Ranchi : देवकुमार धान (Devkumar Dhan ) के चुनाव मैदान में कूदने के बाद मांडर विधानसभा उपचुनाव (Mandar Assembly by-election) में ट्विस्ट आ गया है. मांडर में अब त्रिकोणीय संघर्ष होगा. वैसे तो नामांकन के अंतिम दिन तक उपचुनाव के लिए कुल 19 प्रत्याशियों ने पर्चा दाखिल किया है, लेकिन मुकाबला मुख्य रूप से बीजेपी(BJP) की गंगोत्री कुजूर, कांग्रेस(Congress) की शिल्पी नेता तिर्की और बीजेपी से बगावत कर चुनाव में उतरे निर्दलीय उम्मीदवार देवकुमार धान के बीच होगा. देवकुमार धान की बगावत से बीजेपी को नुकसान होगा या फायदा यह तो चुनाव परिणाम आने के बाद पता चलेगा, लेकिन 2014 का चुनाव परिणाम बताता है कि देवकुमार धान के बागी होने से कांग्रेस को मांडर में बड़ा नुकसान हुआ था. पढ़ें – खाकी निकर जलाने पर भिड़े भाजपा-कांग्रेस, RSS के कार्यकर्ताओं ने सिद्धारमैया को उपहार में भेजे शॉर्ट्स और निकर
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2014 में देवकुमार धान ने काटा था वोट
मांडर में 2014 के विधानसभा चुनाव में गंगोत्री कुजूर(Gangotri Kujur )ही बीजेपी की प्रत्याशी थीं. राजनीतिक पंडितों ने तब कहा था कि गंगोत्री, बंधु तिर्की(Bandhu Tirkey)के सामने नहीं टिक पायेंगी, लेकिन हुआ उल्टा और वे चुनाव जीत गईं. उस वक्त उनकी राह आसान की थी देवकुमार धान ने. 2014 में बंधु तिर्की टीएमसी(TMC) से चुनाव लड़ रहे थे और देवकुमार धान बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव में उतरे थे. देवकुमार धान ने 38,801 वोट लाकर बंधु तिर्की और कांग्रेस प्रत्याशी रविंद्रनाथ भगत के वोट काट दिये. धान को 20.41 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं गंगोत्री कुजूर को 54,200 और बंधु तिर्की को 46,595 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी रवींद्रनाथ भगत को 20,646 वोट मिले थे.
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देवकुमार धान फिर से बागी हुए हैं
इस बार भी कुछ वैसा ही सीन बन रहा है. देवकुमार धान फिर से बागी हुए हैं, लेकिन इस बार बगावत बीजेपी से हुई है. बीजेपी को भी इसका एहसास है कि धान गंगोत्री के लिए मुसीबत बन सकते हैं. बीजेपी इस कोशिश में है कि देवकुमार धान उपचुनाव से अपना नाम वापस ले लें. यही वजह है कि नामांकन के दूसरे दिन भी बीजेपी ने अबतक उनपर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की है. 9 जून को नामांकन वापसी के अंतिम दिन ही यह साफ होगा कि देवकुमार धान चुनाव लड़ेंगे या नहीं. उधर देवकुमार धान का कहना है कि वे चुनाव में सबसे सशक्त उम्मीदवार थे. पिछले चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया था, लेकिन पार्टी की अदालत में न्याय नहीं मिला, इसलिए जनता की अदालत में गये हैं.
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