कौन बनाया हिन्दुस्तान… भारत का मजदूर किसान… जैसे लगाये गये नारे
Koderma : कौन बनाया हिन्दुस्तान… भारत के मजदूर किसान… की गगनभेदी नारों के साथ सीटू से सम्बद्ध कन्स्ट्रक्शन वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (सीडब्लूएफआई) ने प्रदर्शन किया. देशव्यापी आह्वान पर झारखंड राज्य निर्माण कामगार यूनियन के बैनर तले विभिन्न मांगों को लेकर श्रम कल्याण ऑफिस के समक्ष विशाल प्रदर्शन किया गया. इसका नेतृत्व सीटू नेता और यूनियन के राज्य संयुक्त सचिव प्रेम प्रकाश ने किया. धरना स्थल पर यूनियन के नगर अध्यक्ष नागेश्वर दास की अध्यक्षता में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता सीटू नेता और झारखंड राज्य निर्माण कामगार यूनियन के राज्य महासचिव संजय पासवान ने कहा कि देश की मेहनकश आवाम आज भी भूख, गरीबी, अशिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव और सामाजिक शोषण का दंश झेल रहा है. भारतीय निर्माण उद्योग कृषि के बाद सबसे बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र है, जहां लगभग 51 मिलियन लोग काम करते हैं. देश की जीडीपी में यह लगभग 11% का योगदान देते हैं. निर्माण मजदूरों के लिए 1996 के कानून को संघर्षों के बल पर पूरे देश में लागू करवाया गया लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद भी निर्माण श्रमिक कल्याण बोड मे निर्माण मजदूरों का बड़ा हिस्सा पंजीकृत नहीं हुआ हैं.
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मजदूरों के लिए परिवार चलाना मुश्किल- प्रेम प्रकाश
मजदूर नेता और निर्माण यूनियन के सचिव प्रेम प्रकाश ने कहा कि आज निर्माण मजदूरों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. महंगाई रोज बढ़ रहा है, मजदूरों को परिवार चलाना मुश्किल हो गया है लेकिन मजदूरों की मजदूरी बढ़ाई नहीं जा रही है. मजदूरों के रजिस्ट्रेशन के लिए श्रमाधान पोर्टल ठीक से काम नहीं कर रहा है. जिसके कारण उनका लेबर कार्ड नहीं बन रहा है और कई सरकारी सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं.
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श्रम अधीक्षक को सौंपा गया 8 सूत्री मांग पत्र
प्रतिनिधिमंडल श्रम अधीक्षक से मिलकर 8 सूत्री मांग पत्र सौंपकर वार्ता किया. मांगों में सभी निर्माण श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन 26000 और 10 हजार रूपये प्रतिमाह पेंशन सुनिश्चित करने, निर्माण सामग्री की बढ़ती कीमत पर रोक लगाने व जीएसटी खत्म करने, निर्माण श्रमिक कल्याण निधि का दुरूपयोग बंद करने, मजदूर विरोधी लेबर कोड वापस लेने, बीओसीडब्लू अधिनियम 1996 और अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिक अधिनियम 1979 को मजबूत करने, सभी निर्माण श्रमिकों का पंजीकरण व समय पर लाभ सुनिश्चित करने, सेस से जमा करोड़ों रुपये मजदूरों पर खर्च करने, फर्जी मजदूरों का पंजीकरण रद्द कर दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग शामिल है.