New Delhi : सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ आज गुरुवार को उद्धव ठाकरे-एकनाथ शिंदे के शिवसेना में टूट और महाराष्ट्र में सरकार बदलने को लेकर दायर याचिकाओं पर अहम फैसला सुनाने जा रही है. बता दें कि CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की बेंच यह फैसला सुनायेगी. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
Five-judge Constitution bench of CJI DY Chandrachud and Justices MR Shah, Krishna Murari, Hima Kohli and PS Narasimha to pronounce verdict today on a batch of petitions filed by rival factions Uddhav Thackeray and Chief Minister Eknath Shinde in relation to the Maharashtra… pic.twitter.com/sVPm14vd9G
— ANI (@ANI) May 11, 2023
महाराष्ट्र संकट को लेकर दायर आठ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सुनवाई की थी कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने उद्धव ठाकरे की तरफ से और हरीश साल्वे, नीरज कौल और महेश जेठमलानी ने एकनाथ शिंदे की पैरवी की थी.
फैसला महाराष्ट्र की राजनीति की दिशा तय करने वाला साबित होगा
SC का फैसला महाराष्ट्र की राजनीति की दिशा तय करने वाला साबित होगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एकनाथ शिंदे सरकार का भाग्य तय होगा. फैसला तय करेगा कि शिवसेना से बगावत करने वाले भाजपा के साथ सरकार बनाने वाले विधायकों की सदस्यता रद्द होनी चाहिए या नहीं. इस फैसले से शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे का राजनीतिक भाग्य का भी फैसला होगा. SC द्वारा यदि एकनाथ शिंदे और 15 अन्य विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाता है तो तय है कि शिंदे को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा.
तत्कालीन सीजेआई रमना ने संविधान पीठ को भेजा था मामला
कुछ माह पीछे जायें तो अगस्त 2022 में तत्कालीन सीजेआई एनवी रमना की अगुआई वाली एक पीठ ने इस मामले में सुनवाई की थी. कहा था कि इस मामले में संविधान की व्याख्या की जरूरत है. इसके साथ ही बेंच ने मामला संविधान के अनुच्छेद 145 (3) के तहत पांच-जजों की पीठ को भेज दिया था.
तय होगा कि विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाये या नहीं
यह देखा जाना महत्वपूर्ण होगा कि आज सुप्रीम कोर्ट शिंदे और 15 अन्य विधायकों को पिछले साल जून में तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करने के लिए अयोग्य घोषित करता है या नहीं. शिंदे ने अपने समर्थक विधायकों के साथ मिल कर उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी. इसके बाद उद्धव ठाकरे ने सीएम पद छोड़ दिया था. शिवसेना दो भागों में बंट गयी थी.
भाजपा ने शिंदे गुट को समर्थन देकर और सरकार का गठन कर लिया शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया गया. शिंदे गुट द्वारा सरकार गिराये जाने के विरोध में उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुनवाई के दौरान उद्धव कैंप ने शिंदे की बगावत और उनकी सरकार के गठन को गैरकानूनी बताया था.