- पेयजल विभाग के कई टेबल से गुजरा डीपीआर, भूकंप जोन पर नहीं पड़ी किसी इंजीनियर की नजर कंपनी ने 2013 में तकनीकी गड़बड़ी की दे दी थी जानकारी, फिर भी प्री-विड मीटिंग में गड़बड़ी को कर दिया नजरअंदाज
Amit Singh
Ranchi: जेएनएनयूआरएम रांची शहरी जलापूर्ति योजना का डीपीआर वर्ष 2009-2010 में तैयार हुआ था. पेयजल के कई अफसरों व इंजीनियरों के टेबल से होकर डीपीआर गुजरा. किसी को डीपीआर में तकनीकी गड़बड़ी नहीं दिखी. किसी इंजीनियर ने डीपीआर में बदले हुए भूकंप जोन पर ध्यान नहीं दिया. डीपीआर को पेयजल विभाग के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता व अधीक्षण अभियंता रांची अंचल ने तैयार किया था.
रांची शहरी जलापूर्ति योजना का काम मार्च 2010 में आईवीआरसीएल ने काम शुरू किया. दो बार समय-सीमा बढ़ाई गई. जून 2013 में आईबीआरसीएल कंपनी को ब्लैकलिस्टेड कर दिया गया. जलापूर्ति योजना का नए सिरे से डीपीआर बनाने का काम शुरू हुआ. योजना की लागत बढ़कर 472 करोड़ इंजीनियरों ने कर दिया. मगर डीपीआर में बदले हुए भूकंप जोन पर किसी की नजर नहीं गई. जबकि योजना में इस तकनीकी गड़बड़ी की वजह से राजकोष को करोडों रुपए का नुकसान हुआ है.
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गड़बड़ियां सामने आयीं तो कंपनी ने छोड़ दिया काम
जेएनएनयूआरएम के तहत रांची शहरी जलापूर्ति योजना की लागत राशि 288 करोड़ रुपए तय हुई थी. काम शुरू हुआ. गड़बड़िय़ां सामने आने के बाद संवेदक आईवीआरसीएल ने बीच में ही काम छोड़ दिया. फिर सरकार ने उसे ब्लैकलिस्टेड कर दिया. नए सिरे से योजना की डीपीआर बनी तो लागत मूल्य 288 करोड़ रुपए से बढ़कर 373 करोड़ रुपए हो गया. यानी 84.5 करोड़ की अतिरिक्त राशि का बोझ राज्य सरकार पर पड़ा.
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प्री-विड मीटिंग में भी किसी को नहीं दिखा घपला
शहरी जलापूर्ति योजना में तकनीकी गड़बड़ी की बात 2013 में सामने आ गयी थी. जब आईबीआरसीएल कंपनी ने तकनीकी गड़बड़ी की वजह से काम छोड़ दिया था. उसके बाद भी पेयजल विभाग के इंजीनियर तकनीकी गड़बड़ी को लेकर गंभीर नहीं हुए. जलापूर्ति योजना का एस्टीमेट, डीपीआर और निर्माण दर दूसरी बार विभाग में कई टेबल से गुजरा.
कार्यपालक व अधीक्षण अभियंता रांची अंचल ने इसे तैयार किया. विभाग में निविदा पर 28.04.2014 को प्री-बिड मीटिंगहुई. इसमें 10 वरीय पदाधिकारी शामिल थे. लेकिन किसी की नजर बदले हुए भूकंप जोन पर नहीं गयी.
यह इंजीनियर उपस्थति थे प्री-बिड मीटिंग में
पेयजल विभाग में शहरी जलापूर्ति योजना को लेकर अप्रैल 2014 में बैठक हुई थी. जिसमें पेयजल विभाग के तत्कालीन इंजीनियर इन चीफ, सीडीओ के चीफ इंजीनियर, रीजनल चीफ इंजीनियर, ज्वाइंट सेक्रेटरी (एम.सेल), अर्बन सर्किल के एसई, मैकेनिकल सर्किल के सुपरिटेंडिंग इंजीनियर, ईवैल्युएशन के ईई, हेड वर्क्स के ईई, डिस्टीब्यूशन के ईई व मैकेनिकल अर्बन सेक्शन के ईई आदि उपस्थित थे.
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