Ranchi : झारखंड के शिक्षाविद विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन के पक्ष में हैं. उनका कहना है कि जितनी जल्दी हो इसका गठन कर दिया जाना चाहिए. इस कार्य में जितनी देर हो रही है, राज्य की शैक्षणिक गतिविधियों को नुकसान हो रहा है. खासकर उच्च शिक्षा के लिए विवि सेवा आयोग का गठन जरुरी है. इसके अलावा कॉलेज, विश्वविद्यालयों से जुड़ी ढेर सारी समस्याओं का निदान भी आयोग के गठन से संभव हो पाएगा. शिक्षाविद इस कार्य में हुई देरी के लिए राज्य में अब तक आई सरकारों में दूरदर्शिता और इच्छाशक्ति में कमी बताई है. इस समय राज्य के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के करीब 4500 पद रिक्त हैं. लंबे समय से इनकी नियुक्ति लंबित हैं. शिक्षकों की कमी के कारण विश्वविद्यालयों में पढ़ाई प्रभावित हो रही हैं. इस समय प्रोन्नति, नियुक्ति, स्थानांतरण सहित अन्य कार्यों का दायित्व जेपीएससी के कंधे पर है. वर्क लोड के कारण वह इन कार्यों को समय पर नहीं कर पा रहा है. शिक्षाविदों का मानना है कि विवि सेवा आयोग का गठन समय से नहीं किए जाने के कारण झारखंड में शिक्षा से जुड़ी बहुत सारी समस्याएं खड़ी हो गईं है. इसलिए इसका गठन शीघ्र किए जाने की जरूरत बतायी गयी है. शुभम संदेश की टीम ने इस संबंध में राज्य भर के शिक्षाविदों से बातचीत की है. पेश है रिपोर्ट…
धनबाद : सेवा आयोग को गंभीरता से ले सरकार
झारखंड में बिहार की तर्ज पर विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन कर विवि और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली की मांग लंबी अवधि से की जाती रही है. राज्यपाल भी आयोग के माध्यम से विवि और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के पक्ष में हैं. कॉलेज के शिक्षकों का मानना है कि झारखंड में ऐसी पद्धति का विकास जरूरी है, जिससे शिक्षा व्यवस्था को गति और नवीनता मिले. कॉलेजों में शिक्षक का अभाव है और नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाने की जरूरत है. हालांकि सरकार की सुस्ती भी समस्या के समाधान में आड़े आ रही है.
नियुक्तियों में विलंब उच्च शिक्षा के लिए अच्छा नहीं है: प्रो अविनाश
आरएसमोर महाविद्यालय, गोविंदपुर के इतिहास विभाग के प्रो. अविनाश कुमार कहते हैं कि झारखंड के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में शिक्षकों का घोर अभाव है. इस अभाव को दूर करने के लिए झारखंड में भी विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन जरूरी है. नियमित नियुक्तियों में इतना विलंब झारखंड की उच्च शिक्षा के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है. इस दिशा में शीघ्र कदम उठाने की जरुरत है. ताकि कॉलेजों में शिक्षकों की बहाली का मार्ग प्रशस्त हो सके और शिक्षकों की कमी दूर हो सके.
उच्च शिक्षा के लिए वरदान साबित होगा आयोग का गठन : डॉ. प्रवीण
आरएस मोर कॉलेज, गोविंदपुर के प्राचार्य डॉ. प्रवीण कुमार ने कहा कि राज्य में बिहार की तर्ज पर विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन जरूरी है. शिक्षकों की नियमित बहाली, ससमय प्रोन्नति सहित अन्य समस्याओं के निदान का इससे अच्छा रास्ता नहीं होगा. यह आयोग उच्च शिक्षा के लिए वरदान साबित होगा. एक दशक से ज्यादा समय से पेंडिंग पड़े मामलों का भी त्वरित निष्पादन संभव होगा.इसलिये विश्वविध्यालय सेवा आयोग का शीघ्र गठन जरुरी है. इससे शिक्षकों के बहुत से मामलों का हल भी हो जाएगा.
शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए नियमित नियुक्ति जरूरी : प्रो. त्रिपुरारी
आरएस मोर कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. त्रिपुरारी कुमार कहते हैं कि झारखंड में उच्च शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए सहायक प्राध्यापक नियमित रूप से नियुक्त किये जाने चाहिए. हजारों युवा नेट, जेआरएफ, पीएचडी कर बेरोजगार बैठे हैं. विश्वविद्यालय आयोग का गठन उनके सपनों को नई उड़ान देगा. उच्च शिक्षा की समस्याएं दूर कर शिक्षकों के साथ छात्रों का भी भला करेगा. इसलिये जितनी जल्दी हो विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन हो जाना चाहिए.
15 वर्षों से प्रोन्नति नियमावली नहीं होना काफी दुर्भाग्यपूर्ण : डॉ. श्याम
आरएस मोर कॉलेज कॉमर्स विभाग के डॉ. श्याम किशोर सिंह ने कहा कि झारखंड की उच्च शिक्षा को गति देने के लिए विश्वविद्यालय सेवा आयोग नितांत जरूरी है. राज्य में 15 वर्षों से कोई प्रोन्नति नियमावली नहीं है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. इन समस्याओं का निदान विश्वविद्यालय सेवा आयोग से ही होगा. जब तक नियमित रूप से शिक्षक बहाल नहीं होंगे, नई शिक्षा नीति को गति नहीं दी जा सकती है.इतने सालों से आयोग का गठन नहीं होना सरकारी की अदूरदर्शिता को दर्शाता है.इस मामले में शीघ्र पहल होनी चाहिए.
पदों पर बहली हो पाएगी : डाॅ. सुनील मुर्मू
चांडिल के सिंहभूम कॉलेज के प्रोफेसर डाॅ. सुनील मुर्मू ने कहा कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन होने से काॅलेजों में रिक्त पड़े प्रोफेसर व सहायक प्रोफेसरों के पद पर अविलंब बहाली होगी. इससे विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा. जेपीएससी के मार्फत विश्वविद्यालय और कॉलेजों का काम पूरी तरह से कर पाना मुश्किल है. जेपीएससी के पास बहुत सारा काम रहता है, इसलिए कई कार्य वर्षों तक लंबित रह जाते हैं. आयोग के गठन को लेकर राज्यपाल का प्रयास सराहनीय है. इस पर सरकार को अविलंब पहल करते हुए सभी विश्वविद्यालय और कॉलेजों की रिक्तियों को भरना चाहिए, ताकि कॉलेजों में पठन-पाठन नियमानुसार हो सके और विश्वविद्यालयों में भी सारे कार्य समय पर पूरा किया जा सके.इसलिए सरकार का चाहिए कि इस ओर शीघ्र कदम बढ़ाए और बिहार की तर्ज कर विवि सेवा आयोग का गठन करे.
हर हाल में आयोग का गठन हो : डॉ ज्योतिष
सिंहभूम कॉलेज के प्रोफेसर डाॅ. ज्योतिष कुमार सिंह ने कहा कि कई राज्यों में विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन कर विश्वविद्यालय और कॉलेजों का काम सुचारू रूप से किया जा रहा है. आयोग के गठन से जहां सभी लंबित मामलों का निष्पादन होगा, वहीं शिक्षक और छात्र दोनों को इसका फायदा मिलेगा. झारखंड में हर हाल में विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन होना चाहिए. उच्च शिक्षा विभाग को इस मामले को लेकर सकारात्मक पहल करने की जरूरत है. सरकार को विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन को लेकर सामने आने वाली सभी प्रकार की अड़चनों को दूर करते हुए राज्य के विद्यार्थियों के बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए इसका गठन किया जाना चाहिए. झारखंड बनने के साथ ही इसका गठन किया जाना चाहिए था. आयोग के गठन से शिक्षा से जुड़ी बहुत सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा.
