- मेला में बड़ा झूला, मौत का कुआं, हवाई जहाज, डिस्को डांस व रेल आदि खेल उपकरण लगाये गये हैं
- साल 1873-74 से लग रहा है बाजारटांड़ में मेला
- पहले अंग्रेज यहां कैंप लगाकर लगान वसूली करते थे
- प्राचीन शिव मंदिर का इतिहास दो सौ साल पुराना है
Ashish Tagore
Latehar : शहर के बाजारटांड़ में प्राचीन शिव मंदिर परिसर में लगने वाला महाशिवरात्रि मेला आठ मार्च से प्रारंभ होगा. इसकी तैयारी लगभग अंतिम चरण में है. महाशिवरात्रि को लेकर प्राचीन शिव मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया है. मेला में बड़ा झूला, मौत का कुआं, हवाई जहाज, डिस्को डांस व रेल आदि खेल उपकरण लगाये गये हैं. बता दें कि इस मेले को पशु मेला के रूप में भी जाना जाता है. बिहार और यूपी के मवेशी पालक यहां आते हैं और मवेशियों की खरीद बिक्री करते हैं. बाजारटांड़ में लगने वाला महाशिवरात्रि मेला अंग्रेजों के जमाने से लग रहा है. जबकि यहां स्थापित प्राचीन शिव मंदिर का इतिहास लगभग दो सौ वर्ष पुराना है. मंदिर के पुजारी मनोज दास शर्मा ने शुभम संदेश से बातचीत करते हुए बताया कि उनके पूर्वज बताते थे कि अंग्रेजी हुकूमत के काल में साल 1873-74 से बाजारटांड़ में शिवरात्रि का मेला लग रहा है. अंग्रेज आसपास के क्षेत्रों के लोगों से कृषि व अन्य लगान वसूल करने के लिए लोगों को बाजारटांड़ बुलाकर कैंप लगाते थे. ग्रामीण यहां जुट कर अपने उत्पादों की खरीद बिक्री भी करते थे. उस समय अंग्रेजों का एक शिविर कुरंद ग्राम में हुआ करता था. धीरे-धीरे कारोबारियों ने बाजारटांड़ में सप्ताह में एक दिन अपनी दुकानें लगानी शुरू कर दी. इसमें काफी संख्या में लोग जुटते थे और अपनी जरूरतों के सामानों की खरीद-बिक्री करते थे. बाद में यही बाजारटांड़ में लगने वाले मंगलवारी साप्ताहिक हाट में तब्दील हो गया.
25 लाख में की गयी है महाशिवरात्रि मेले की बंदोबस्ती
इस वर्ष महाशिवरात्रि मेले की बंदोबस्ती 25 लाख 7 हजार रुपये में की गयी है. मत्स्य जीवी सहयोग समिति ने सर्वाधिक बोली लगा कर बंदोबस्ती अपने नाम की थी. बता दें कि पिछले वर्ष इसी मेले की नीलामी मात्र आठ लाख 43 हजार रुपये में की गयी थी. नगर प्रशासक राजीव रंजन ने मेला शुरू होने से पहले छह मार्च को मेला परिसर का निरीक्षण किया. उन्होंने शुभम संदेश से कहा कि मेला में आने वाले लोगों को हर प्रकार की सहुलियत दी जायेगी. बता दें कि महाशिवरात्रि मेला में बड़े पैमाने पर जुआ खेला जाता है. हब्बा-डब्बा का खेल भी यहां जोरों पर होता है. यह एक प्रकार का पाशे का खेल है. जुआ खिलाने वाले गिरोह के कई सदस्य आपस में ही खेलते और जीतते रहते हैं. प्रलोभन में आकर लोग इसमें शामिल हो जाते हैं. इनमें अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले भोले भाले आदिवासी फंसते हैं. कई बार तो ग्रामीण मेले में अपनी बेची गयी मवेशियों की रकम भी जुआ और हब्बा डब्बा खेल कर हार जाते हैं. पिछले साल के मेले में ऐसे कई मामले प्रकाश में आये थे. इसी प्रकार मेला में बूगी-बूगी व अन्य डांस शो के नाम पर अश्लीलता भी परोसी जाती है. लोग टिकट खरीद कर इसे देखने जाते हैं. इसमें अधिकांश भीड़ स्कूलों के बच्चों की होती है. अश्लील नृत्य देख कर उनकी मानसिकता विकृत होती है.
महाशिवरात्रि को लेकर पुलिस ने किया फ्लैग मार्च
बालूमाथ (लातेहार) : महाशिवरात्रि पर्व को लेकर बालूथाथ थाना क्षेत्र में विधि-व्यवस्था संधारण के लिए अंचलाधिकारी तृप्ती विजया कुजूर, पुलिस निरीक्षक परमानंद बिरुवा एवं थाना प्रभारी विक्रांत कुमार उपाध्याय के नेतृत्व में पुलिस बल के जवानों ने फ्लैग मार्च किया. जवानों ने बालूमाथ के अलावा शेरेगड़ा व मूरपा में भी फ्लैग मार्च किया. बालूमाथ में फ्लैग मार्च थाना परिसर से प्रारंभ होकर मुख्य मार्ग होते हुए न्यू बस स्टैंड, गालिब कॉलोनी, बाजार टांड, तेली टोला, चेकनाका व मुरपा मोड़ होते हुए थाना परिसर पहुंची. इसके बाद शेरेगड़ा और मूरपा में फ्लैग मार्च किया गया. स्थानीय पुलिस प्रशासन के द्वारा लोगों से शांतिपूर्ण वातावरण में पर्व मनाने का अपील की गयी. मौके पर प्रखंड विकास पदाधिकारी सोमा उरांव समेत सशस्त्र पुलिस बल के जवान शामिल थे.
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