NewDelhi : रेवेन्यू रिकॉर्ड में संपत्ति के दाखिल-खारिज (Mutation of Property) से न तो संपत्ति का मालिकाना हक मिल जाता है और न ही समाप्त होता है. संपत्ति का मालिकाना हक केवल एक सक्षम सिविल कोर्ट की तरफ से ही तय किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यह बात कही. जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच के अनुसार रेवेन्यू रिकॉर्ड में सिर्फ एक एंट्री उस व्यक्ति को संपत्ति का हक नहीं मिल जाता जिसका नाम रिकॉर्ड में दर्ज है. बेंच ने रेवेन्यू रिकॉर्ड या जमाबंदी में एंट्री को महज वित्तीय उद्देश्य करार दिया भू-राजस्व के भुगतान की तरह. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार ऐसी एंट्री के आधार पर किसी को कोई मालिकाना हक नहीं मिल जाता.
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रेवेन्यू रिकॉर्ड में एंट्री सिर्फ वित्तीय उद्देश्य के लिए
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जहां तक संपत्ति के अधिकार का संबंध है, यह केवल एक सक्षम सिविल कोर्ट द्वारा ही तय किया जा सकता है. कोर्ट का मानना था कि कानून के तय प्रस्ताव के अनुसार, दाखिल-खारिज से जुड़ी एंट्री व्यक्ति के पक्ष में कोई अधिकार, टाइटल या उसके हित में कोई फैसला नहीं करती. इस क्रम में SC ने साफ किया कि रेवेन्यू रिकॉर्ड में दाखिल-खारिज केवल वित्तीय उद्देश्य के लिए है.
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सिविल कोर्ट तय करेगा संपत्ति के मालिकाना हक का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि कानून के तय प्रस्ताव के अनुसार, यदि संपत्ति के मालिकाना हक के संबंध में कोई विवाद है या विशेष रूप से जब वसीयत के आधार पर दाखिल-खारिज की मांग की जाती है, तो पार्टी जो अधिकार के आधार पर टाइटल / अधिकार का दावा कर रही है, उसे वसीयत को लेकर उपयुक्त सिविल कोर्ट/अदालत का रुख करना होगा.कहा कि सिविल कोर्ट में अपने अधिकारों को तय कराना होगा. उसके बाद ही सिविल कोर्ट के समक्ष निर्णय के आधार पर आवश्यक दाखिल खारिज की एंट्री की जा सकती है.
दाखिल-खारिज या म्यूटेशन क्या है?
रेवेन्यू रिकॉर्ड में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को किसी संपत्ति का हस्तांतरण करने की प्रक्रिया को दाखिल खारिज या म्यूटेशन कहते है. किसी भी संपत्ति की खरीद या बिक्री के बाद उस संपत्ति का दाखिल-खारिज कराना बहुत जरूरी होता है. इसके बाद ही कानूनी रूप से जमीन का क्रेता उस जमीन का मालिक बनता है. दाखिल खारिज के बाद ही किसी संपत्ति के मालिक के रूप में किसी व्यक्ति का नाम रिकॉर्ड में आता है. दाखिल खारिज करने के लिए अपने अंचल में अथवा तहसील में आवेदन करना होता है. आवेदन में जमीन विक्रेता तथा क्रेता का नाम तथा पूरा पता साथ में जमीन की सभी जानकारी जैसे – जमीन का रकबा, लोकेशन, संबंधित कागजात की जानकारी देनी होती है.