आयोग के बिना शिक्षा का विकास नहीं हो रहा : डॉ नेपाल चंद्र
सिंहभूम कॉलेज के प्रोफेसर डाॅ. नेपाल चंद्र महतो ने कहा कि बिहार में विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन किया गया है. इसका नतीजा है कि वहां के विश्वविद्यालय और कॉलेजों में प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर या अन्य कर्मियों की कमी के कारण शिक्षा व्यवस्था प्रभावित नहीं हो रही है. वहीं झारखंड के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के लगभग 4500 पद रिक्त हैं. 2008 में जेपीएससी के मार्फत हुई बहाली विवादों में घिर गया, जिसकी सीबीआई जांच चल रही है. राज्य में अगर आयोग रहता तो बहाली आयोग के के द्वारा ही होती. वहीं विश्वविद्यालय और कॉलजों की अन्य समस्याओं का भी आयोग समाधान करता.इसके अलावा आयोग के नहीं रहने से राज्य में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक विकास नहीं हो रहा है. इसलिए जितनी जल्द को विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन किया जाना चाहिए.
छात्र-अध्यापक दोनों को फायदा : डॉ. वासुदेव
केबी कॉलेज बेरमो के प्रोफेसर डॉ. वासुदेव प्रजापति ने कहा कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन स्वागत योग्य है. झारखंड में विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन से छात्र व अध्यापक दोनों को लाभ होगा. इससे समय पर प्रतिवर्ष बिना पैरवी, पैसा के प्रध्यापकों की नियुक्ति हो सकेगी. जिससे शिक्षकों की कमी दूर होगी और योग्य शिक्षक मिल पाएंगे.इससे शिक्षा का स्तर भी सुधरेगा.
शिक्षकों की कमी दूर होगी : प्रो राजू कुमार
केबी कॉलेज बेरमो के प्रोफेसर डॉ. वासुदेव प्रजापति ने कहा कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन स्वागत योग्य है. झारखंड में विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन से छात्र व अध्यापक दोनों को लाभ होगा. इससे समय पर प्रतिवर्ष बिना पैरवी, पैसा के प्रध्यापकों की नियुक्ति हो सकेगी. जिससे शिक्षकों की कमी दूर होगी और योग्य शिक्षक मिल पाएंगे.इससे शिक्षा का स्तर भी सुधरेगा.
बहुत सारी कमियां दूर होगी : डॉ. व्यास कुमार
केबी कॉलेज बेरमो में इतिहास विभाग में सहायक प्राध्यापक डॉ. व्यास कुमार ने कहा कि असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर की भारी कमी के कारण छात्र एमफिल, पीएचडी व डीलिट की उपाधि ले नहीं पा रहें हैं. राज्यपाल के प्रयास से सेवा आयोग का गठन होता है तो ये कमियां दूर होंगी. इसलिए जितनी जल्दी हो विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन होना चाहिए.
अनुपात 30:1 होना चाहिए : इंदल पासवान
घाटशिला महाविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान विभाग के प्रोफेसर इंदल पासवान ने बताया कि 2020 में बैकलॉग असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति हुई. 2022 से रेगुलर असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है, किंतु फिर भी सभी जगह शिक्षक विद्यार्थी के अनुपात में नहीं हैं. नई शिक्षा नीति लागू हो गई है. उनमें शिक्षक विद्यार्थी का अनुपात 30:1 होना चाहिए.
शिक्षकों की बहाली जरूरी : प्रो. राम विनय
घाटशिला महाविद्यालय घाटशिला के वाणिज्य विभाग के प्रो. राम विनय कुमार श्याम ने बताया कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग की स्थापना कर सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति कराना काफी सराहनीय कदम होगा. सभी कॉलेजों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षकों की बहाली होनी ही चाहिए. शिक्षक की कमी के कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कल्पना नहीं की जा सकती.
