Ashish Tagore
Latehar : चतरा संसदीय क्षेत्र से तीन बार सांसद रहे चुके धीरेंद्र अग्रवाल ने लोकसभा चुनाव 2024 में उतरने का मन बनाया लिया है. अगर वाकई ऐसा हुआ तो चतरा लोकसभा का चुनाव दिलचस्प हो जायेगा. अब तक भाजपा व इंडी गठबंधन ने यहां अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. ऐसे में धीरेंद्र अग्रवाल का चुनावी समर में उतरना दोनों के चेहरे पर शिकन ला सकता है. कहना गलत नहीं होगा कि धीरेंद्र अग्रवाल दोनों के किले में सेंधमारी करने का कुव्वत रखते हैं. अग्रवाल भाजपा से दो बार एवं इंडी के राजद से एक बार सांसद रह चुके हैं. वैश्य समुदाय से आने के कारण पिछड़ा और वैश्य समुदाय का भी शेयर कर सकते हैं. अभी तक चतरा संसदीय क्षेत्र से पिछड़ा या वैश्य समुदाय का कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं है. अंदरखाने की बात यह है कि पिछड़ा व वैश्य समुदाय के दवाब पर ही धीरेंद्र अग्रवाल इस बार चुनाव में उतरने का मन बनाया है.
शुभम संदेश के वरीय संवाददाता आशीष टैगोर ने धीरेंद्र अग्रवाल से इसे लेकर बातचीत की है. प्रस्तुत है उस बातचीत का संक्षिप्त अंश
शुभम संदेश- सुना है आपने इस बार चतरा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव में उतरने का मन मनाया है.
जवाब- सही सुना है. हां, मैं चतरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने का पूरा मन बना लिया है.
शुभम संदेश- किसी दल से चुनाव लड़ेंगे या फिर निर्दलीय.
जवाब- कई दलों के संपर्क में हूं. कांग्रेस से भी बातचीत चल रही है. अगर प्रत्याशी बदला गया तो कांग्रेस से भी चुनाव लड़ सकता हूं. लेकिन अगर किसी भी दल से बात नहीं बनी तो निर्दलीय चुनाव लडूंगा.
शुभम संदेश- एक बार आपने निर्दलीय चुनाव लड़ा था, लेकिन उसका अनुभव अच्छा नहीं रहा था. आप आठवें नंबर पर थे. फिर ऐसा दुबारा क्यों.
जवाब– हां, 2009 के लोकसभा चुनाव में मैं निर्दलीय चुनाव लड़ा था. हालांकि मैं नहीं जीत पाया था. लेकिन उस चुनाव में एक निर्दलीय प्रत्याशी (इंदरसिंह नामधारी) ने ही चुनाव जीता था. लेकिन मुझे भी लोगों का समर्थन मिला था. मुझे 15 हजार से अधिक वोट मिले थे.
शुभम संदेश- तो फिर इस बार आप किस आधार पर चतरा से चुनाव लड़ना चाहते हैं.
जवाब- देखिये, चतरा क्षेत्र से पिछड़ा व वैश्य समुदाय का एक भी प्रत्याशी नहीं है. चतरा लोकसभा क्षेत्र पिछड़ा वर्ग बहुल क्षेत्र है. क्षेत्र के पिछड़ा, ओबीसी व अन्य वैश्य समुदाय के लोगों का पूरा समर्थन मिल रहा है. इसके अलावा अन्य वर्ग के लोगों ने भी मुझे अपना समर्थन देने का वायदा किया है और चुनाव लड़ने की अपील की है. उसी आधार पर ही मैंने चुनाव में उतरने का मन बनाया है.
शुभम संदेश- आपकी प्राथमिकताएं क्या होगी
जवाब– देखिये, पिछले 15 सालों से चतरा लोकसभा क्षेत्र का कोई विकास नहीं हुआ है. या यूं कहें कि उनके बाद किसी भी सांसद ने क्षेत्र की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया. आज भी समस्याएं जस की तस है. खनिज संपदा से परिपूर्ण होने के बाद भी एक भी कल कारखाना नहीं लग पाया. लोगों के पास रोजगार का अभाव है. लोग पलायन कर रहे हैं. क्षेत्र में किसानों के पास सिंचाई का साधन ही नहीं है. बेहतर शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं के लिए लोगों को भटकना पड़ रहा है. इन सब मुद्दों को लेकर जनता के पास जाऊंगा.
शुभम संदेश- क्षेत्र की जनता से क्या कहना चाहेंगे.
जवाब- मतदाताओं से कहना चाहूंगा कि क्षेत्र का विकास करने वाले और सही प्रत्याशी को वोट दें.
शुभम संदेश- धन्यवाद व शुभकामनाएं
जवाब- जी, शुक्रिया
धीरेंद्र अग्रवाल का राजनीतिक सफर
धीरेंद्र अग्रवाल ने वर्ष 1991 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी के रूप में अपनी राजनीति की शुरुआत की थी. हालांकि वे जीत नहीं पाये थे. उन्हें जनता दल के उपेंंद्र नाथ वर्मा ने हराया था. 1996 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने जनता दल के कृष्ण नंदन प्रसाद को हरा कर पहली बार संसद पहुंचे थे. 1998 के मध्यावधि चुनाव में उन्होंने राजद के नागमणि को हराया और दूसरी बार भाजपा के सांसद बने. 1999 के लोकसभा चुनाव में राजद के नागमणि ने उन्हें हराया. 2004 के लोकसभा चुनाव में अग्रवाल ने राजद से चुनाव लड़ा और जदयू के इंदर सिंह नामधारी को हराया. हालांकि 2009 के लोकसभा के चुनाव में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और 15591 वोट लाकर आठवें स्थान पर रहे. अब 15 वर्ष के अंतराल के बाद अग्रवाल फिर से चुनावी समर में देखे जायेंगे.
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