
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कई रात नुपुर जंगलों में ही गुजार देती है
नुपुर चक्रवर्ती की सधे हुए कदम, अनुशासन और कड़ी मेहनत, दुश्मन पर पैनी नजर, हाथों में एके-47, निशाना सटीक और माथे पर बिंदी, सलाम कीजिए हिंदुस्तान की महिला शक्ति को जो अपना घर परिवार छोड़कर अपने दिल में जुनून और जोश लिए सारंडा में नक्सलियों से लोहा ले रही है. नुपुर चक्रवर्ती एक मृदुभाषी महिला हैं. इनके व्यवहार व व्यक्तित्व ने आम से लेकर खास लोगों तक को प्रभावित किया है. हाथों में एके-47 थामें वह नक्सलियों के प्रति जितनी सक्रिय व कठोर नजर आती है, उससे कहीं अधिक वह लोगों के बीच सरल व सहयोगी. मानवता व सेवा भावना की जज्बा इनमें कूट-कूट कर भरी हुई है. सारंडा की तमाम ऊंची पहाड़ियों पर हिरन की फुर्ती की तरह चढ़ जाती है. कई कई रात तक वह जवानों के साथ घने जंगलों में हीं खुले आसमान व विषैले जीव-जन्तुओं के बीच नक्सलियों की खोज में गुजार देती हैं. समाज के हर वर्ग की मदद के लिये वह सदैव तैयार रहती है.
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