हल होगा प्रोन्नति का मामला : डॉ. कुमार विशाल
घाटशिला महाविद्यालय में इतिहास विभाग के प्रो. डॉ. कुमार विशाल ने कहा कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन होने से कॉलेजों में सहायक प्रोफेसरों की बहाली की मांग को पूरा किया जा सकता है. साथ ही साथ आयोग के गठन होने से शिक्षकों की प्रोन्नति का मामला भी कुछ हद तक सुधर सकता है. घाटशिला कॉलेज में वैसे भी छात्रों की संख्या काफी अधिक होने के कारण शिक्षकों की घोर कमी है.
आयोग बनाने से सुविधा होगी : डॉ. त्रिभुवन शाही
एसएस मेमोरियल कॉलेज के हिन्ही के सहायक प्राध्यापक डॉ. त्रिभुवन शाही ने कहा कि विश्वविद्यालय आयोग बनने से विश्वविद्यालय के लिए सुविधा होगी. कई साल से विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की बहाली नहीं हुई है. विश्वविद्यालय आयोग बनने से जरूरत के हिसाब से रिक्तियां भरी जाएगी. जेपीएससी के पास पूरे राज्य का काम है. जिसकी वजह से विश्वविद्यालय का काम समय पर नहीं होता है.इसलिए जितनी जल्दी हो विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन होना ही चाहिए.
राज्यपाल का प्रयास सहरानीय : राजेश कुमार
एसएस मेमोरियल कॉलेज के नागपुरी विभाग के एचओडी राजेश कुमार ने कहा कि इस दिशा में राज्यपाल सीपी राधाकृषणन का प्रयास सहरानीय है. इससे कई साल से हो रहीं शिक्षकों की समस्या को दूर किया जा सकेगा. यह केवल शिक्षक ही नहीं बल्कि विद्यार्थी हित में भी है. विश्वविद्यालय आयोग बनने से कई साल से रुके शिक्षकों की प्रन्नति भी समय पर हो पाएगी. मुझे लगता है कि विश्वविद्यालय आयोग बनना बहुत जरुरी है.सरकार को इस दिशा में जल्द कदम उठाना चाहिए.जिससे समस्याओं का समाधान हो सके.
पहले ही आयोग बन जाना चाहिए था : डॉ. आजाद
एसएस मेमोरियल कॉलेज के उर्दू के एचओडी डॉ. आजाद अहमद ने कहा कि विश्वविद्यालय आयोग तो झारखंड गठन के बाद ही बनना चाहिए था. लेकिन अब तक नहीं बना है. जेपीएससी के जिम्मे बहुत सारे काम होते हैं. जिसके चलते विश्वविद्यालय का काम नहीं हो पाता है. उसमें जो अध्यक्ष होते हैं वह विश्वविद्यालय के शिक्षक या पदाधिकारी नहीं होते हैं. जिसके कारण विश्वविद्यालय से संबंधित काम नहीं हो पाते हैं. आयोग के गठन से जेपीएससी पर वर्क लोड कम होगा और बहुत सारे काम समय हो जाएंगे.
2008 के बाद नहीं हुई है बहाली : डॉ. एनके सिन्हा
एसएस मेमोरियल कॉलेज के राजनीतिशास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. एनके सिन्हा ने कहा कि विश्वविद्यालय आयोग बनने से झारखंड में जो शिक्षकों की बहाली नहीं हो रही है वह काम आसान हो जाएगा. 2008 के बाद झारखंड में बहाली नहीं हुई है. विश्वविद्यालय आयोग बनने से हर साल शिक्षकों की बहाली हो सकती है. जिससे शिक्षकों की कमियों को दूर किया जा सकता सकेगा.इससे छात्रों की पढा़ई में सहूलियत होगी.साथ ही शिक्षा के स्तर में भी वृद्धि होगी.
जल्द आयोग का बनना जरुरी :डॉ. संगीता कुमारी
एसएस मेमोरियल कॉलेज के राजनीतिशास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. संगीता कुमारी ने कहा कि विश्वविद्यालय आयोग बनना बहुत जरुरी है. इससे शिक्षकों की कमी को दूर कर सकते हैं. झारखंड के सभी विश्वविद्याल शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं. जेपीएससी इसकी बहाली नहीं कर रहा है. इससे कई अभ्यर्थियों की उम्र भी पार हो रही है. विश्वविद्यालय आयोग बनने से शिक्षकों की कमी को दूर किया जा सकता है.इससे समय पर छात्रों का कोर्स पूरा हो सकेगा और पढ़ाई का स्तर भी बढ़ेगा.
