Akarsh Aniket
Ranchi : गर्मी का प्रकोप राज्य में पूरी तरीके से बढ़ गया है, जिससे राज्य की राजधानी में जलसंकट की स्थिति बन गयी है. जलसंकट का सबसे बड़ा कारण तालाबों का सूखना, संख्या कम होना है. रांची में तालाबों की संख्या में लगातार घटती जा रही है. कहीं जमीन दलालों द्वारा तालाब की जमीन पर अवैध कब्जा किया जा रहा है, तो कहीं आस-पास के लोग ही तालाब को भरकर अपने तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं. राजधानी रांची के शहरी से लेकर ग्रामीण इलाकों तक में कई तालाबों को भरकर ऊंची-ऊंची बिल्डिंग खड़ी कर दी गयी है. जमीन दलालों की गिद्ध दृष्टि तालाबों को भरकर जमीन की प्लाटिंग कर बेचने पर टिकी है.
अब आखिरी सांसें गिन रहा हेसल तालाब
शहर के रातू रोड स्थित हेसल तालाब की भी स्थिति काफी बुरी हो गयी. हेसल तालाब भी अब आखिरी सांसें गिन रहा है. कोई तालाब की जमीन पर मिट्टी भरकर गाड़ी की पार्किंग कर रहा है, तो किसी ने दुकान लगा ली है. पूरा तालाब जलकुंभी से भरा हुआ है, और देखने से खेल के मैदान जैसे लगता है. वैसे तो तालाब रैयती जमीन पर है, लेकिन जमीन दलालों ने खेल कर तालाब की जमीन की प्लाटिंग कर बेचने की तैयारी कर ली है. एक तो तालाब जलकुंभी से भरा पड़ा है, तो दूसरी ओर उसे किनारे-किनारे से भरा जा रहा है.
होना था सौंदर्यीकरण, पर हो गया विवाद
लगभग छह साल पहले विधायक सीपी सिंह द्वारा हेसल तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए शिलान्यास किया गया था. सौंदर्यीकरण का काम शुरू भी हो गया था, पर तालाब की जमीन को लेकर विवाद खड़ा कर दिया गया. नतीजतन सौंदर्यीकरण का काम रोक दिया गया. आस-पास की बस्ती वालों ने जमीन को अपना बताकर काम रुकवा दिया था.
तस्वीरें झूठ न बोलें
अब तालाब को भरकर उसके अस्तित्व को ही मिटाने की कोशिश की जा रही है. तस्वीरें देखकर आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि कैसे तालाब के अस्तित्व को मिटाने की कोशिश की जा रही है.
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