Koderma : श्री दिगंबर जैन समाज के द्वारा विश्व शांति महायज्ञ कल्पद्रुम महामंडल विधान के दूसरे दिन श्री विशल्यसागर मुनिराज ने कहा कि ज्ञान तभी पूज्य बनता है जब उसके स़ाथ विनम्रता हो, यदि हम अहंकार के गुलाम है तो समझो अज्ञान हम पर हावी है पर यदि हम विनम्रता और वीतरागता के पुजारी है तो इसका मतलब है कि ज्ञान का प्रकाश हमारे अंदर सुरक्षित है. मुनि श्री ने कहा कि दिगम्बरत्व से समाज की पहचान है, दिगम्बरत्व के प्रति सच्ची आस्था और श्रद्धा ही हमारी सबसे बड़ी संपदा है. देव शास्त्र गुरु के प्रति हमेशा श्रद्धावनत रहो इनके प्रति सच्ची आस्था ही हमें पार लगाएगी. विश्व शांति महायज्ञ को सफल बनाने में चातुर्मास कमेटी के संयोजक सुरेंद्र काला विधान संयोजक नरेंद्र झांझरी, राज छाबड़ा, दिलीप बाकलीवाल अपने पूरे कार्यकर्ताओं के साथ विधान पूजा कार्य में लगे हुए हैं.
प्रातः देवाधिदेव 1008 शीतलनाथ भगवान का अभिषेक एवं शांतिधारा चक्रवर्ती ओर सौधर्म इंद्र के द्वारा किया गया. इसके बाद भगवान के समयसरण में मुख्य चक्रवर्ती सुशील-शशी छाबड़ा, सौधर्म इंद्र ललित-नीलम सेठी, कुबेर सुरेंद्र-सरिता काला ध्वजारोहण कर्ता शांतिलाल-राजेशवरी छाबड़ा को मुख्य समयसरण में बैठने का सौभाग्य प्राप्त हुवा. दूसरे सवशरण में बैठ कर पूजा करने का सौभाग्य विशेष चक्रवती सुरेश-प्रेम झांझरी, मुख्य कलश स्थापन कर्ता जय कुमार-त्रिशला गंगवाल को प्राप्त हुआ. पूजन प्रारंभ करने के साथ ही सोमवार को देवाधिदेव 1008 श्री शीतलनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक मनाया गया, जिसमें समाज श्रेस्ठी सुरेश-प्रेम, नरेंद झांझरी परिवार को निर्वाण लड्डू चढ़ाया. इसके साथ ही विधान की पूजन कर समवसरण के मंडप पर 151 अर्घ्य के साथ श्री फल चढ़ाया गया. साथ ही सभी विधान की क्रिया अलका दीदी, भारती दीदी एवं रायपुर से आये ज्योतिषचार्य पंडित अजीत जैन शास्त्री के निर्देशन में हो रही है. समाज के सभी पदाधिकारी, त्रिशला ग्रुप की ओर से महाआरती किया गया. मौके पर जैन समाज के मीडिया प्रभारी नवीन जैन और राजकुमार अजमेरा मौजूद थे.
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