Adityapur (Sanjeev Mehta) : महाष्टमी के पावन अवसर पर माता दुर्गा से श्रद्धालुओं ने की सुख शांति व समृद्धि की कामना की. आदित्यपुर, गम्हरिया, कांड्रा आदि स्थानों में भक्तों ने आदि शक्ति मां दुर्गा जी की पूजा अर्चना की. मां दुर्गा के शक्ति मंत्र “या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता” के गुंजायमान से वातावरण भक्तिमय हो रहा है. शाम में सभी पंडालों में संधि पूजा का आयोजन हुआ. दसविद्या पीठ के पंडित राजेश कुमार मिश्रा ने कहा कि सनातन धर्म में पौराणिक कथा के अनुसार दुर्गा अष्टमी के दिन के लिए मान्यता है कि दुर्गम नाम के क्रूर राक्षस ने अपनी क्रूरता से तीनों लोक स्वर्ग, मृत्यु और पाताल लोक में अत्याचार से त्राहिमाम मचा दिया था. उसके आतंक के कारण सभी देवता स्वर्ग छोड़कर कैलाश चले गए थे.
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दुर्गा अष्टमी के दिन शस्त्र पूजा का भी है विधान
दुर्गम राक्षस को वरदान था कि कोई भी देवता उसका वध नहीं कर सकता. सभी देवताओं ने भगवान शिव से विनती किया कि इस संकट से मुक्ति दिलाएं. इसके बाद सृष्टिकर्ता ब्रह्मा, पालनकर्ता विष्णु और संहारकर्ता शिव जी ने अपने शक्तियों को मिलाकर आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को देवी दुर्गा को जन्म दिया. इसके बाद माता दुर्गा को सबसे शक्तिशाली अस्त्र दिया गया. मां दुर्गा ने राक्षस दुर्गम के साथ युद्ध किया. जिसमें माता ने राक्षस का वध कर दिया और इसके बाद से दुर्गा अष्टमी की पूजा शुरू हुई. इसलिए दुर्गा अष्टमी के दिन शस्त्र पूजा का भी विधान है.
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