Akshay Kumar Jha
Ranchi: कहा जाता है कि डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप हैं. लेकिन इस कोरोना काल में यह साबित हुआ है कि ऐसा नहीं है. कुछ डॉक्टर विकास भी होते हैं. घटना बोकारो जिले के बेरमो अनुमंडल की है. पांच मई को बैंक में चपरासी की नौकरी करने वाले एक शख्स की मौत जारंडीह रेलवे फाटक के पास बाइक से गिरने से हो जाती है. दूसरे दिन अखबारों में भी यह खबर छपती है.
दुर्घटना सड़क पर होने की वजह से मामला पुलिस से जुड़ जाता है और पोस्टमार्टम के लिए शव को चास अनुमंडल अस्पताल भेज दिया जाता है. मृतक का बेटा शव लेने के लिए जब चास अनुमंडल अस्पताल पहुंचता है, तो उसकी मुलाकात पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर से होती है. ये डॉक्टर और कोई नहीं बल्कि वहां दस साल से जमे डॉ. विकास हैं. सारा जमाना इधर से उधर हो गया, लेकिन मजाल है कि ये जनाब वहां से हिल जाएं.
इन्हें चास अनुमंडल अस्पताल से हटाने वाले अच्छे-अच्छे सिविल सर्जनों का तबादला हो गया. लेकिन दस साल से भी ज्यादा समय से टिके इस डॉक्टर विकास का तबादला नहीं हो सका. दस साल से लगातार जितनी भी लाशों का पोस्टमॉर्टम हुआ है, वो डॉ. विकास ने ही किया है. मृतक परिवार का स्टेटस देखकर डॉक्टर विकास पैसे का डिमांड करते हैं, और इसी काली कमाई से ऊपर से नीचे पूरे मेडिकल महकमे को मैनेज करते हैं.
पहली मुलाकात में डिमांड किया 75 हजार रुपए
डॉ. विकास से जब मृतक का बेटा मिला तो डॉक्टर से 75 हजार रुपए का डिमांड किया. डॉक्टर ने कहा कि मौत जैसे भी हुई हो अगर पैसा उन्हें नहीं मिलेगा तो वो रिपोर्ट में लिख देंगे कि शख्स की मौत दारू पीने से हुई है, ना कि बाइक से गिरने से. मृतक के परिवार पर एक तो दुख का पहाड़ टूटा हुआ था. उसके ऊपर रिश्वत की डिमांड. बेटा पैसा जुगाड़ करने में लग गया. सूद पर पैसा लिया. मां के कंगन गिरवी रखने के लिए दर-दर की ठोकर खायी. लेकिन 75 हजार जुगाड़ नहीं कर पाया. किसी तरह 60 हजार रुपए ही जुगाड़ हो पाए. फोन पर जब मृतक के बेटे ने 60 हजार ही जुगाड़ होने की बात कही तो डॉक्टर ने कहा कि फिर रहने दीजिए. हम दारू वाली रिपोर्ट ही तैयार कर देंगे.
लगातार डॉट इन के संवाददाता ने डॉक्टर से की बात, तो मिली सही रिपोर्ट
मामला लगातार संवाददाता के संज्ञान में आया. रिश्वत की बात का पता चला. पत्रकारिता के साथ सामाजिक दायित्व को समझते हुए लगातार के संवाददाता ने डॉ. विकास से बात की. उन्हें अपना डॉक्टर होने से धर्म याद दिलाया. रिश्वत मांगने की बात को कोसा तब जाकर मृतक के परिवार को सही रिपोर्ट डॉक्टर ने दिया.
सुने पूरी ऑडियो
डॉ. विकास कुमारः अभी आ जाइए सेक्टर 12.
पीड़ित परिवारः अभी तो सर हम कथारा में हैं. पैसा का इंतजाम हो गया है.
डॉ. विकास कुमारः थाना वाला को बोलिएगा की आकर रिपोर्ट ले लें.
पीड़ित परिवारः थाना वाला को बोलना होगा रिपोर्ट के लिए.
डॉ. विकास कुमारः हां
पीड़ित परिवारः क्या लिखे हैं सर रिपोर्ट में.
डॉ. विकास कुमारः वो शराब पीते थे. इसलिए उनका लीवर खराब हो गया. इसलिए मौत हो गयी.
पीड़ित परिवारः सर मेरे पापा तो एकदम नहीं पीते थे दारू.
डॉ. विकास कुमारः उसका हम बेसरा भेज दिए हैं. नहीं पीते थे तो नहीं आएगा रिपोर्ट में.
पीड़ित परिवारः पैसा हो गया है सर.
डॉ. विकास कुमारः कल वहीं दो से तीन बजे तक भेंट होगी हमसे.
पीड़ित परिवारः क्या बोले हम. सुबह से पैसा जुगाड़ करते-करते थक गए हम. इधर सूद-ऊद में भी लेने लग गए थे. फिर मम्मी का पैसा था. चूड़ी था, वहीं सब करते-करते बहुत थक गए सब जमा करने में सर.
डॉ. विकास कुमारः कल दो से तीन भेंट होगी.
पीड़ित परिवारः रिपोर्ट में क्या लिखे हैं सर.
डॉ. विकास कुमारः कल आइए ना तब बताएंगे.
पीड़ित परिवारः सर बता देते तो थोड़ा रिलीफ रहता.
डॉ. विकास कुमारः आइए ना आपके सामने ही लिखेंगे.
पीड़ित परिवारः ठीक है सर तो.
डॉ. विकास कुमारः दो बजे आ जाइएगा.
पीड़ित परिवारः सर अब दिक्कत नहीं ना होगा सर. काहे कि पूरा पैसा नहीं जमा हुआ है. थोड़ा सा कम ही हुआ है.60 के आस-पास.
डॉ. विकास कुमारः तब रहने दीजिए.
पीड़ित परिवारः नहीं सर, एक आदमी को और बोले हैं. वो देगा और. ऐसा बात नहीं है.
पीड़ित परिवारः दो से तीन बजे हम आ जाएंगे. थोड़ा सा पैसा दो-तीन कम इंतजाम हुआ है. ठीक है ना सर.