NewDelhi : कांग्रेस नेता मनीष तिवारी के तेवर इन दिनों बगावती हो गये हो गये है. खबर है कि मनीष तिवारी ने अपनी किताब में मनमोहन सरकार की इस बात के लिए आलोचना की है कि मुंबई हमले के बाद पाकिस्तान पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी. अपनी किताब में मनीष तिवारी ने लिखा है कि मुंबई हमले के बाद भारत को पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए थी. लिखा कि कार्रवाई न करना कमजोरी की निशानी है.
Happy to announce that my Fourth Book will be in the market shortly – ’10 Flash Points; 20 Years – National Security Situations that Impacted India’. The book objectively delves into every salient National Security Challenge India has faced in the past two decades.@Rupa_Books pic.twitter.com/3N0ef7cUad
— Manish Tewari (@ManishTewari) November 23, 2021
इसे भी पढ़ें : यूपी : डॉक्टर कफील खान ने कहा, सम्मान के साथ मुझे वापस की जाये नौकरी, बर्खास्तगी रद्द की जाये
मुंबई हमले की तुलना अमेरिका के 9/11 से की
मनीष तिवारी ने पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए लिखा कि जब किसी देश को अगर निर्दोष लोगों के कत्लेआम करने का कोई खेद नहीं तो संयम ताकत की पहचान नहीं है, बल्कि कमजोरी की निशानी है. लिखा कि 26/11 एक ऐसा मौका था जब शब्दों से ज्यादा जवाबी कार्रवाई दिखनी चाहिए थी. उन्होंने मुंबई हमले की तुलना अमेरिका के 9/11 से करते हुए कहा कि भारत को उस समय जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए थी.
इसे भी पढ़ें : त्रिपुरा हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई, दिल्ली पहुंचीं ममता बनर्जी, प्रधानमंत्री मोदी से मिलेंगी
पंजाब को लेकर आलाकमान पर निशाना साधा था
इससे पूर्व कांग्रेस के सीनियर नेता और सांसद मनीष तिवारी ने पंजाब को लेकर आलाकमान पर निशाना साधा था. बिना नाम लिए नवजोत सिंह सिद्धू पर हमला बोला थी. कहा था कि जिन्हें पंजाब मसले को सुलझाने का जिम्मा दिया गया था, उनको पंजाब की समझ ही नहीं थी. मनीष तिवारी के अनुसार पंजाब को सुरक्षित हाथों में होना चाहिए. पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है, जिसकी सीमा पाकिस्तान से लगती है. लेकिन फिर भी मामले को बुरी तरह हैंडल किया गया जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है.
कन्हैया कुमार को पार्टी में लिये जाने पर सवाल खड़े किये थे
मनीष तिवारी ने कहा था कि पंजाब की ताजा स्थिति से अगर कोई इस वक्त खुश है तो वह पाकिस्तान है. यह भी जान लें कि मनीष तिवारी ने कन्हैया कुमार को पार्टी में लिये जाने पर भी सवाल खड़े किये थे. मनीष तिवारी ने ट्वीट किया था कि कुछ कम्युनिस्ट नेताओं के कांग्रेस में आने की अटकलें चल रही हैं. ऐसे में 1973 में छपी ‘कम्युनिस्ट इन कांग्रेस’ पढ़ी जानी चाहिए, चीज़ें जितनी बदलती हैं उतनी ही समान लगती हैं.