Ranchi : डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में बुधवार को आजादी के अमृत महोत्सव के तहत व्याख्यान का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में शिक्षा के तथ्यों पर विचार रखे गये. इस अवसर पर अतिथि वक्ता प्रो डॉ. एमएच अंसारी पूर्व एचओडी पीजी ग्रामीण प्रबंधन विभाग, एक्सआईएसएस उपस्थित थे. डॉ अंसारी ने कहा कि शिक्षा एक व्यक्ति को एक पूर्ण पुरुष बनाती है, इसका विस्तारित अर्थ यह है कि उसके पास नैतिकता, क्षमता और बड़प्पन है. उन्होंने कहा कि आलोचनात्मक सोच का विश्लेषण और मूल्यांकन एक कला है. सुझाव दिया कि छात्र अपने जुनून का पालन करें. कड़ी मेहनत और बलिदान के लिए तैयार रहें. उन्होंने प्रतिबिंब, बोध और वास्तविकता का मंत्र भी दिया और छात्रों से जीवन के हर क्षेत्र में इसका उपयोग करने का आग्रह किया.
छात्रों को यह समझाने के लिए विषय का चयन किया गया: कुलपति
कुलपति प्रोफेसर डॉ तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि छात्रों को यह समझाने के लिए विषय का चयन किया गया कि सिर्फ कक्षाओं में जाना और नोट्स लिखना पर्याप्त नहीं है. उन्हें अपनी सोच और विश्लेषणात्मक शक्ति में सुधार करने के लिए एक विधि की आवश्यकता है. यहां तक कि सरकार एनईपी के जरिए इसमें सुधार करने की योजना बना रही है आजादी के बाद यह पहली शिक्षा नीति भी है, जिसे देश और इसकी विविधता को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है.
इसे भी पढ़ें – साहित्यकार और लेखक निःस्वार्थ भाव से समाज का मार्गदर्शन कर करते हैं : चंपई सोरेन