आयोग गठित हो, तो उच्च शिक्षा का विकास होगा : डॉ सुबोध सिंह
विभावि हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ सुबोध सिंह शिवगीत ने कहा कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन का निर्णय बेहतर पहल है. भविष्य में यह कदम मील का पत्थर साबित होगा. इससे झारखंड लोक सेवा आयोग का भी बोझ कम होगा. जेपीएससी पर परीक्षा लेने, नियुक्तियां करने समेत अन्य कार्यों का बोझ है. इससे विश्वविद्यालय से संबंधित परीक्षा, नियुक्तियां, प्रोन्नति जैंसे मामले लंबित रह जाते हैं. विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन होने से पूरा वर्क लोड जेपीएससी से खत्म हो जाएगा और विवि सेवा आयोग उसे वक्त पर पूरा भी कर पाएगा.
विश्वविद्यालय की समस्याओं का समाधान होगा : डॉ बीपी सिंह
विभावि राजनीति विज्ञान के पूर्व प्राध्यापक डॉ बीपी सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन स्वागतयोग्य है. आयोग के गठन से स्वतंत्र होकर सिर्फ विश्वविद्यालयों की समस्याओं का समाधान हो पाएगा. निश्चित रूप से यह पहल विश्वविद्यालय की समस्याओं के समाधान के लिए कारगर होगा. विवि सेवा आयोग का गठन हो जाने से विवि शिक्षकों की दूसरी संस्था पर से निर्भरता खत्म हो जाएगी. शिक्षकों के सारे काम स्वतंत्र रूप से हो पाएंगे. इससे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिलेगा. यदि विवि सेवा आयोग का गठन हो जाता है तो उच्च शिक्षा की समस्याएं दूर हो जाएंगी.
आयोग से शिक्षकों को प्रोन्नति मिल सकेगी : डॉ एसजेड हक
विभावि उर्दू विभाग ने डॉ एसजेड हक ने कहा कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग का तेजी से गठन करने की पहल किए जाने की जरूरत है. आयोग के गठन से कई फायदे होंगे. उच्च शिक्षा से संबंधित मामलों का तेजी से निष्पादन होगा. झारखंड में गिने-चुने ही यूनिवर्सिटी प्रोफेसर हैं. प्रोन्नति लंबित रहने की वजह से ही अहर्ता हने के बावजूद शिक्षा के उच्च पदों पर नियुक्ति के लिए शिक्षकों का मामला भी आगे नहीं बढ़ पाता है. विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन से अन्य कार्यों के साथ शिक्षकों की प्रोन्नति भी तय समय पर हो पाएगी. साथ ही लंबित मामलों के निष्पादन में भी सहूलियत मिलेगी.
समस्याओं के हल के लिए आयोग का गठन जरूरी : डॉ. राजू राम
विभावि में हिंदी के प्राध्यापक डॉ राजू राम ने कहा कि समस्याओं के निदान के लिए हर हाल में झारखंड में विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन होना चाहिए. इससे जहां झारखंड लोक सेवा आयोग पर शिक्षकों की नियुक्ति, प्रोन्नति आदि की निर्भरता खत्म होगी, वहीं शिक्षकों की समस्याओं का निष्पादन भी तेजी से हो पाएगा. झारखंड गठन के 23 साल हो गए. अब तक किसी भी सरकार ने विवि सेवा आयोग के गठन की पहल नहीं की. अब अगर ऐसा होता है, तो कदम स्वागतयोग्य है. इसकी वकालत चारों ओर से होनी चाहिए.
