- कोई चला गया दूर तो कोई पास आ गया
- संसद में एक-दूसरे के थे विरोधी, अब हो गए साथ–साथ
Ravi Bharti
Ranchi : राजनीति में कब कौन अपना रंग बदलेगा, इसका अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है. कभी सदन में सुर में सुर मिलाते थे, आज वे एक-दूसरे के आमने-सामने हो गए हैं. वहीं संसद में कभी पक्ष-विपक्ष में थे, आज साथ-साथ हैं. दरअसल, हजारीबाग सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार जेपी पटेल और बीजेपी के उम्मीदवार मनीष जायसवाल कभी बीजेपी के बैनर तले साथ-साथ रहा करते थे. दोनों ने अच्छे दोस्त के रूप में भी अपनी पहचान बना ली थी. सदन में भी मुखर होकर दोनों जनता की आवाज बुलंद किया करते थे, कई आंदोलनों में भी साथ-साथ रहे. अब दोनों चुनावी अखाड़े में आमने-सामने हैं. दोनों एक-दूसरे के खिलाफ बयानों के तीर चलाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे.
दोनों को पिता की विरासत में मिली राजनीति
सियासत के मैदान में दोनों की लैंडिंग अपने-अपने पिता की विरासत की बदौलत हुई. मनीष जायसवाल के पिता ब्रजकिशोर जायसवाल कई बार हजारीबाग नगरपालिका अध्यक्ष रहे हैं. उन्होंने हजारीबाग सदर विधानसभा सीट से दो बार कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव भी लड़ा था, लेकिन कभी जीत नहीं पाए थे. दूसरी तरफ, जयप्रकाश भाई पटेल के पिता टेकलाल महतो मांडू से पांच बार विधायक और गिरिडीह से एक बार सांसद रहे थे. फिलहाल दोनों पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.
एक बार हो चुके हैं आमने–सामने
इसमें खास बात यह है कि चुनाव मैदान में इन दोनों की एक बार पहले भी आमने-सामने भिड़ंत हो चुकी है. वर्ष 2011 में मांडू विधानसभा सीट पर विधायक टेकलाल महतो के निधन की वजह से उपचुनाव हुआ था. तब, दिवंगत टेकलाल महतो के पुत्र जयप्रकाश भाई पटेल झामुमो के उम्मीदवार थे, जबकि मनीष जायसवाल झारखंड विकास मोर्चा के. इस चुनाव में जयप्रकाश भाई पटेल ने बाजी मारी थी.
संसद में आमने–सामने थी अन्नपूर्णा और गीता
संसद में अन्नपूर्णा देवी सत्ता पक्ष में थीं, जबकि गीता कोड़ा विपक्ष में. अब गीता कोड़ा ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. सिंहभूम से बीजेपी ने गीता कोड़ा को उम्मीदवार बनाया है. वहीं अन्नपूर्णा देवी कोडरमा से बीजेपी की उम्मीदवार है. वर्तमान में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री भी हैं. अन्नपूर्णा देवी ने 2019 में लोकसभा का चुनाव जीता था. इससे पहले, वह राष्ट्रीय जनता दल के सदस्य के रूप में कोडरमा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से झारखंड विधानसभा के लिए चुनी गई थीं. 1998 में अन्नपूर्णा देवी को राजद प्रत्याशी के रूप में उतारा गया था और वे जीत गईं, और पहली बार विधायक बनीं. 2000 और 2005 और 2010 के विधानसभा चुनाव में जीतीं. साल 2014 में अन्नपूर्णा को राजद का झारखंड प्रदेश अध्यक्ष का पद मिला. हेमंत सोरेन की सरकार में उन्हें जल संसाधन और बाल महिला विकास मंत्री बनाया गया.
2009 में गीता कोड़ा बनी थीं विधायक
गीता कोड़ा पहली बार जय भारत समानता पार्टी से 2009 में विधायक बनी थीं. 2014 में विधानसभा का चुनाव उन्होंने दूसरी बार जीता. 2014 में ही उन्होंने जय भारत समानता पार्टी की टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था, पर कामयाबी नहीं मिली. पहली बार कांग्रेस ने 2019 में उन्हें सिंहभूम से अपना उम्मीदवार बनाया और वह विजयी रहीं. अब वह बीजेपी में हैं.
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