Manoharpur (Ajay singh) : संत अगस्तीन महाविद्यालय में बुधवार को हिंदी दिवस मनाया गया. इस अवसर पर आयोजित भाषण प्रतियोगिता का शुभारंभ प्राचार्य नेहरूलाल महतो ने दीप प्रज्वलित कर किया. भाषण प्रतियोगिता एवं रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम में नृत्य, गीत, कवीता पाठ में छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया. साथ ही प्रतियोगिता में प्रतिभाशाली प्रतियोगियों को पुरस्कृत कर सम्मानित किया गया. वहीं, वक्ताओं ने राष्ट्रीय भाषा हिंदी को देश को एक सूत्र में बांधने एवं राष्ट्र की उन्नति में हिंदी भाषा का अहम योगदान बताया. इस दौरान प्राचार्य महतो ने राष्ट्रीय भाषा हिंदी के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए कहा कि हिंदी भाषा में सभी भावों को बरने की अद्भुत क्षमता है. यही कारण है कि हिंदी को भारत की जननी भाषा कहा जाता है.
इसे भी पढ़े : चाकुलिया : निर्धारित से ज्यादा कीमत पर विदेशी शराब बेजने का आरोप लगाया ग्राहकों ने
हिंदी भाषा भारतीयों को एकता व अखंडता के सूत्र में पिरोती है : प्राचार्य
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में हिंदी को मातृ भाषा का दर्जा दिया गया है. यह महज भाषा ही नहीं बल्कि भारतीयों को एकता व अखंडता के सूत्र में पिरोती है. हिंदी को मन की भाषा कहा जाता है, जो कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी, संसद से लेकर सड़कों तक और साहित्य से लेकर सिनेमा तक हर जगह संवाद का सबसे बड़ा पुल बनकर सामने आती है. हिंदी हमारे साहित्यकारों की संस्कृति थी. महात्मा गांधी ने भी एक बार कहा था कि जिस प्रकार ब्रिटेन में अंग्रेजी बोली जाती है और सारे कामकाज अंग्रेजी में किए जाते हैं, ठीक उसी प्रकार हिंदी को हमारे देश में राष्ट्रभाषा का सम्मान मिलना चाहिए. लेकिन आज भी हम हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिला पाए.
इसे भी पढ़े : आदित्यपुर : एलआईसी शाखा में मनाया गया हिंदी दिवस
14 सितंबर 1953 को पहली बार मनाया गया हिंदी दिवस
उन्होंने बताया कि साल 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो देश के सामने एक राजभाषा के चुनाव को लेकर सबसे बड़ा सवाल था. क्योंकि भारत में हजारों भाषाएं और सैकड़ों बोलियां बोली जाती हैं. इसे ध्यान में रखते हुए 14 सितंबर 1949 को हिंदी और इंग्लिश को राजभाषा के रूप में चुना गया. हालांकि इस पर जमकर विरोध हुआ. वहीं, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के अनुरोध पर 14 सितंबर 1953 को पहली बार हिंदी दिवस मनाया गया. इसके बाद से प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को हिंदी के महत्व व इतिहास के बारे में बताना है और अपनी मातृ भाषा के प्रति जागृत करना है तथा हिंदी को न केवल देश के हर क्षेत्र में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रसारित करना है.
इसे भी पढ़े : चाईबासा : मानवशास्त्र के एचओडी ने रिटायरमेंट के बाद भी नहीं सौंपी संबंधित पदाधिकारी को सामान की सूची
ये थे उपस्थित
समारोह की अध्यक्षता उपप्राचार्य अकुलचंद्र मल्लिक एवं मंच का संचालन प्रो. डॉ.साधेश्वरी महतो एवं ललिता जोजो ने किया. इस मौके पर प्रो. सुरेंद्र चौधरी, प्रोमिला हैरेंज, बब्लू बेसरा, सानिया लकड़ा, मोरोती मिंज, नोमीता लोमगा, लक्ष्मी नारायण महतो, सोनल भुइयां, ललिता महतो, ज्योति जोजो समेत महाविद्यालय के सहकर्मीगण एवं छात्र-छात्रायें उपस्थित थे.
इसे भी पढ़े : दल बदल मामला : बाबूलाल की याचिका पर विधानसभा के वकील ने उठाया सवाल, जानें बाबूलाल के वकील ने क्या जवाब दिया