विवि सेवा आयोग बने, तो उच्च शिक्षा के लिए नेक कदम : डॉ सुनील कुमार
विभावि हिन्दी विभाग के प्राध्यापक डॉ सुनील कुमार दुबे ने कहा कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन से न सिर्फ शिक्षकों का हित होगा, बल्कि परोक्ष रूप से इसका फायदा विद्यार्थियों को भी मिलेगा. शिक्षकों की नियुक्ति और प्रोन्नति का लाभ विद्यार्थियों को भी मिलेगा. इसके लिए तेजी से पहल करने की जरूरत है. यह उच्च शिक्षा की दिशा में उठाया जानेवाला बड़ा और नेक कदम होगा. विवि सेवा आयोग के गठन से उच्च शिक्षा में काफी परिवर्तन देखने को मिलेगा. इससे शिक्षकों की समस्याओं का समाधान भी हो पाएगा.
आयोग का गठन किया जाना चाहिए : डॉ. कमल किशोर सिंह
इस संबंध में देवघर महाविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर डॉ. कमल किशोर सिंह का कहना है कि जेपीएससी जिन पदों पर बहाली करता है, वह विवादों में घिर जाता है. विश्वविद्यालय स्तर पर असिस्टेंट प्रोफेसरों की बहाली के लिए आयोग का गठन किया जाना चाहिए. जेपीएससी की बहाली में पारदर्शिता नहीं रहती. आयोग की बहाली में पारदर्शिता रहेगी.इसलिए जतनी जल्द हो विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन होना चाहिए.इस दिशा में सरकार को शीघ्र पहल करनी चाहिए.
कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की कमी : ललित कुमार देव
देवघर महाविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर ललित कुमार देव के अनुसार जेपीएससी की बहाली में लेटलतीफी होती है. किसी पद पर नियुक्ति करने में वर्षों लग जाते हैं. विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अस्स्टेंट प्रोफेसरों की कमी है. जेपीएससी मार्फत बहाली करने के बजाए आयोग गठित कर बहाली किया जाना बेहतर रहेगा.कॉलेजों में बहुत लंबे समय से शिक्षकों के पद रिक्त हैं. इन्हें शीघ्र भरा जना चाहिए ताकि छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो.
शिक्षकों की भारी कमी है, इसे शीघ्र दूर करना जरूरी: डॉ. स्मिता झा
टाटा कॉलेज की सहायक प्रोफेसर डॉ. स्मिता झा का कहना है कि वर्ष 2008 में जेपीएससी की मार्फत बहाली हुई, लेकिन मामला विवादों में घिर गया. जो दुर्भाग्यपूर्ण है. झारखंड में गलत तरीके से बहाली का समर्थन किसी को नहीं करना चाहिए. नियम के तहत बहाली प्रक्रिया शुरू करे. अभी तक राज्य में सहायक प्रोफेसर के बहाली नहीं हुई है. जिसके कारण कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है. विधार्थी काफी परेशान है. समय पर सिलेबस पूरा नहीं होने से कई तरह के विरोध का सामना करना पड़ता है. राज्य में बिहार की तर्ज पर विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन कर विवि और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली की मांग लंबी अवधि से की जाती रही है. राज्यपाल भी आयोग के माध्यम से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के पक्ष में हैं. लेकिन सरकार इस पर गंभीर नहीं है, जो चिंतनीय है. कोल्हान विश्वविद्यालय में 600 से अधिक सहायक प्रोफेसर के पद रिक्त पड़ा हुआ है.इस दिशा में सरकार को जल्द कदम उठाना चाहिए. कारण बहुत समय से इतने पद खाली पड़े है. छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. इसलिये जितनी जल्द हो विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन कर शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए.
विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है : बसंती कालुंडिया
जीसी जैन कॉमर्स कॉलेज के सहायक प्रोफेसर बसंती कालुंडिया का कहना है कि कोल्हान विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी है. सरकार यदि समय पर बहाली प्रक्रिया शुरू नहीं करती है तो आने वाले दिनों में विद्यार्थियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सहायक प्रोफेसर की कमी होने से शोधार्थी अपना शोध पत्र तैयार नहीं कर पा रहे हैं. सरकार को आयोग गठन कर आने वाले दिनों में बहाली प्रक्रिया को शुरू करने की जरूरत है. राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी है. सहायक प्रोफेसर की लंबे समय से बहाली नहीं हुए हैं. बिहार की तर्ज पर बहाली होगी चाहिए. लेकिन झारखंड के हित को देखते हुए बहाल करने की जरूरत है. अन्यथा आने वाले दिनों में जिस तरह से 2008 बेच की बहाली विवाद के घेरे में पड़ गई . उसी तरह यह भी विवाद में घिर सकता है. सरकार से लगातार विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलपति शिक्षकों की कमी को लेकर समस्या बता रहे हैं. लेकिन उसका समाधान नहीं किया जा रहा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. झारखंड में शिक्षक की भारी कमी है. जिससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. समय पर कोर्स पूरे नहीं हो पाते हैं. इसलिए प्रोफेसरों की नियुक्ति होना अनिवार्य है.इस दिशा में शीघ्र कदम उठाने की जरुरत है.
विश्वविध्यालय सेवा आयोग का गठन समय की मांग है: डॉ. छगनलाल अग्रवाल
जमशेदपुर विमेंस यूनिवर्सिटी में संविदा शिक्षक डॉक्टर छगनलाल अग्रवाल ने कहा कि जेपीएससी पर पहले से ही कई परीक्षाओं का दबाव है. ऐसे में जेपीएससी शिक्षक नियुक्ति या प्रोन्नति पर पूरी तरह ध्यान नहीं दे पाता है. विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में शिक्षकों की कमी की जो समस्या है, उसे ध्यान में रखते हुए यहां विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन समय की मांग है. राज्य में नई शिक्षा नीति लागू हो चुकी है. नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रमों का प्रारूप और शिक्षण पद्धति में काफी बदलाव देखा जा रहा है. 25 छात्र पर शिक्षा की अनिवार्यता है. ऐसे में शिक्षकों की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं विश्वविद्यालयों एवं कालेजों के लिए पूरी तरह से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना असंभव प्रतीत होता है. अन्य राज्यों में विश्वविद्यालय सेवा आयोग है, जहां शिक्षक नियुक्ति से लेकर प्रोन्नति और अन्य संबंधित कार्य समय-समय पर संचालित हो रहे हैं. झारखंड में भी यदि विश्वविद्यालय सेवा आयोग हो तो उच्च शिक्षा की बेहतरी की दिशा में वह स्वतंत्र रूप से कार्य करता रहेगा. इससे राज्य में उच्च शिक्षा की गति को बल मिलेगा. साथ ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी संभव होगी.इसके साथ ही आयोग के गठन से शिक्षा से जुड़ी बहुत सारी समस्याओं का समाधान भी हो जाएगा.
आयोग के गठन से उच्च शिक्षा की स्थिति बेहतर होगी : डॉ. अमर सिंह
जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अमर सिंह ने कहा कि झारखंड राज्य की स्थापना हुए करीब 23 साल हो गए, कई सरकारें आई और गई, लेकिन अब तक किसी भी सरकार ने विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई. यह हमारी सरकार में इच्छाशक्ति की कमी को दर्शाता है. राज्य में उच्च शिक्षा को मजबूत और गुणवत्तापूर्ण बनाना है तो शिक्षकों की कमी और प्रोन्नति दोनों पर ध्यान देना होगा. एक उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा कि अब से करीब 10 वर्ष पहले जिन छात्रों को मैंने पढ़ाया था आज वे प्रोफेसर बन चुके हैं और हम प्रोन्नति के अभाव में पिछड़ गए हैं. आयोग का गठन सिर्फ शिक्षकों की कमी की समस्या या प्रोन्नति की समस्या के समाधान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आवश्यकता के अनुसार और जिस प्रकार शिक्षा नीति में बदलाव आ रही है, उसके लिए भी नितांत आवश्यक है. ताकि समय-समय पर योग्य शिक्षकों की बहाली हो सके और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके. इससे राज्य में पलायन की समस्या से भी निपटा जा सकेगा. आम बात है कि जेपीएससी पर पहले से ही विभिन्न परीक्षाओं का लोड है. ऐसे में उच्च शिक्षा से जुड़े शिक्षकों की कमी या प्रोन्नति की समस्या पर समुचित कार्य नहीं कर पाता है. ऐसे में विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन हो तो राज्य में उच्च शिक्षा की स्थिति काफी बेहतर हो सकती है.
