RANCHI : यकीन मुश्किल है, लेकिन यही सच है. पेट्रोल पंप संचालकों और धर्मकांटा ऑपरेटरों की मानें, तो मापतौल विभाग के कंट्रोलर (नियंत्रक) केसी चौधरी की सालाना ऊपरी कमाई पांच करोड़ रुपये से ज्यादा है. चौधरी की ज्यादातर कमाई बिहार के सुपौल में निवेश की गयी है, जो कि उनका पैतृक स्थान है. चर्चा है कि काली कमाई से उन्होंने वहां एक शॉपिंग मॉल भी बनाया है.
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पेट्रोल पंप और धर्मकांटा से नजराना 2 करोड़ से अधिक
झारखंड में करीब 1200 पेट्रोल पंप हैं. साल में एक बार इन सभी पेट्रोल पंप से कंट्रोल साहब को नजराना पेश किया जाता है. नजराने की राशि 10 हजार रुपये प्रति पेट्रोल पंप है. यानी सिर्फ पेट्रोल पंप से ही चौधरी को सालाना 1 करोड़ 20 लाख रुपये की बंधी-बंधाई कमाई होती है.
इसके अलावा राज्य में 500 से ज्यादा धर्मकांटा हैं. इन धर्मकांटा से भी सालाना नजराना आता है, जो कि कम से कम 25 हजार रुपया होता है. यानी 1 करोड़ 25 लाख. सिर्फ पेट्रोल पंप और धर्मकांटा से ही नजराने के रूप में करीब ढाई करोड़ रुपये की ऊपरी कमाई कंट्रोलर को होती है.
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मैन्यूफैक्चरिंग लाइसेंस के लिए लिये जाते हैं पांच लाख
कंट्रोलर की काली कमाई का एक और जरिया भी है. वह जरिया है लाइसेंस जारी करने का काम. मापतौल विभाग का कंट्रोलर ही मापतौल मशीन और बाट निर्माता कंपनियों को लाइसेंस जारी करता है. लीगल मेट्रोलॉजी अधिनियम, 2009 और झारखंड लीगल मेट्रोलॉजी (प्रवर्तन) नियम, 2011 के तहत बिना लाइसेंस के कोई कंपनी ये उपकरण नहीं बना सकती. मैन्यूफैक्चरिंग लाइसेंस के लिए प्रति लाइसेंस 5 लाख रुपये तय है. राज्य में अभी 100 के करीब मैनुफैक्चरिंग लाइसेंस जारी किये गये हैं.
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रिपेयरर लाइसेंस के लिए पांच लाख की फीस तय
राज्य में जहां-जहां भी मापतौल उपकरण, जैसे धर्मकांटा लगे हुए हैं, वहां कांटा मशीनों और बाट की मरम्मत के लिए रिपेयरर लाइसेंस जारी होता है. रिपेयरर लाइसेंस भी कंट्रोलर ही जारी करता है. इसके लिए भी पांच लाख रुपये प्रति लाइसेंस रिश्वत तय है. रिपेयरर लाइसेंस की संख्या भी 250 से अधिक है.
डीलर लाइसेंस के लिए 50 हजार से दो लाख तक रेट
किसी भी वजन या माप की बिक्री तब तक नहीं कर सकता, जब तक कि उसके पास विभाग द्वारा जारी डीलर लाइसेंस न हो. कंट्रोलर ने इस लाइसेंस के लिए अपनी फीस 50 हजार से 2 लाख तक तय कर रखी है. अंतिम रकम डीलर की हैसियत, पहुंच और इलाका देखकर फाइनल होती है. इसके अलावा होली-दशहरा पर विभागीय अधिकारी नजराना देते हैं. किसी धर्मकांटा, पेट्रोल पंप, ज्वेलरी शॉप की तौल मशीन में गड़बड़ी पायी गयी, तो मोटी रकम वसूली जाती है.
हर साल रिन्यू होता है लाइसेंस, इसका भी रेट फिक्स है
मैन्यूफैक्चरर, रिपेयरर और डीलर को हर साल अपना लाइसेंस रीन्यू कराना पड़ता है. इस रीन्युअल के लिए भी रेट फिक्स है. मैन्यूफैक्चरर और रिपेयरर लाइसेंस के नवीकरण के लिए 50 हजार से एक लाख रुपये कंट्रोलर को देने पड़ते हैं. डीलर लाइसेंस के लिए राशि आधी हो जाती है.
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किस काम का कितना रेट
- प्रति पेट्रोल पंप 10,000 रुपया
- धर्मकांटा 25000 रुपया (रिपेयरर वसूल कर पहुंचाते हैं)
- मैन्यूफैक्चरर लाइसेंस 5 लाख रुपया
- रिपेयरर लाइसेंस 5 लाख रुपया
- डीलर लाइसेंस 50 हजार से 1 लाख
- लाइसेंस रीन्युअल 50 हजार से 1 लाख
लाइसेंस रद्द करने और नये जारी करने का खेल चलता है
जो मैन्यूफैक्चरर और रिपेयरर कंट्रोलर को खुश नहीं करते उन्हें तरह-तरह से परेशान किया जाता है. यहां तक कि लाइसेंस भी रद्द कर दिया जाता है. फिर लाइसेंस बहाल करने या नये लाइसेंस जारी करने के लिए पैसा लिया जाता है. विभाग के कुछ अधिकारी जिनमें मुख्यालय में पदस्थापित प्रधान लिपिक भी शामिल हैं, एजेंट का काम करते हैं. ये लोग ही मुख्यतः पैसों की उगाही कर कंट्रोलर को पहुंचाते हैं. इनमें एक अधिकारी की मुख्य भूमिका है.
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