मिलजुलकर रहें, ताकि आपसी सोहार्द हमेशा कायम रह सके – मंजूर खान
Durvej Alam
Ramgarh : आपसी सोहार्द की मिसाल देखना है तो चले आइये रामगढ़ जिला का लारीकला पंचायत. यहां हिन्दू – मुस्लिम भाई-भाई की तरह रहते हैं. लारी निवासी मंजूर खान आपसी सोहार्द की एक मिसाल हैं. इनकी नजर में सभी जाति और धर्म एक है. इनके दिल में सभी के लिए एक समान जगह है. लोगों के बीच इसकी चर्चा खूब होती है. खान मुहर्रम के अलावे रामनवमी और दुर्गा पूजा के लाइसेंसधारी भी हैं. 1966 से मंजूर खान के नाम पर जिला प्रशासन लारीकला व सुकरीगढ़ा गांव में रामनवमी पर्व का लाइसेंस निर्गत करते आ रहा है, जो अब तक जारी है. मंजूर खान 57 साल से अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहे हैं. मंजूर खान बताते हैं कि 1966 से पहले उनके पिता इस्माइल खान के नाम पर लाइसेंस था. पिता के निधन के बाद उन्हें यह जिम्मेदारी दी गयी. उन्होंने कहा कि रामनवमी के लाइसेंस के अलावा दुर्गापूजा और मुहर्रम का भी लाइसेंस उन्हीं के नाम पर है. वह शांति समिति की बैठक में भी भाग लेते हैं. उन्होंने कहा कि आज तक रामनवमी जुलूस में किसी भी बात पर कोई विवाद नहीं हुआ है.
आपसी भाईचारे को कायम रखना है : मंजूर खान
समाजसेवी मंजूर खान ने कहा कि आपसी सौहार्द और भाईचारे को कायम रखना है, तो हम सभी को एक-दूसरे के धर्म और पर्व का सम्मान करना होगा. मन में कोई द्वेष नहीं रखें और एक-दूसरे के पर्व में शामिल हों, ताकि समाज व समुदाय में मजबूती बनी रहे. समाजसेवी मंजूर खान का मानना है कि इस धरती पर पैदा हुये सभी लोग एक हैं. धर्म का नाम अलग हो सकता है पर सभी धर्मों का विचार एक ही है. मंजूर खान बताते हैं कि वे दुर्गा पूजा, दीपावली, छठ, होली, ईद, मुर्हरम, रामनवमी, क्रिसमस, सभी पर्व को हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्म के लोगों के साथ मिलजुलकर मनाते हैं. उनका कहना है कि सभी लोग मिलजुलकर रहें, ताकि आपसी सोहार्द हमेशा कायम रह सके. मंजूर खान ने बताया कि प्रत्येक वर्ष लारी/सुकरीगढा में 3 बजे रामनवमी का जुलूस निकलता है और संध्या 7 बजे तक देवी मंडप लारी में विसर्जन हो जाता है.
धोती-कुर्ता पहन जुलूस में शामिल होते हैं मंजूर
मंजूर खान रामनवमी जुलूस में धोती-कुर्ता पहन कर शामिल होते हैं. वह लाठी भी खेलते हैं, इतना ही नहीं मंसूर खान मोहर्रम में कुर्ता- पायजामा और दुर्गापूजा में प्रशंसक द्वारा दिये हुये नए वस्त्र पहन कर जुलूस का नेतृत्व करते हैं.
मंजूर खान के पिता को भी मिलता था लाईसेंस
मंजूर खान के पिता स्व स्माईल खान को भी रामनवमी का लाईसेंस मिलता था. उनके पिता भी हिन्दू – मुस्लिम को जोड़ने का काम करते थे. 1978 में उनका निधन हो गया. जिसके पूर्व हीं 1966 में उन्होंने अपने पुत्र मंजूर खान को रामनवमी का लाईसेंस दिलवाने का काम किया. मंजूर खान ने बताया कि उनके पिता ने उन्हें विरासत में यह कार्य सौंपा है. उनके पिता कहते थे कि जिस तरह मैंने अपनी जिम्मेवारी को निभाया है, उसी तरह तुम भी इस कार्य को पूरी निष्ठा के साथ पूरा करना.
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