Kiriburu (Shailesh Singh): सेल की मेघाहातुबुरु प्रबंधन ने टाउनशिप में रहने वाले सेलकर्मियों व दुकानदारों को बंदरों के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिये बिरहोर (एक आदिम जनजाति) को प्रायोगिक तौर पर कार्य पर लगाया है. इसके लिये प्रथम चरण में बिरहोरों की बस्ती टाटीबा गांव से चार बिरहोर को विशेष मानदेय पर मेघाहातुबुरु लाया गया है. इन लोगों ने घूम-घूम कर बंदरों को शहर से जंगल में भगाने का कार्य प्रारंभ कर दिया है.
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बिरहोर को देखते ही भाग जाते हैं बंदर
ऐसी धारणा है कि बंदर सबसे ज्यादा बिरहोर से डरते हैं व उन्हें देख कर भागते हैं. यहां भी वह बंदरों को किसी प्रकार का नुकसान, चोट नहीं पहुंचा रहे हैं. बंदर इन्हें देख भाग भी रहे हैं. शुक्रवार को सेल की मेघालया गेस्ट हाऊस, केंद्रीय विद्यालय, सौपिंग सेंटर, अधिकारियों के आवासीय क्षेत्रों से बंदरों को भगाने का कार्य प्रारंभ किया गया है. अगर यह प्रयास सफल रहा तो जनता भारी राहत की सांस लेगी.
प्रयोग सफल रहा तो और बिरहोरों को लगाया जाएगा
अगर यह प्रयोग सफल रहा तो इस कार्य का विस्तार कर और भी बिरहोरों को भी इस कार्य में लगाया जाएगा. इससे शहर की जनता को बंदरों के आतंक से जहां मुक्ति मिलेगी, वहीं बेरोजगार बिरहोरों को भी रोजगार मिल सकेगा. उल्लेखनीय है कि सेल की मेघाहातुबुरु एंव किरीबुरु टाउनशिप में पिछले कुछ वर्षों से बंदरों ने भारी आतंक मचा रखा है. बंदर घरों व दुकानों में प्रतिदिन घुसकर खाने-पीने का समान ले भागते हैं. कपड़े आदि भी लेकर भाग जाते हैं. स्कूलों में भी घुसकर बच्चों की लंच बॉक्स लेकर भाग जा रहे हैं. कई को काटकर जख्मी भी कर रहे हैं.
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