Koderma : देश को आजाद हुए 75 साल हो गये हैं. कई -कई टेक्नोलॉजी का अविष्कार हो गया है. लोग घर बैठे अपना खाना और पानी मंगवा रहे हैं. लेकिन आज भी देश में एक वर्ग ऐसा है, जो मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. आदिवासी समुदाय की स्थिति आज भी बदहाल है. इस समुदाय का बड़ा हिस्सा जंगली संसाधन पर ही निर्भर है. इन लोगों को पीने तक का स्वच्छ पानी नहीं मिल पा रहा है. झारखंड में कई बार सरकार परिवर्तन हुआ, सभी सरकार इस समुदाय के विकास का वादा कर सत्ता में आयी.,लेकिन आज भी इनका विकास नहीं हो पाया है.
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चार सौ मीटर दूर जाकर चुआं से पानी लाते है आदिवासी समुदाय
कोडरमा जिले के मेघातरी पंचायत में निवास करने वाले आदिवासी समुदाय आज भी चुआं का पानी पीने को विवश है. मेघातरी पंचायत स्थित सुग्गी मुंडा बस्ती के लोग चार सौ मीटर दूर जाकर चुआं से पानी ला कर अपना काम चला रहे है. इस बस्ती में आदिवासी समुदाय के 24 घर है. जिसमें 74 लोग निवास करते हैं. बताया जा रहा है कि यह परिवार 10 साल पहले रोजगार की तलाश में खूंटी से आकर यहां बसे है. इनकी जीविका चलाने का एक मात्र साधन ढिबरा चुनना है. ये लोग ढिबरा चुनकर ही अपना गुजर -बसर करते हैं.
लोग जंगल की सेवा करते हैं
सुग्गी मुंडा बस्ती के रहने वाले दारू मुंडा ने बताया कि हम जंगल के बीच में रहते हैं. जहां पेयजल एक बड़ी समस्या है. वन विभाग के पदाधिकारी कहते कि यह सेन्चुरी जंगल है आप लोग यह जगह खाली कर दो. दारु मुंडा ने कहा कि हम लोग जंगल की सेवा करते हैं. ढिबरा चुनकर किसी भी तरह से गुजर -बसर करते हैं. हम लोग यहां की विधायक एवं जिला उपायुक्त से पेयजल मुहैया करवाने की मांग करते हैं.
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