जितनी जल्द हो विवि सेवा आयोग का गठन होना चाहिए : डॉ. मुदिता चंद्रा
कोल्हान विश्वविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर मुदिता चंद्रा ने कहा कि जेपीएससी पर विभिन्न परीक्षाओं का पहले से ही भार है. ऐसे में राज्य में विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन तो होना ही चाहिए. यह मांग जायज है. रही बात पीएचडी और नेट क्वालिफाइड उम्मीदवारों की, तो इनकी भरमार है. ऐसे में योग्य उम्मीदवारों की कोई कमी नहीं है. देश में जब सीयूईटी के माध्यम से स्नातक कक्षाओं में नामांकन हो रहा है, तो ऐसे में पीएचडी या नेट क्वालिफाइड उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए. राज्य में सेट की कोई आवश्यकता नहीं है. जो बच्चे सीयूईटी के माध्यम से कॉलेजों में एडमिशन ले रहे हैं, वे पीएचडी या नेट के माध्यम से विश्वविद्यालय अथवा कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर भी बन सकते हैं. मैं मानती हूं कि शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा 60 वर्ष होनी चाहिए. क्योंकि शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो रही है, इसलिए सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा बढ़ा दी जा रही है. इसके अलावा नई शिक्षा नीति की बात करें, तो अब नए नए उम्मीदवारों को मौका जरूर मिलना चाहिए. क्योंकि नई शिक्षा नीति के तहत रोजगार परक, डिप्लोमा सर्टिफिकेट आदि कोर्स शामिल किए गए हैं. पुराने अथवा 10 साल पहले के शिक्षकों को इसके पठन-पाठन में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है.
नेट की तर्ज पर सेट की परीक्षा भी झारखंड में हर साल हो : डॉ. शुक्ला
कोल्हान विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डॉक्टर शुक्ला मोहंती ने कहा किकोल्हान विश्वविद्यालय समेत राज्य के सभी विश्वविद्यालयों एवं कालेजों में शिक्षकों की भारी कमी है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता. इसके लिए जरूरी है कि नेट की तर्ज पर सेट ( स्टेट एलिजिबिलिटी टेस्ट) की भी परीक्षा हर साल झारखंड में आयोजित हो. चूंकि जेपीएससी पर पहले से ही ढेर सारी परीक्षाओं का लोड है. ऐसे में शिक्षकों की नियुक्ति प्रभावित हो रही है. राज्य में सेट की परीक्षा होती है, तो राज्य के शिक्षित एवं योग्य युवाओं को निश्चित ही अवसर प्राप्त होगा. इससे झारखंड में योग्य मानव संसाधन का समुचित उपयोग भी हो पाएगा. इस तरह राज्य में सेट की परीक्षा तो जरूरी है ही, क्योंकि इसमें इस राज्य के ही विद्यार्थी शामिल हो सकेंगे और उन्हें रोजगार मिलेगा. इसके साथ ही यहां बिहार की तर्ज पर विश्वविद्यालय सेवा आयोग की मांग भी जायज है. आयोग होगा तो हर साल नियुक्ति की प्रक्रिया भी जारी रहेगी और पीएचडी धारी अथवा नेट या सेट क्वालिफाइड उम्मीदवारों की समय से नियुक्ति होती रहेगी. वर्तमान में देखे तो नए और योग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति समय की मांग है. नई शिक्षा नीति के तहत 25 छात्र पर एक शिक्षक होने चाहिए. इसके हिसाब से राज्य के विश्वविद्यालयों और कालेजों में शिक्षकों की संख्या काफी कम है.