Majhgaon (Md. Wasi) : मझगांव में प्रखंड ग्रामीण जलापूर्ति योजना बीते 10 दिन से बंद है. 23 सौ परिवारों को पानी नहीं मिल रहा है. दर-दर भटकने को हुए विवश हैं ग्रामीण. गुड़गांव नदी से ग्रामीण जलापूर्ति योजना बीते लगभग 3 वर्ष से संचालित की जा रही है. लेकिन जैसे ही गर्मी दस्तक देती है पानी मिलना बंद हो जाता है. ये हाल है बलियापोसी, पड़सा व मझगांव पंचायतों के दर्जनों गांव के 23 सौ परिवारों की. मई माह के चिलचिलाती गर्मी में क्षेत्र के ग्रामीणों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है. प्रत्येक साल गर्मी में नदी का पानी पूरी तरह सूख जाता है. कई बार पीएचडी विभाग में इसकी शिकायत की गई है. ग्रामीणों की मांग है कि गुड़गांव नदी में जहां से पानी छोड़ी जाती है वहां पानी स्टोर के लिए डैम का निर्माण कर या कुआं बनाकर पानी जमा करने की व्यवस्था की जाए. लेकिन 3 वर्ष बीतने के बाद भी विभाग की ओर से कोई पहल नहीं की गई है.
इसे भी पढ़ें : झारखंड : रांची समेत कई जिलों में बारिश से पारा गिरा, तपती गर्मी से थोड़ी राहत
पूरे गर्मी तक लोगों को पानी मिलना बंद हो जाता है
हालात यह रहता है कि अप्रैल के बाद से पूरे गर्मी तक लोगों को पानी मिलना बंद हो जाता है. क्षेत्र के ग्रामीण पीने के पानी के लिए दर-दर भटक कर दूरदराज के गांवों से पानी लाने को विवश हो जाते हैं. सरकार का करोड़ों रुपए से बना ग्रामीण जलापूर्ति योजना गर्मी के माह में सफेद हाथी का दांत साबित होता है. दर्जनों गांव के अधिकतर नलकूप बेकार पड़े हैं. इस पर भी कोई पहल नहीं की जा रही है. ग्रामीण जलापूर्ति योजना का पानी मझगांव गांव के सैकड़ों परिवारों को पूर्व से ही नहीं मिलता है क्योंकि गांव का कई टोला ऊंचाई पर स्थित है जिसके लिए वहां शुरू से ही पानी नहीं पहुंचता है. उसके लिए अब तक कोई प्रावधान नहीं किया गया.
इसे भी पढ़ें : जमशेदपुर : संथाली लोक साहित्य व कहानी से अवगत हुए छात्र
पानी की जरुरत पूरा करने के लिए तालाब पर निर्भर हैं ग्रामीण
गांव के ग्रामीण चिलचिलाती गर्मी में अपनी जरूरत पूरा करने के लिए 5 किलोमीटर दूर सोनापोस तालाब पर निर्भर हैं और पीने का पानी के लिए देर रात से लाइन में लगकर पानी ला रहे हैं. लेकिन विभाग की ओर से कोई पहल नहीं किया जा रही है. पीएचडी विभाग के प्रति ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है. लोगों का कहना है कि विभाग नदी में डैम बना कर पानी स्टोर कर सकती है लेकिन विभाग कर नहीं रही है इसका खामियाजा हम हजारों ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है.