Latehar: सूबे के विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में विगत कई वर्षों से छात्र संघ का चुनाव नहीं हुआ है. इससे न सिर्फ छात्र, बल्कि महाविद्यालय के संसाधनों पर भी असर पड़ा है. कई विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में तो प्रबंधन निरंकुश हो गया है. वहीं छात्र अपनी समस्याओं को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं. छात्रों की इस स्थिति के लिए चुनाव नहीं होना बड़ी वजह बतायी जा रही है. इसे लेकर लगातार मीडिया की टीम छात्रों से बात की और उनकी राय जानी.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता नवनीत कुमार ने कहा कि पलामू के नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय में छात्र संघ का चुनाव होना बहुत ही आवश्यक है. उन्होने कहा कि चुनाव नहीं होने के कारण महाविद्यालयों में अराजकता की स्थिति हो गयी है. लातेहार के मनिका स्थित डिग्री कालेज में विगत कई वर्षों से विभिन्न विषयों के शिक्षक नहीं हैं. इसे लेकर विश्वविद्यालय प्रबंधन को कई बार लिखित रूप से जानकारी दी गयी है. धरना प्रदर्शन तक किया गया, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला. आज महाविद्यालय में छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही है. अगर छात्र संघ होता तो महाविद्यालय प्रबंधन को शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बाध्य कर सकता था और अन्य संसाधन उपलब्ध करा सकता था.
आजसू पलामू जिला छात्र संघ के अध्यक्ष राहुल कुमार ने बताया कि छात्र संघ का चुनाव नहीं होने से छात्रों की परेशानी बढ़ गयी है. छात्रों को यह पता नहीं चल पा रहा है कि वे अपनी समस्याओं को लेकर किसके पास जाये. महाविद्यालय प्रबंधन उनकी एक नहीं सुनता है. ऐसे में छात्रों के समक्ष एक ऐसा छात्र नेता होना चाहिए जो उनकी समस्याओं का सामाधान कर सके. यह तभी संभव हो पायेगा जब छात्र संघ का चुनाव होगा. जब तक महाविद्यालयों में छात्र नेतृत्व नहीं होगा तब तक छात्रों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पायेगा.
अभाविप के छात्र नेता कमलेश उरांव ने कहा कि आज महाविद्यालय की स्थिति दयनीय है. किसी महाविद्यालय में लाइब्रेरी दुरूस्त नहीं है. तो किसी महाविद्यालय में प्रयोगशाला का अस्तित्व मिट गया है. छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. ऐसे समय में ही छात्र संघ की जरूरत पड़ती है. जो मजबूती से छात्रों की समस्याओं को विश्वविद्यालय व महाविद्यालय प्रबंधन के समक्ष रख सके. कहा कि लातेहार जिला मुख्यालय में एक भी सरकारी महाविद्यालय नहीं है. विश्वविद्यालयों से मान्यता प्राप्त महाविद्यालयों के पास संसाधनों का अभाव है, लेकिन छात्र संघ नहीं रहने के कारण इन समस्यसाओं पर न तो विश्वविद्यालय और ना ही सरकार की नजर है.
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